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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति 261 – आर्य वस्त्र और वेशभूषा

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक सम्पत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः – देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत) गतांक से आगे …. राजा के लिए लिखा है कि- शिरो मे श्रीर्यशो मुखं त्विषिः केशाश्च श्मश्रूणि । राजा मे प्राणो अमृत सम्राट् चक्षुविराट् […]

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आज का चिंतन भ्रांति निवारण

ब्रह्मराक्षस विवेचना

आपने ब्रह्मराक्षस शब्द सुना होगा और कल्पना की होगी कि ये किसी दुष्ट व्यक्ति का नाम है,और मंदिरों में इसकी प्रतिमा देखकर इसके विषय में समझने की जिज्ञासा हो सकती है। मडिकेरी के ओंकारेश्वर शिव मंदिर की क्षेत्रीय किंवदंती के अनुसार,मंदिर का निर्माण एक राजा द्वारा ब्रह्मराक्षस द्वारा उत्पन्न बुराई को दूर करने के लिए […]

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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

पिछले पांच हजार वर्षों में दयानन्द के समान ऋषि नहीं हुआ

महाभारत का युद्ध पांच हजार वर्ष से कुछ वर्ष पहले हुआ था। महाभारत युद्ध के बाद भारत ज्ञान-विज्ञान सहित देश की अखण्डता व स्थिरता की दृष्टि से पतन को प्राप्त होता रहा। महाभारत काल के कुछ ही समय बाद ऋषि जैमिनी पर आकर देश से ऋषि परम्परा समाप्त हो गई थी। ऋषि परम्परा का आरम्भ […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

पानीपत का तृतीय युद्ध

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग …. (अध्याय – 16) पा नीपत भारतीय इतिहास का एक प्रमुख स्थल है। जिसने कई बार भारतीय इतिहास को परिवर्तन की दिशा देने का काम किया है। यह अलग बात है कि परिवर्तन सदा हमारे अनुकूल ना रहा हो, लेकिन परिवर्तन तो परिवर्तन है। पानीपत का […]

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आओ कुछ जाने

वेद, वैदिक और भारतीय ज्योतिष साहित्य में पृथ्वी

प्रस्तुत लेख में ब्रह्माण्ड में अनेक पृथिवियों, पृथ्वी के गोल होने, पृथ्वी की गति, ऊपरी आवरण और गर्भ, आकर्षण-शक्ति, मूल तथा पृथ्वी पर समुद्र और हिन्दुओं के विभिन्न ग्रन्थों (शास्त्रों) में वर्णित वनस्पति के विषय में लेखन का प्रयास किया गया है। अथर्ववेद (८/९/१) में ‘कतमस्या पृथिव्या:’ में हमें इस विराट नभोमण्डल में उक्त छन्दांश […]

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बिखरे मोती

हृदय का भाव कितना महत्त्वपूर्ण

हृदय का भाव कितना महत्त्वपूर्ण और प्रभावी होता है : – विचार से भी सूक्ष्म है, हृदय के सद्‌‌भाव । ईष्ट-दे व तक पहुँचता एक श्रध्दा का भाव॥2749॥ भावार्थ:- विचार से भी सूक्ष्म भाव होता इन्हें चित्त में उठने वाली उर्मियाँ भी कहा जाता है। जिनका प्रभाव हृदय स्पर्शी होता है। किसी वक्तव्य को समझने […]

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भ्रांति निवारण

क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहार आदि का विधान है?

त्रिपुरा सरकार ने मंदिरों में दी जाने वाली पशुबलि पर रोक लगा दी। हम उनके इस निर्णय का स्वागत करते हैं। धर्म के नाम पर पशुबलि अन्याय है। ईद पर भी इसी प्रकार से पशुबलि का निषेध होना चाहिए। कुछ लोग सरकार के निर्णय के विरुद्ध वेदों में पशुबलि के विधान होने की बात कर […]

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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के जीवन के अन्तिम प्रेरक शिक्षाप्रद क्षण

महर्षि दयानन्द की मृत्यु जोधपुर में वैदिक धर्म का प्रचार करते हुए उनके विरोधियों के षडयन्त्र के अन्तर्गत उन्हें संखिया जैसे विषैले पदार्थ का सेवन कराने से अजमेर में दीपावली 30 अक्तूबर, 1883 मंगलवार सायं लगभग 6:00 बजे हुई थी। मृत्यु के दिन मृत्यु से आधे घण्टे पूर्व की उनकी जीवन की प्रमुख घटनाओं का […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

माँ के गीतों के वे बोल …

इतिहास की पड़ताल पुस्तक से …. अध्याय – 17 देश अपनी आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ मनाने की तैयारियों में जुट गया है। किसी भी देश व समाज को खड़ा करने के लिए 74 वर्ष बहुत होते हैं। यद्यपि राष्ट्र के सनातन स्वरूप को देखते हुए 74 वर्ष एक अरब 40 करोड़ की जनसंख्या को […]

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समाज

हिंदू समाज का पुनर्जागरण आवश्यक क्यों ?

हिन्दू समाज की अपनी एक दैवीय विशेषता है जिस कारण सृष्टि के प्रारंभ से ही उसने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है | जब संसार के अन्य भागों में बोलने योग्य भाषा तक का आविष्कार नहीं हुआ था तब भारत में ऋग्वेद जैसा ज्ञान भण्डार अवतीर्ण हो चुका था | धर्म, आध्यात्म,विज्ञान,स्वास्थ्य, युद्ध, संगीत, भूगोल, […]

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