संसार में जीना है तो अनासक्त भाव से जीओ :- अनासक्त होकर जीओ, मत मोह – माया पाल। हंस उड़ेगा एक दिन, सूना होगा ताल ॥2472॥ आनंद का स्रोत कौन है – आकर्षण संसार में, किन्तु नही आनंद। आनन्द का स्रोत तो, केवल सच्चिदानन्द॥2471॥ आत्मा कब धन्य होती है – अन्तर्दृष्टि से निरख, निजमनु आकाहाल। […]
