बिखरे मोती परम पिता परमात्मा के चित्त जैसा हमारा मन कैसे बने :- विषयों का चिन्तन करे, मन विष जैसा होय। जो चिन्तन हरि का करे, तो हरि जैसा होय॥2303॥ आनन्दधन कहाँ रहता है :- अनन्त बार यह तत मिला, मिला नहीं आनन्द । माया में रहा ढूँढता, अन्तस्थ में था आनन्द॥2304॥ पवित्र हृदय में […]
