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धर्म-अध्यात्म

हमें मनुष्य जन्म वेदधर्म के पालन तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है

संसार में बहुत कम मनुष्य ऐसे हैं जो अपने जीवन के उद्देश्य पर विचार करते हैं। यदि वह ऐसा करते हैं और उन्हें सौभाग्य से कोई सद्गुरु या सत्साहित्य प्राप्त हो जाये, तो ज्ञात होता है कि हमें हमारा यह जन्म परमात्मा ने हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर शुभ व अशुभ कर्मों […]

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भ्रांति निवारण

साईं बाबा मुस्लिम या हिन्दू : हिन्दू देवी देवताओं के समतुल्य साईं बाबा को बैठाना अज्ञानतापूर्ण

लेखक- स्वर्गीय राजिंदर सिंह विगत कई वर्षों से हिन्दू मंदिरों में साईं बाबा की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाने लगी है। संभवत ऐसा कोई शहर न होगा जहाँ के पहले से स्थापित मंदिरों में साईं बाबा का प्रवेश न हुआ हो। मेरा दावा है कि साईं बाबा को पूजने वालों ने ऐसा कभी नहीं […]

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धर्म-अध्यात्म

मैं और मेरा धर्म

मनमोहन कुमार आर्य मैं कौन हूं और मेरा धर्म क्या है? इस विषय पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि मैं एक मुनष्य हूं और मनुष्यता ही मेरा धर्म है। मनुष्य और मनुष्यता पर विचार करें तो हम, मैं कौन हूं व मेरा धर्म पर विचार कर मनुष्यता का परिचय जान सकते हैं। इसी […]

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पाखंड खंडिनी भ्रांति निवारण

अनेकेश्वरवाद (Polytheism) की कल्पना एक अंधविश्वास – भाग 1

डॉ0 डी. के. गर्ग  अनेकेश्वरवाद एक ऐसा विश्वास है जिसमे हरेक धर्म मत और संप्रदाय का मानने वाला उलझा हुआ है। ईसाई जीसस को ईश्वर का पुत्र बताने के साथ साथ जीसस , मरियम और क्रॉस को पूजते है , ईश्वर स्तुति से कोई लेना देना नहीं। मुस्लिम अल्ला के साथ साथ मोहम्मद,कब्र को भी […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य का आत्मा कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में परतंत्र है

मनमोहन कुमार आर्य हमें ज्ञात है व सबको ज्ञात होना चाहिये कि संसार में तीन अनादि व नित्य पदार्थों का अस्तित्व है। यह तीन पदार्थ ईश्वर, जीव व प्रकृति हैं। ईश्वर व जीव सत्य एवं चेतन पदार्थ हैं। ईश्वर स्वभाव से आनन्द से युक्त होने से आनन्दस्वरूप है तथा जीव आनन्द व सुख से युक्त […]

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धर्म-अध्यात्म

आस्तिकता और चमत्कार

सहदेव समर्पित एक विदेशी विचारक ने कहा था कि दुनिया मेें और कहीं हो न हो भारत में भगवान अवश्य है। क्योंकि कोई भी इस देश को बसाना नहीं चाहता, फिर भी यह बसा हुआ है; यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। नास्तिक विचार वाले लोग भगवान के बारे में जो मरजी कह देते […]

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वेद

वेदों के पांच ऋषि

– डॉ विवेक आर्य ऋग्वेद 10/150/ 1-5 मन्त्रों में अग्नि रूप परमेश्वर को सुख प्राप्ति के लिए आवाहन करने का विधान बताया गया है। ईश्वर से प्रार्थना करने और यज्ञ में पधारकर मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की गई है। धन, संसाधन, बुद्धि, सत्कर्म इच्छित पदार्थों, दिव्या गुणों आदि की प्राप्ति के लिए व्रतों का पालन […]

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वेद

संसार में वेदों की अप्रवृत्ति होने से अविद्यायुक्त मत-मतान्तर उत्पन्न हुए हैं

मनमोहन कुमार आर्य संसार में वर्तमान समय में शताधिक अवैदिक मत-मतान्तर प्रचलित हैं जिनकी प्रवृत्ति व प्रचलन पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद हुआ है। सभी मतों का आधार प्रायः चार प्रमुख मत हैं जो पुराण, जैन मत के ग्रन्थों, बाईबल तथा कुरान आदि ग्रन्थों के आधार पर प्रचलित हुए हैं। महाभारत […]

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भ्रांति निवारण महत्वपूर्ण लेख

ईश्वर और अल्लाह एक नहीं हैं

१) ईश्वर सर्वव्यापक (omnipresent) है, जबकि अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है. २) ईश्वर सर्वशक्तिमान (omnipotent) है, वह कार्य करने में किसी की सहायता नहीं लेता, जबकि अल्लाह को फरिश्तों और जिन्नों की सहायता लेनी पडती है. ३) ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है, जबकि अल्लाह केवल क़यामत के दिन […]

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वेद

वेद प्रतिपादित ईश्वर के सत्यस्वरूप व अन्य सभी मान्यताओं में विश्वास करने से जीवन की सफलता

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का आत्मा सत्य व असत्य का जानने वाला होता है परन्तु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह तथा अविद्या आदि दोषों के कारण वह सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। ऐसा होने पर मनुष्य की भारी हानि होती है। मनुष्य को सत्य को पकड़ कर रखना चाहिये और असत्य […]

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