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विविधा समाज

बहू और बेटी में फर्क करता समाज

कविता रावल गनीगांव, उत्तराखंड भारतीय समाज जटिलताओं से भरा हुआ है. जहां रीति और रिवाज के नाम पर कई प्रकार की कुरीतियां भी शामिल हो गई हैं. इसका सबसे अधिक खामियाज़ा महिलाओं को भुगतनी पड़ती है. पितृसत्तात्मक समाज में लड़का और लड़की में जहां अंतर देखा जा सकता है वहीं बेटी और बहू के मामले […]

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समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

शिक्षक, शिक्षार्थी और शिक्षक दिवस

डॉ. पवन सिंह मलिक “दुनिया सुनना नहीं, देखना पसंद करती है कि आप क्या कर सकते हैं”…. और अपने अंदर छिपी इसी असीम शक्ति की पहचान करवाना, मैं कौन हूँ ओर क्या कुछ कर सकता हूँ इस भाव को परिणाम में बदलने के लिए प्रेरित करने की प्रेरणा है शिक्षक। आज शिक्षक दिवस है और […]

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समाज

अहसान मानें उनका जो उपस्थित थे, उपस्थित रहे

डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 इसे महत्त्वाकांक्षा, नाम छपास की भूख, लोकप्रियता की चाह, अपने अस्तित्व के सार्वजनीन प्राकट्य की सनक या अहंकार का मकड़जाल कुछ भी कह लेंकिन वर्तमान युग की यह सर्वाधिक प्रचलित और व्यापक परम्परा हो चली है जो किसी महामारी से कम नहीं बल्कि इसे महानतम और अद्वितीय महामारी की संज्ञा दी […]

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समाज

समाज की टूटन को समाप्त करते हुए संत समाज

लोकेन्द्र सिंह राजपूत जब अस्पृश्यता का संकट समाज को खाये जा रहा था, तब संत स्वरूप माधव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरुजी’ ने देश के प्रमुख संत-महात्माओं से आग्रह किया कि वे सभी एक मंच पर आकर हिन्दू समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देवें। यह कितनी सुखद बात है कि समाज के विभिन्न वर्गों में आत्मीयता […]

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समाज

दफ्तरों के इर्द-गिर्द खुशियां टटोलते पति-पत्नी

आज एकल परिवार और महिलाओं की नौकरी पर जाने से दांपत्य सुख के साथ-साथ पारिवारिक सुख जो होना चाहिए वह नहीं है। बच्चे किसी और पर आश्रित होने के कारण टीवी मोबाइल में घुसे रहते हैं। कामकाजी पति-पत्नी के मामलों में यह बात सामने आ रही है कि दोनों ऑफिस के बाद घर में मोबाइल […]

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विविधा समाज

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लक्ष्य से भटकती पौराणिक कांवर यात्राएं

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी कांवड़ को शिव जी का स्वरूप कहा गया है :- कांवड़ शिव की आराधना का ही एक रूप है। इस यात्रा के जरिए जो शिव की आराधना कर लेता है, वह धन्य हो जाता है। कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें […]

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समाज

हिंदुस्तान के मुसलमानों का बड़ा तबका समर्थन करता है समान नागरिक संहिता का

रज्जाक अहमद आज दुनिया में भारत जय -जय कार हो रही है। इसके उपरांत भी बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि भारत में आये दिन ऐसी ऐसी नई चर्चाए पैदा होती है जिनका कोई आधार नहीं है। अब नया सगुफा शुरु हुआ ‘ यूनिफार्म सिविल कोड़ ‘ जिसका अभी ड्राफ्ट भी तैयार नही […]

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समाज

होम ट्यूशन में भी सुरक्षित नहीं लड़कियां

प्रियंका साहू मुजफ्फरपुर, बिहार बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित मड़वन ब्लॉक की रहने वाली एक 16 वर्षीय नाबालिग निर्मला (बदला हुआ नाम) अपने साथ बचपन में हुए यौन दुराचार की घटना के बारे में सुनाते हुए फूट-फूट कर रोने लगी. वह बताती है कि जब 6-7 साल की उम्र में दूसरी कक्षा में पढ़ रही […]

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समाज

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (23 जून) पर विशेष आर्थिक कठिनाइयों का सामना करती विधवाएं

देवेन्द्रराज सुथार जालोर, राजस्थान आज़ादी के सात दशकों बाद भी देश में कुछ जातियां, समुदाय और वर्ग ऐसे हैं जो आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं. जिन्हें आज भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जो समाज के मुख्यधारा से कटे हुए हैं. लेकिन विधवाओं का वर्ग ऐसा है जो सभी […]

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समाज

अमेरिकी प्रभाव वाला नहीं भारतीय संस्कृति वाला पितृ दिवस मनाएं

डा. राधे श्याम द्विवेदी हमारा समाज और पिता की भूमिका :- समाज केवल स्त्री को ही स्त्री नहीं बनाता बल्कि एक पुरुष को भी पुरुष बनने और बने रहने को बाध्य करता है। पुरुषत्व के कारण एक पुरुष दहाड़ मारकर रो नहीं सकता, सिसक नहीं सकता, गृहस्थी में हाथ बंटा नहीं सकता, बच्चों और अपनी […]

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