डॉ राकेश कुमार आर्य एक बीज को आप धरती में बोते हैं तो अनेक ढेले उसके ऊपर आ पड़ते हैं। उन ढेलों की जिद होती है कि हम तुझे बाहर नहीं निकलने देंगे। उधर बीज की प्रतिभा कहती है कि तुम चाहे जितने पहले बैठा लो, मुझे फूट कर बाहर निकलना ही है। बीज मिट्टी […]

डॉ राकेश कुमार आर्य एक बीज को आप धरती में बोते हैं तो अनेक ढेले उसके ऊपर आ पड़ते हैं। उन ढेलों की जिद होती है कि हम तुझे बाहर नहीं निकलने देंगे। उधर बीज की प्रतिभा कहती है कि तुम चाहे जितने पहले बैठा लो, मुझे फूट कर बाहर निकलना ही है। बीज मिट्टी […]
समाज के आशा दीप नौनिहालों, आज की उत्तरदाई पीढ़ी के लोग अपनी मेहनत का, अपने परिश्रम का सुखद सुफल आपकी सफलताओं के रूप में, आपकी प्रगति उन्नति के रूप में देखना चाहते हैं। पूरा राष्ट्र और पूरी मानवता आपके रूप में अपनी संभावनाओं और मनोकामनाओं को पूरा होता देखना चाहती है। हमें आपकी योग्यता पर, […]
हमारे सैनिक, जो सीमाओं पर अपने प्राणों की बाजी लगाते हैं, हमारे असली नायक हैं। युद्ध की आशंका में लौटते सैनिकों को ट्रेन में सीट दें, सड़क पर मिलें तो अपने वाहन से आगे छोड़ें, और होटलों में निशुल्क ठहरने की सुविधा दें। उनका सम्मान हमारा कर्तव्य है, न कि महज़ औपचारिकता। जहाँ भी मिले, […]
भारत में सिविल सेवाओं से इस्तीफों की बढ़ती संख्या एक गंभीर मुद्दा बन गई है। कई आईएएस और आईपीएस अधिकारी, जिनमें कम्य व मिश्रा, रोमन सैनी और अन्य युवा अधिकारी शामिल हैं, अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं। इसके पीछे राजनीतिक दबाव, प्रशासनिक हताशा, स्वायत्तता की कमी और मानसिक स्वास्थ्य संकट जैसे कारण हैं। […]
लेखक – आर्य सागर फ्रांसीसी स्त्रीवादी सीमोन द बुवा ने एक बार कहा था- मातृत्व स्त्री मुक्ति की राह में बांधा है। उसी दौर में यूरोप जर्मनी में नाजी पार्टी ने एक नारा दिया- स्त्री -मुक्ति से स्त्रियों को खुद को मुक्त करना चाहिए। लोकतंत्र, नस्ल को लेकर नाजी विचारधारा अमानवीय अविकसित पुर्वाग्रह से भले […]
सृष्टि के आदिकाल से ऋषि, महर्षि, मुनि, धर्माचार्य और विश्ववारा संस्कृति के महानायकों, लोकनायकों ने स्वच्छता और दक्षता को जीवन के प्रथम सोपान में रखा है। यही कारण था कि यज्ञ वै श्रेष्ठतम् कर्म:को आराध्य मानकर प्रत्येक मनुष्य यज्ञ से ही अपना कार्य प्रारंभ करता था। ऋषि एवं ऋषिकाओं ने मान रखा था कि संस्कृत, […]
ललित गर्ग पंजाब में आतंकवाद की ही तरह नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है, जिसके दुष्परिणाम पंजाब के साथ-साथ समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है, सीमा पार से शुरू किए गए इस छद्म युद्ध […]
प्रियंका सौरभ रैगिंग को अक्सर एक संस्कार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जो नए छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों में परिसर में जीवन को समायोजित करने में सहायता करता है। हालाँकि जूनियर कैंपस के रीति-रिवाजों को सीख सकते हैं और वरिष्ठों के साथ सकारात्मक बातचीत के माध्यम से एक सहायक समुदाय बना सकते […]
उत्सव या अनहोनी? अचानक मौतों से बढ़ती दहशत…. बृजेश सिंह तोमर (वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक चिंतक) शादी-ब्याह और उत्सव अब खुशियों के बजाय अनहोनी के साये में सिमट रहे हैं। देखते ही देखते अचानक गिरते लोग ओर मौत,ये घटनाएँ डराने लगी हैं। तनाव, अनियमित जीवनशैली, डीजे का घातक शोर और उपेक्षित स्वास्थ्य हृदय को कमजोर […]
(बिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज। नई सदी ये कर रही, जाने कैसी खोज॥) पिछले कुछ समय में पारिवारिक ढांचे में काफ़ी बदलाव हुआ है। मगर परिवारों की नींव का इस तरह से कमजोर पड़ना कई चीजों पर निर्भर हो गया है। अत्यधिक महत्त्वाकांक्षी होना ही रिश्ते टूटने की प्रमुख वज़ह है। जब परिवारों […]