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इतिहास के पन्नों से

जब अंबेडकर ने अपनाया था बौद्ध मत

जय मनु महाराज जय मनुस्मृति !!! (आज ही के दिन डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध मत अपनाया था) डा.अंबेडकर के शब्दों में:- ” मैं संस्कृत भाषा का पारंगत नहीं हूं तो अपनी इस कमजोरी को स्वीकार करता हूं। परंतु मेरी समझ में ये नहीं आता है कि इस कारण मुझे इस विषय पर बोलने के लिये […]

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भारत के महान ऋषि और समाज सुधारक

एक महान चिकित्सक ऋषि वृंद वृंद की प्रमुख कृति का नाम है ‘सिद्धयोग’। इस ग्रंथ को पढ़ने से या भली प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि चिकित्साशास्त्र के इतिहास में वृंद का नाम सदा अमर रहेगा। मनुष्य रसायन चिकित्सा के माध्यम से किस प्रकार अपने आप को निरोग और स्वस्थ रख सकता है ?- इस […]

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भारत के महापुरुषों के विषय में

जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी महावीर स्वामी ने मानव के जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति को स्वीकार किया है । अपने ज्ञान किरणों के द्वारा महावीर स्वामी ने जैन धर्म का प्रवर्तन किया। इस धर्म के पांच मुख्य सिद्धान्त हैं-सत्य, अहिंसा, चोरी न करना, आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना और जीवन […]

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भारत में द्विराष्ट्रवाद के जनक सर सैयद अहमद खान

17 अक्टूबर, 1817 को जन्मे सैयद अहमद खान 1838 में ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े। अंग्रेजो का विश्वास जीतकर वह 1867 में एक न्यायालय के न्यायाधीश भी बने और 1876 में सेवानिवृत्त हुए। अप्रैल 1869 में सैयद अहमद खान अपने बेटे के साथ इंग्लैंड गए, जहां छह अगस्त को उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ […]

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भारत के लाल बहादुर शास्त्री अर्थात गुदड़ी के लाल

लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें याद करें। :- 9 जून 1964 को भारत के लाल जिन्हें गुदड़ी का लाल भी कहा जाता है ऐसे स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी वर्ष 1964 में आज ही के दिन भारत रत्न श्री लालबहादुर शास्त्री जी […]

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महर्षि दयानंद जी की अपनी निर्बलताओं को दूर करने तथा दूसरों से गुणग्रहण करने में तत्परता •

• पंडित आत्माराम अमृतसरी पंडित और विद्वान् शब्द का व्यावहारिक लक्षण यह है कि जो अपने बराबर के पंडित को मूर्ख और अपने से बढ़िया पंडित को उन्मत्त बतलाये। विद्वानों के हृदय फट जाते हैं और पंडितों की आंखें लाल हो जाती हैं जब वे अपने सामने किसी और पंडित के सम्बन्ध में प्रशंसा के […]

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खिलाफत आंदोलन को लेकर गांधी जी के विचारों के सर्वथा विपरीत काम कर रहा था तुर्की

◆ ऐतिहासिक भूल के सौ साल: जब गांधीजी “खिलाफत आंदोलन” चला रहे थे तब तुर्क उसे खत्म करना चाह रहे थे… [आज से ठीक 104 वर्ष पहले खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई थी। महात्मा गाँधी ने मुसलमानों के निजी आंदोलन को भारत के स्वाधीनता संग्राम के साथ जबरन यह सोच कर नत्थी कर दिया था […]

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भारत के जनमानस को आज भी प्रभावित करते हैं आदिकवि वाल्मीकि के विचार

-डॉ. सौरभ मालवी विगत एक दशक से देशभर में भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का स्वर्णिम युग चल रहा है। उत्तर प्रदेश सहित देशभर में सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्य तीव्र गति से चल रहे हैं। भारतीय संस्कृति का विश्वुभर में प्रचार-प्रसार हो रहा है। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी […]

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आईए जानते हैं , वास्तव में रावण कौन है ?

#डॉविवेकआर्य प्रत्येक वर्ष की भांति दशहरे का त्योहार आ गया। सब लोग विशेष रूप से रावण के जलने का इंतजार कर रहे हैं। सभी मर्यादा पुरुषोतम श्री रामचन्द्र जी महाराज को याद करते है कि किस प्रकार से उन्होंने राक्षस रावण का वध कर धरती को पापी से मुक्त किया था। आज उनके उस पवित्र […]

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राम सागर ,भेटिया का तालाब ,छपिया पैर से दबाते ही अथाह जल पाताल गया

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी यह स्थान छपिया के भेटियां गांव की झाड़ियों में है। भेटिया का हिंदी अर्थ भेंट उपहार या नजर लाने वाला होता है। चूंकि यहां खेत से निकला सारा धान अपने बचनानुसार मोती मामा ने फसल बचाने के एवज में अपने भांजे घनश्याम बाल प्रभु को दान में भेंट कर दिया था। […]

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