हमें अपना जीवन किसके लिए बनाना चाहिए? ‘पाओ और फैलाओ’ से क्या अभिप्राय है? वैदिक विवेक का अनुसरण न करने की क्या हानियाँ हैं? अस्मा इदु स्तोमं सं हिनोमि रथं न तष्टेव तत्सिनाय। गिरश्च गिर्वाहसे सुवृक्तीन्द्राय विश्वमिन्वं मेधिराय।। ऋग्वेद मन्त्र 1.61.4 (कुल मन्त्र 698) (अस्मै इत् उ) निश्चय से यह उसके लिए है (परमात्मा के […]
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