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आज का चिंतन

इच्छाओं के क्षेत्र में दो प्रकार के लोग………

सबके पास कुछ न कुछ सुविधाएं हैं और कुछ-कुछ कमियां भी हैं। उन कमियों को दूर करने के लिए सब में इच्छाएं भी हैं। इच्छाओं के क्षेत्र में दो प्रकार के लोग संसार में देखे जाते हैं। एक वे, “जो अपने पास उपलब्ध सुविधाओं पर अधिक ध्यान देते हैं। जो वस्तुएं जीवन चलाने के लिए […]

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काल भैरव कथा

डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यता : एक बार ब्रह्मा, बिष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद चल रहा था। इस विवाद को सुलझाने के लिए ब्रह्मा, बिष्णु एवं सभी देवी-देवता और ऋषि मुनि भगवान शिव के पास आते हैं। भगवान शिव ने सभी देवी-देवता और ऋषि मुनियों ने से पूछा कि आप ही बताइए सबसे […]

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ओ३म् “सर्गारम्भ से वेद बिना भेदभाव मनुष्यों की अविद्या दूर कर रहे हैं”

============= हमारी यह सृष्टि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सच्चिदानन्दस्वरूप, अनादि व नित्य परमात्मा से बनी है। ईश्वर, जीव तथा प्रकृति तीन अनादि व नित्य सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति तथा प्रलय का क्रम अनादि काल से चला आ रहा है और अनन्त काल तक चलता रहा है। सभी अनन्त […]

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ओ३म् “ब्रह्मचर्य ईश्वर में विचरण, संयम और कर्तव्यों का पालन करना है”

============ वेद एवं वैदिक साहित्य में ब्रह्मचर्य की चर्चा मिलती है। प्राचीन काल में मनुष्य जीवन को चार आश्रमों में बांटा गया था। प्रथम आश्रम ब्रह्मचर्य आश्रम कहलाता था। इसके बाद गृहस्थ आश्रम का स्थान था। ब्रह्मचर्य आश्रम जन्म से 25 वर्ष की आयु तक मुख्य रूप से माना जाता है परन्तु ब्रह्मचर्य का पालन […]

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ध्यान का प्रपंच और भोली -भाली जनता* *भाग-4*

विशेष : आजकल आपको अधिकांश बड़े शहरों में ध्यान केंद्र और ध्यान गुरु मिलेंगे ,लेखी। ये ध्यान के नाम पर अपनी दुकान चला रहे है।ध्यान की स्थिति तक पहुंचने से पहले साधक को किस किस स्थिति से गुजरना होता है ,ये नहीं बताया जाता। ये लेख माला 7 भागों में है ,जो वैदिक विद्वानों के […]

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ध्यान का प्रपंच और भोली -भाली जनता* *भाग-3*

विशेष : ये लेख माला 7 भागों में है ,जो वैदिक विद्वानों के लेख और विचारों पर आधारित है। जनहित में आपके सम्मुख प्रस्तुत करना मेरा उद्देश्य है , कृपया ज्ञानप्रसारण के लिए शेयर करें और अपने विचार बताए। डॉ डी के गर्ग योग का तीसरा अंग;आसन अष्टांग योग के पहले दो अंग यम और […]

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आज का चिंतन

• “ईश्वर सर्वशक्तिमान् है” का वास्तविक तात्पर्य • •

गुण – ऊहापोह (सिद्धांत रक्षा – वाद-विवाद) • • ऊहा द्वारा सिद्धान्त को समझाने और उसकी रक्षा करने का चमत्कार ! • पंडित सत्यानन्द वेदवागीश घटना भारत के स्वतन्त्र होने से पूर्व की है। पेशावर-आर्यसमाज का वार्षिकोत्सव था। एक दिन रात्रि के अधिवेशन में पं० बुद्धदेव जी विद्यालंकार का ‘ईश्वर’ विषय पर व्याख्यान था। उस […]

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ओ३म् “वेदज्ञान और वेदानुकूल आचरण से ही मनुष्य धार्मिक बनता है”

=========== धार्मिक मनुष्य के विषय में समाज में अविद्या पर आधारित अनेक आस्थायें व असद्-विश्वास प्रचलित हैं। इन आस्थाओं पर विचार करते हैं तो इसमें सत्यता की कमी अनुभव होती है। सच्चा धार्मिक मनुष्य कौन होता है? इसका उत्तर यह मिलता है कि सच्चा धार्मिक वही मनुष्य हो सकता है जिसको वेदज्ञान उपलब्ध वा प्राप्त […]

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ध्यान का प्रपंच और भोली -भाली जनता* *भाग-१*

विशेष : ये लेख मला ५ भागों में है ,जो वैदिक विद्वानों के लेख और विचारों पर आधारित है। जनहित में आपके सम्मुख प्रस्तुत करने मेरा उद्देश्य है , इसलिए कृपया शेयर करे। डॉ डी के गर्ग पिछले कई वर्षोंसे मेरे पास अलग लग गुरुओं के शिष्य आ रहे है और उनके बाबा गुरु द्वारा […]

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परमात्मा के साथ अपनी सर्वमान्य संगति की चेतना को किस प्रकार बनाकर रखा जाये?

परमात्मा के ऊर्जा रूप की तुलना भिन्न-भिन्न वस्तुओं जीवों से किस प्रकार की जाती है? (2) परमात्मा के साथ अपनी सर्वमान्य संगति की चेतना को किस प्रकार बनाकर रखा जाये? दाधार क्षेममोको न रण्वो यवो न पक्वो जेता जनानाम। ऋषिर्न स्तुभ्वा विक्षु प्रशस्तो वाजी न प्रीतो वयो दधाति।। ऋग्वेद मन्त्र 1.66.2 (कुल मन्त्र 754) (दाधार) […]

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