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कविता

*अबकी बार अगर चूके तो…*

लोकतंत्र के पावन ध्वज को, अम्बर पर फहराना है। अबकी बार अगर चूके तो जीवन भर पछताना है ।। षड़यन्त्रों की काली आंधी, सर्वनाश पर अड़ी खड़ी । और सनातन संस्कृति अपनी, नागों से है घिरी पड़ी ।। एक कालिया हो तो नाथें, जिधर देखिये फन ही फन । इतना उगला जहर कि नीला, जिससे […]

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इतिहास के पन्नों से कविता

होली खेल गये हुलियारे लेखक = स्वामी भीष्म जी महाराज

होली खेल गए हुलियारे। ऐसी होली खेली जगत में बजा वेद का ढोल गए।। सोतों को दिया जगा एक दम खोल पोप की पोल गए। भारत नैया डूब रही थी इसको गए लगा किनारे-॥1॥ लाहौर में कई देहली में ऐसी खेल गए होली। किसी ने खाया छुरा पेट में किसी ने सीने में गोली।। लाखों […]

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कविता

आतंकवादी

आतंकवादी राहू और केतु ने ग्रस लिया सौरमंडल के नियन्ता को सूर्य और चन्द्र को जिनसे होते दिन और रात जिनसे निकलती तारों की बारात जिनके बूते उगता जीवन का अंकुर पशु पक्षी मानव कीट पतंग वनस्पति जीवाणु गरमी जाड़ा व बरसातl निवेदन किये, जोड़ा हाथ पड़े पांव, रोये – गिड़गिडा़ये उनको उनके भी पतन […]

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कविता

महाठगबंधन

    कभी गरियाते हैं,  तो कभी गले लगाते हैं निज लाभ लोभ में  एक-दूजे को सहलाते हैं एक पूरब एक पश्चिम,  एक उत्तर एक दक्षिण  देखो सब मिलकर अब क्या-क्या गुल खिलाते हैं।  जनता को सदा छलते रहे  हक उनका ये निगलते रहे  विचारधारा मिले या न मिले   ये तेल में पानी मिलाते हैं।    करके […]

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कविता

‘मैं’ ने मैं से कह दिया, ….

  “पीतये” से हो सके , तेरा निज कल्याण। मन काया और आत्मा का होता उत्थान।। 1।। धनुष बना ले ओ३म को आत्मा को तीर । ब्रह्म लक्ष्य है तेरा,  बात बड़ी गंभीर।।2।। दो घड़ी दे ईश को, मिलता है आनंद। गुण अपने हमें सौंपता जो है परमानंद।।3।। जो ध्याये परमेश को जीवन उसका धन्य। […]

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कविता

हम मालिक अपनी मर्जी के

    न मैडम के, न सर जी के  हम मालिक अपनी मर्जी के।    ज्यादा की कोई चाह नहीं इसलिए कोई परवाह नहीं जो बोया वो ही पाया है  जो है वो खुद कमाया है  सत्ता के किसी  दरबार में  नहीं प्रार्थी हम किसी अर्जी के         हम मालिक अपनी मर्जी के… […]

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आज का चिंतन कविता

हम सनातन

  हम सनातन, हम सनातन, युगों-युगों से इस धरा पर, बस बचे हैं हम यहाँ पर, हम अधुनातन हम पुरातन।   सृष्टि का आगाज हम हैं, कल भी थे और आज हम हैं, सहस्त्रों वर्षों की कहानी, दुनिया भर में है निशानी।   विश्व भर से ये कहेंगे, हम रहे हैं,  हम रहेंगे अपनी जिद […]

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कविता

गीत : ‘राम आए हैं’

    राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं। राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं, आए हैं, राम आए हैं।     तम घोर था निराशा का दीप बुझा था आशा का अब देखो चहुँ ओर सब […]

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कविता

हूँ घिरा कब से हुआ, अज्ञान के अँधियार में

आशीर्वाद दीजिए 🙏😊🙏 हूँ घिरा कब से हुआ, अज्ञान के अँधियार में कोई तो दिखलाए राह, बस हूँ इसी विचार में सारी उम्र वन में उस, मृग की भांति ही फिरा ढूँढता बाहर मगर जो, खुद की महक से था घिरा तूने सब, पाने की हमेशा, बाहर से ही आस की मन में कभी सोचा […]

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कविता

मन के काले…

मन के काले से भला, तन का काला नेक। मन के काले में भरे, छल कपट अनेक॥ है छल-कपट अनेक, कभी ना धोखा खाना। इनका आदर मान, सांप को दूध पिलाना॥ चुपके-चुपके करते रहते, काम निराले। मौका पा डंस जायें, नाग ये मन के काले॥ (1) मन के काले बाहर से देते उपदेश। रग-रग में […]

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