आदमी क्या है भूख लगना आदमी की प्रकृति है , छीन खाना आदमी की विकृति है। अपने अतिथि को प्रेम से जो खिलाए, बांट खाना ही आदमी की संस्कृति है।। हिलादे सारे सागर को, उसे तूफान कहते हैं, तोड़ दे तट के बंधन को, उसे उफा़न कहते हैं। इससे भी आगे की सोच लो जरा, […]
