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भारतीय संस्कृति

भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक कुंभ का मेला

सारी दुनिया जानती और मानती है कि भारत एक सांस्कृतिक राष्ट्र है। अपनी अति विशिष्ट भौगोलीय स्थिति के कारण भारत सदा से विश्व के लिए उत्सुकता का केन्द्र रहा है। हिमाच्छादित पर्वतों से रेगिस्तान तक, कल-कल बहती सदानीरा नदियों से पठार तक, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर घाटियों से विशाल समुन्द्र तक, अंडमान सरीखे टापुओं से […]

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आर्थिकी/व्यापार भारतीय संस्कृति

भारत में दान करने की प्रथा से गरीब वर्ग का होता है कल्याण

भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के संस्कारों में दान दक्षिणा की प्रथा का अलग ही महत्व है। भारत में विभिन्न त्यौहारों एवं महापुरुषों के जन्म दिवस पर मठों मंदिरों, गुरुद्वारों एवं अन्य पूजा स्थलों पर समाज के सम्पन्न नागरिकों द्वारा दान करने की प्रथा अति प्राचीन एवं सामान्य प्रक्रिया है। गरीब वर्ग की मदद करना […]

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भारतीय संस्कृति

भारत के 43 विश्व धरोहर स्मारक

आचार्य डा. राधेश्याम द्विवेदी विश्व धरोहर सप्ताह हर साल 19 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरे विश्व में मनाया जाता है। विश्व विरासत स्थल ऐसे विशेष स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों के आविर्भाव विषयक महर्षि दयानन्द जी के मन्तव्य •

• [भूमिका : 1882 में उदयपुर में स्वामी दयानन्द जी का मौलवी अब्दुर्रहेमान से एक शास्त्रार्थ हुआ था। यह शास्त्रार्थ स्वामी जी के शास्त्रार्थ संग्रह में एवं जीवनचरित्र में उपलब्ध है। ईश्वर वेद के माध्यम से ज्ञान एवं भाषा दोनों का आविर्भाव करता है, यह बात स्वामी जी ने प्रतिपादित की है। इस शास्त्रार्थ के […]

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भारतीय संस्कृति

विश्ववारा वैदिक संस्कृति

वेद अपौरूषेय है। सर्वप्रथम सृष्टि में परमबह्म परमात्मा ने अमैथुनी सृष्टि का प्रादुर्भाव कर हमें चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य, अंगिरा के हृदय में अपौरूषेय ज्ञान क्रमशः ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को उक्त ऋषियों को दिया। इसी प्रकार सृष्टि के प्रारंभ के प्रथम सत्र में मैथुनी सृष्टि को भी उत्पन्न कर सृष्टि में समस्त […]

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भारतीय संस्कृति

● वेद – आस्तिक्य – यज्ञ – यास्क – वैदिक-भाषा – दयानन्द – आर्यसमाज ● —

● वेद-विमर्श ● स्वामी (डॉ.) सत्यप्रकाश सरस्वती [4 नवम्बर 1983 को महर्षि दयानन्द निर्वाण शती समारोह में आयोजित वेद सम्मेलन में दिए गए अध्यक्षीय भाषण के संकलित अंश । संकलनकर्ता : भावेश मेरजा] 1. अपौरुषेय रचनाओं में जिसकी आस्था है, उसे ही आस्तिक कहते हैं । भौतिक निर्मितियों में भी दो प्रकार की निर्मितियां हैं […]

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भारतीय संस्कृति

नास्तिकों का ईश्वर विषयक एक प्रश्न और उसका उत्तर

● ● किसी पदार्थ के विषय में मतभेद होना उसके अभाव का हेतु नहीं हो सकता (A logical solution to a query raised by the Atheist) पण्डित देवप्रकाश ● नास्तिक का प्रश्न : ईश्वर के मानने वाले जितने भी सम्प्रदाय ओर मत हैं उन सबका ईश्वर की सत्ता और स्वरूप में बड़ा भारी मतभेद है। […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “वेदज्ञान और वेदानुकूल आचरण से ही मनुष्य धार्मिक बनता है”

=========== धार्मिक मनुष्य के विषय में समाज में अविद्या पर आधारित अनेक आस्थायें व असद्-विश्वास प्रचलित हैं। इन आस्थाओं पर विचार करते हैं तो इसमें सत्यता की कमी अनुभव होती है। सच्चा धार्मिक मनुष्य कौन होता है? इसका उत्तर यह मिलता है कि सच्चा धार्मिक वही मनुष्य हो सकता है जिसको वेदज्ञान उपलब्ध वा प्राप्त […]

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भारतीय संस्कृति

बिन्दुक्षणी मां का मन्दिर पाली

आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी वंश के रक्षक के रूप में :- कुलदेवी, किसी खास खानदान या कुल की आदि देवी होती हैं।कुलदेवी की पूजा उनके पिंडी या मूर्ति के रूप में की जाती है। वहीं, कुलदेवता को उस कुल के देवता के रूप में पूजा जाता है। कुलदेवी या कुलदेवता कुल या वंश के रक्षक […]

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भारतीय संस्कृति

दादू दुनिया बावरी, कबरे पूजे ऊत।

दादू दुनिया बावरी, कबरे पूजे ऊत। जिनको कीड़े खा गए उनसे मांगे पूत ॥ अजमेर और बहराइच जैसी कब्रों की पूजा करने वाले विचार करें—- लाखों सूरमा वीर हृदय वाले महात्मा जान पर खेल कर धर्म पर बलि दे गये | सीस दिये किन्तु धर्म नहीं छोड़ा | आप जानते हैं जब मुसलमान नहीं आए […]

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