[कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की सजावट कविता है और चरित्र की बगावत कवि-ता। […]
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12 जनवरी विवेकानंद जयंती पर विशेष विवेकानंद ने सनातन हिन्द को विश्व में स्थापित किया विश्व वन्दनीय स्वामी विवेकानन्द जैसी महान विभूति ने शायद हिन्दुत्व जागरण जैसे महान कार्य के लिये अपना सारा जीवन ही अर्पित कर दिया था। और यही कारण है कि स्वामी जी का स्थान आज विश्व में सर्वोत्तम है। परम अवतार […]
६ जनवरी १८८५ को भारतेन्दु हरिश्चंद्र का देहांत हुआ था। हिंदी के महान् साहित्य निर्माता श्री बाबू ‘भारतेंदु’ हरिश्चंद्र (जन्म ९ सितम्बर १८५०, अवसान ६ जनवरी १८८५ – दोनों वाराणसी में) १८६९ में स्वामी दयानंद के काशी के पण्डितों के साथ हुए मूर्तिपूजा विषयक ऐतिहासिक शास्त्रार्थ में दृष्टा के रूप में उपस्थित थे । हरिश्चंद्र […]
मुगल शासनकाल के दौरान बादशाह औरंगजेब का आतंक बढ़ता ही जा रहा था। चारों और औरंगज़ेब की दमनकारी नीति के कारण हिन्दू जनता त्रस्त थी। सदियों से हिन्दू समाज मुस्लिम आक्रांताओं के झुंडों पर झुंडों का सामना करते हुए अपना आत्म विश्वास खो बैठा था। मगर अत्याचारी थमने का नाम भी नहीं ले रहे थे। […]
महाभारत का युद्ध पांच हजार वर्ष से कुछ वर्ष पहले हुआ था। महाभारत युद्ध के बाद भारत ज्ञान-विज्ञान सहित देश की अखण्डता व स्थिरता की दृष्टि से पतन को प्राप्त होता रहा। महाभारत काल के कुछ ही समय बाद ऋषि जैमिनी पर आकर देश से ऋषि परम्परा समाप्त हो गई थी। ऋषि परम्परा का आरम्भ […]
महर्षि दयानन्द की मृत्यु जोधपुर में वैदिक धर्म का प्रचार करते हुए उनके विरोधियों के षडयन्त्र के अन्तर्गत उन्हें संखिया जैसे विषैले पदार्थ का सेवन कराने से अजमेर में दीपावली 30 अक्तूबर, 1883 मंगलवार सायं लगभग 6:00 बजे हुई थी। मृत्यु के दिन मृत्यु से आधे घण्टे पूर्व की उनकी जीवन की प्रमुख घटनाओं का […]
आर्य धर्म की महान क्षत्रिय परम्परा को कौन नही जानता, एक ऐसी परम्परा जिसमें समय समय पर अनेकों शूरवीर सामने आये और कभी राष्ट्रभक्ति तो कभी धर्म के लिए अपने प्राण तक दांव पर लगा दिए। इस महान क्षत्रिय परम्परा के शौर्य और वीरता के कारण ही भारत के सामने विश्व थर थर काँपता रहा […]
(यह लेख 2019 में प्रकाशित किया गया था) जलियांवाला बाग घटना। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अंग्रेज डायर द्वारा निहत्थे भारतीयों के खून से लिखी ऐसी दर्दनाक इतिहास की घटना है। जिसके इस वर्ष 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। पंजाब सहित देशभर में रौलेट एक्ट रूपी काला कानून देशवासियों को प्रथम […]
वैदिक धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन में स्वामी श्रद्धानन्द जी का महान योगदान है। उन्होंने अपना सारा जीवन इस कार्य के लिए समर्पित किया था। वैदिक धर्म के सभी सिद्धान्तों को उन्होंने अपने जीवन में धारण किया था। देश भक्ति से सराबोर वह विश्व की प्रथम धर्म-संस्कृति के मूल आधार ईश्वरीय ज्ञान ‘‘वेद” के अद्वितीय […]
महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार की अपनी यात्राओं में बंगाल वा कोलकत्ता को भी सम्मिलित किया था। वह राष्ट्र कवि श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर व उनके परिवार से उनके निवास पर मिले थे। आपका जन्म कोलकत्ता में 7 मई सन् 1861 को हुआ तथा मृत्यु भी कोलकत्ता में ही 7 अगस्त […]