========== संसार में अनेक मत-मतान्तर एवं संस्थायें हैं जो अतीत में भिन्न-भिन्न लोगों द्वारा स्थापित की गई हैं व अब की जाती हैं। इन संस्थाओं को स्थापित करने का इसके संस्थापकों द्वारा कुछ प्रयोजन व उद्देश्य होता है। सभी लोग पूर्ण विज्ञ वा आप्त पुरुष नहीं होते। वह सभी अल्पज्ञ ही होते हैं। अल्पज्ञ का […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
========== ऋषि दयानन्द ने देश-विदेश को एक नियम दिया है ‘अविद्या का नाश तथा विद्या की वृद्धि करनी चाहिये’। इस नियम को संसार के सभी वैज्ञानिक एवं सभी विद्वान मानते हैं। आर्यसमाज में सभी विद्वान अनुभव करते हैं कि देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तर इस नियम का पालन करते हुए दिखाई नहीं देते। इसी कारण […]
=========== वैदिक धर्म संसार का सबसे प्राचीन एवं एकमात्र धर्म है। अन्य धार्मिक संगठन धर्म न होकर मत व मतान्तर हैं। तथ्यों के आधार पर ज्ञात होता है कि सृष्टि के आरम्भ में ही वेदों वा वैदिक धर्म का प्रादुर्भाव ईश्वर से हुआ था। इससे सम्बन्धित जानकारी आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती जी ने […]
========= ऋषि दयानन्द ने देश-विदेश को एक नियम दिया है ‘अविद्या का नाश तथा विद्या की वृद्धि करनी चाहिये’। इस नियम को संसार के सभी वैज्ञानिक एवं सभी विद्वान मानते हैं। आर्यसमाज में सभी विद्वान अनुभव करते हैं कि देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तर इस नियम का पालन करते हुए दिखाई नहीं देते। इसी कारण […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक धर्म संसार का सबसे प्राचीन एवं एकमात्र धर्म है। अन्य धार्मिक संगठन धर्म न होकर मत व मतान्तर हैं। तथ्यों के आधार पर ज्ञात होता है कि सृष्टि के आरम्भ में ही वेदों वा वैदिक धर्म का प्रादुर्भाव ईश्वर से हुआ था। इससे सम्बन्धित जानकारी आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द […]
ओ३म् “वेदों का महत्व एवं उनका अध्ययन व प्रचार मानवमात्र का कर्तव्य वेदों का नाम प्रायः सभी लोगों ने सुना होता है परन्तु वेदों को अपना प्रमुख धर्मग्रन्थ माननेवाले आर्य वा हिन्दू भी वेदों के बारे में अनेक तथ्यों को नहीं जानते। हमारा सौभाग्य है कि हम ऋषि दयानन्द जी से परिचित हैं। उनके आर्यसमाज […]
========= हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना और न ही यह पौरुषेय रचना है। इस संसार को मनुष्य अकेले व अनेक मिलकर भी नहीं बना सकते। हमारा यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, सौर मण्डल तथा ब्रह्माण्ड अपौरुषेय और ईश्वर से रचित हैं। प्रश्न किया जा सकता है कि परमात्मा ने यह संसार क्यों बनाया है? परमात्मा […]
========== आज दिनांक 12-2-2024 को महर्षि दयानन्द जी का 200वां जन्म दिवस है। उनके जन्म दिवस को 200 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस अवसर पर ऋषि दयानन्द की जन्म भूमि टंकारा-गुजरात में एक भव्य एवं विशाल आयोजन किया गया है। इस आयोजन में दिनांक 11-2-2024 को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी […]
========= हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना और न ही यह पौरुषेय रचना है। इस संसार को मनुष्य अकेले व अनेक मिलकर भी नहीं बना सकते। हमारा यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, सौर मण्डल तथा ब्रह्माण्ड अपौरुषेय और ईश्वर से रचित हैं। प्रश्न किया जा सकता है कि परमात्मा ने यह संसार क्यों बनाया है? परमात्मा […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वेदों का नाम प्रायः सभी लोगों ने सुना होता है परन्तु वेदों को अपना प्रमुख धर्मग्रन्थ माननेवाले आर्य वा हिन्दू भी वेदों के बारे में अनेक तथ्यों को नहीं जानते। हमारा सौभाग्य है कि हम ऋषि दयानन्द जी से परिचित हैं। उनके आर्यसमाज आन्दोलन के एक सदस्य भी हैं और हमने […]