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इतिहास के पन्नों से

भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 3

बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु भारत के इतिहास में चोल राजाओं का विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को दूर-दूर तक फैलाने का बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है। भारतीय संस्कृति के प्रति अपने लगाव का प्रदर्शन करते हुए 1002 ईस्वी में राजाराज चोल द्वारा तमिलनाडु के तंजावुर स्थित प्रदेश और मंदिर को बनवाया […]

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भारतीय संस्कृति

भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 2

बिहार स्थित महाबोधि मंदिर भारतवर्ष वास्तव में सर्व संप्रदाय समभाव का देश रहा है। वैचारिक मतभेदों के उपरांत भी मानवता और धर्म के नाम पर हम सब एक रहे हैं । हमने कभी भी किसी की व्यक्तिगत पूजा पद्धति को अपने संबंधों के आड़े नहीं आने दिया। यही कारण रहा कि यहां पर विपरीत मत […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 1

क़ुतुबमीनार : हिंदू स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना 1974 में ‘वराह मिहिर स्मृति ग्रंथ’ के संपादक श्री केदारनाथ प्रभाकर ने इस स्तम्भ के बारे में विशेष तथ्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस स्तम्भ का निर्माण मेरु पर्वत की आकृति के आधार पर किया गया है। जिस प्रकार मेरु पर्वत का स्वरूप ऊपर की […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 12 • मथुरा के अमरलाल जोशी को कभी न भूलूंगा-

मथुरा में एक भद्रपुरुष अमरलाल नाम का था। उसने भी जब मैं विद्याध्ययन करता था, उस समय जो मेरे पर उपकार किये हैं उनको मैं कभी न भूलूंगा। पुस्तकों की सामग्री, खाने-पीने का प्रबन्ध उसने बहुत ही उत्तम मेरा कर दिया। उसे जब कहीं बाहर रोटी खाने को जाना होता तो प्रथम मुझको घर में […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 11 योगियों की खोज में नर्मदा के स्रोत की ओर-

चैत सुदी संवत् १९१४ वि० अर्थात् २६ मार्च सन् १८५७ बृहस्पतिवार को वहां से आगे चल पड़ा और उस ओर प्रयाण किया जिधर पहाड़ियां थीं और जिधर नर्मदा नदी निकलती है अर्थात् उद्गमस्थान की ओर चला (यह नर्मदा की दूसरी यात्रा थी ) मैंने कभी एक बार भी किसी से मार्ग नहीं पूछा। प्रत्युत दक्षिण […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 10 रावल जी से अन्तिम भेंट-

मुझे देखकर रावज जी और उनके साथी, जो सब घबराये हुए थे, आश्चर्य चकित रह गये और उन्होंने मुझसे पूछा कि आज सारे दिन तुम कहां रहे ? तब मैंने जो कुछ हुआ था अक्षरशः सुना दिया। उस रात्रि को थोड़ा सा खाना खाकर, जिससे कि मेरी शक्ति नये सिरे से लौटती हुई प्रतीत हुई- […]

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देश विदेश संपादकीय

मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस 12 मार्च पर विशेष : भारत मॉरीशस संबंध और राष्ट्रपति मुर्मू की मॉरीशस यात्रा

12 मार्च मॉरीशस का राष्ट्रीय दिवस है। इसी दिन यह देश 1968 में ब्रिटेन से आजाद हुआ था। मुझे मेरे मॉरीशस प्रवास के समय मॉरीशस और भारत के संबंधों पर गहरी पकड़ रखने वाले श्री राजनारायण गति जी ने बताया था कि 12 मार्च को ही महात्मा गांधी ने अपना ऐतिहासिक दांडी मार्च आरंभ किया […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 9 ओखीमठ का आडम्बर, ‘सत्य, योगविद्या व मोक्ष की खोज के लिये पागल ने ऐश्वर्य को यहां भी लात मारी-

परन्तु इस यात्रा की लालसा मुझे ओखीमठ को फिर ले गई ताकि वहाँ गुफा निवासियों का वृत्तान्त जानू । सारांश यह कि वहाँ पहुंच कर मुझे ओखीमठ के देखने का अच्छा अवसर प्राप्त हुआ जो कि बाहरी आडम्बर करने वाले पाखंडी साधुओं से भरा हुआ था। यहां के बड़े महन्त ने मुझे अपना चेला करने […]

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संपादकीय

मुगल वंश और राम भक्तों के बीच संघर्ष

मुगल थे शत्रु भारत के जो आए नाश करने को, करी इस्लाम की खिदमत मिटाके सनातन को। करें गुणगान मुगलों के खाकर अन्न भारत का, वह भी शत्रु भारत के ना समझे हैं सनातन को।। बाबर के पश्चात उसके साम्राज्य का उत्तराधिकारी उसका बड़ा बेटा हुमायूं बना। हुमायूं से बाबर कहकर मरा था कि वह […]

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समाज

महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 8 केदार घाट आदि में पंडितों व ब्राह्मणों से भेंट-

तत्पश्चात् मैं वहां से श्रीनगर को चल पड़ा। यहां मैंने केदारघाट पर एक मंदिर में निवास किया। यहां के पंडितों से बातचीत के समय जब कोई वादानुवाद का अवसर होता तो उनको उन्हीं तन्त्रों से हरा देता था। इस स्थान पर एक गंगागिरी नामक साधु से (जो दिन के समय अपने पर्वत से, जो एक […]

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