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इतिहास के पन्नों से

हिंदू राष्ट्रनीति व हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ,भाग 2

शिवाजी का चरित्र शिवाजी के भीतर भारतीय संस्कृति के महान संस्कार कूट-कूट कर भरे थे । वह सदैव अपने माता – पिता और गुरु के प्रति श्रद्धालु और सेवाभावी बने रहे । उन्होंने कभी भी अपनी माता की किसी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया और पिता के विरुद्ध पर्याप्त विपरीत परिस्थितियों के होने के उपरांत […]

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इतिहास के पन्नों से

हिंदू राष्ट्रनीति व हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज भाग 1

डॉ राकेश कुमार आर्य सन 1674 तक शिवाजी अधिकांश प्रांतों या क्षेत्रों पर अपना अधिकार स्थापित कर चुके थे जो उन्हें पुरंदर की संधि के अंतर्गत मुगलों को देने पड़े थे । अतः अब वह अपने आपको राजा घोषित कराने की तैयारी करने लगे थे । उधर मुगलों ने जब शिवाजी महाराज के उद्देश्यों को समझा […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

मोदी के भारत की अर्थव्यवस्था और उसकी चुनौतियां

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कई ऐसी सकारात्मक रिपोर्ट आई हैं जिनसे पता चलता है कि आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था में होगी। विदेशी मीडिया मोदी सरकार की उपलब्धियों पर बहुत कम प्रकाश डालता है । इसके पीछे कारण केवल एक है कि मोदी सरकार को वैश्विक मंचों पर बदनाम कर […]

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इतिहास के पन्नों से

अफगानिस्तान से मिटाए गए हिंदू प्रतीक*

* कई इतिहासकार अफगानिस्तान में हिंदू धर्म या वैदिक धर्म की मान्यताओं की स्थापना के काल को लेकर प्रश्न करते हैं कि यह वहाँ पर कब आरंभ हुआ ? फिर अपने इस प्रश्न का अपने आप ही वह उत्तर देते हैं कि इसकी कोई तिथि निश्चित नहीं है, ना ही कोई काल निश्चित है कि […]

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इतिहास के पन्नों से

…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें अध्याय 17 ओरछा के प्रसिद्ध ऐतिहासिक भवन और किले से

आज अपने समाचार पत्र “उगता भारत” की टीम के साथ ओरछा के प्रसिद्ध ऐतिहासिक भवन और किले को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यहां पर झांसी में रहने वाले अपने शुभचिंतक श्री मुन्ना लाल जी सेन के द्वारा इस ऐतिहासिक स्थल को दिखाने के लिए विशेष रूप से व्यवस्था की गई और हमारा प्रतिनिधिमंडल इस […]

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इतिहास के पन्नों से

…तो क्या इतिहास मिट जाने दें,अध्याय 18 ,ओरछा का संक्षिप्त इतिहास

ओरछा का हमारे गौरवपूर्ण हिंदू इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। यहां की कई वीरता पूर्ण रोमांचकारी घटनाएं भारतीय इतिहास की धरोहर हैं। जिनका उल्लेख हम यहां पर करेंगे। बेतवा नदी के किनारे पर बसा ओरछा कभी परिहार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। गुर्जर प्रतिहार राजवंश को ही परिहार के नाम से जाना जाता है। […]

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संपादकीय

नेहरू जी और मोदी जी में है मौलिक अंतर

जब जब कांग्रेस के नेताओं पर भाजपा के नेताओं और विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी की ओर से हमला बोला जाता है और किसी बात को लेकर कहा जाता है कि अमुक गलती नेहरू के जमा जमाने में हुई थी, तब तब कांग्रेस को बड़ी मिर्ची लगती है । कांग्रेस को आज भी यह लगता […]

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इतिहास के पन्नों से

….तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 16 मणिपुर समस्या और इतिहास का सच

. नवंबर 1984 में दंगे हुए। जिनमें सिखों का नरसंहार किया गया। निश्चित रूप से वह घटना बहुत ही निंदनीय थी। पर उससे पहले जिन अनेक हिंदुओं का पंजाब में कत्ल किया गया था उनकी चर्चा नवंबर 1984 के दंगों की चर्चा में दबकर रह गई। आज तक कभी आपने यह नहीं सुना होगा कि […]

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इतिहास के पन्नों से

तो क्या इतिहास मिट जाने दें : अध्याय 15, भारत के चूंडावत सरदार और चीन

भारत की सेना प्राचीन काल से ही न्याय और सत्य के लिए लड़ती आई है। हमने कभी दूसरों के अधिकारों के अतिक्रमण के लिए युद्ध नहीं किए हैं बल्कि दूसरों की रक्षा के लिए और मानवता का परचम फहराने के लिए युद्ध का आयोजन किया है। जर, जोरू जमीन के लिए जो लोग लड़ते रहे […]

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इतिहास के पन्नों से

महाभारत से कलिंग युद्ध तक गांधार प्रांत

जब अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, मालदीव और अन्य कई देश आर्यावर्त का एक अंग होते थे, उस समय इन सबके अपने-अपने राजा हुआ करते थे जो स्थानीय स्तर पर प्रजा की समस्याओं का निवारण किया करते थे। ये वैसे ही हुआ करते थे जैसे आज भारत […]

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