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संपादकीय

आर्य समाज और स्वामी रामभद्राचार्य का बयान

आर्य समाज के बारे में आज भी पौराणिक साधु संन्यासी उल्टी सीधी धारणाएं बनाने या अफवाह फैलाने का प्रयास करते रहते हैं। कारण कि ऐसा करने से उनका व्यापार फलता फूलता है।रामभद्राचार्य जी के द्वारा यह कहना कि स्वामी दयानंद जी महाराज राम, रामायण ,कृष्ण और गीता को काल्पनिक मानते थे, इसी प्रकार की काल्पनिक […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय 23 , हनुमान लंका जलाकर लौट आए राम के पास

हनुमान जी ने रावण की लंका को जलाया । इसका अभिप्राय यह नहीं है कि उन्होंने सारे लंका देश को ही जलाकर समाप्त कर दिया था। भारतीय धर्म और परंपरा भी ऐसा नहीं कहती कि निरपराध लोगों को आप अपने बल के वशीभूत होकर समाप्त कर दें। हमारे यहां पर संध्या में भी ‘यशोबलम’ की […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय 22 , हनुमान जी का अशोक वाटिका में उत्पात

हनुमान जी कूटनीति में बहुत निपुण थे। सीता जी से वार्तालाप करने के पश्चात वह अब राम जी के पास लौटने का मनोरथ बना चुके थे, पर तभी उनके मस्तिष्क में एक नया विचार आया। उन्होंने सोचा कि किसी प्रकार रावण से भी भेंट होनी चाहिए । जिससे कि उसके बल की भी जानकारी मिल […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत: दिल्ली सल्तनत और अफगानिस्तान

दिल्ली सल्तनत और अफगानिस्तान भा रत के वीर पराक्रमी शासकों, सेनानायकों और सैनिकों के सैकड़ों वर्ष के प्रतिशोध के पश्चात् तुर्क इस्लामिक आक्रामक भारत की राजधानी दिल्ली तक पहुँचने में सफल हो गए। 712 ई. से लेकर 12 जून, 1206 ई. तक हमारे कितने ही वीर बलिदानियों ने अपने बलिदान दे-देकर माँ भारती की सेवा […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय 21 , हनुमान – सीता संवाद

सीता जी के साथ संवाद करते हुए हनुमान जी ने उन्हें पूर्ण विश्वास दिला दिया कि वह कोई मायावी मनुष्य नहीं हैं अपितु श्री राम जी के दूत के रूप में उनके समक्ष उपस्थित हैं। सीता जी को जब यह विश्वास हो गया कि हनुमान जी रामचंद्र जी के द्वारा ही भेजे गए हैं तो […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय __ 20 , हनुमान जी का सीता जी से वार्तालाप

हनुमान जी पेड़ पर बैठे हुए सीता जी और रावण के संवाद को सुन चुके थे। उसके पश्चात की घटना और वार्तालाप को भी उन्होंने बड़े ध्यान से सुना। अब उनके सामने समस्या एक थी कि यदि वे सीधे सीता जी के समक्ष उपस्थित हो गए तो वे उन्हें एक अपरिचित व्यक्ति समझकर उनसे डर […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 19 , रावण ने दिया सीता जी को दो माह का समय

जब सीता जी ने रावण को लताड़ते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि चाह जो हो जाए, पर वह कभी उसकी भार्या नहीं बन सकतीं तो रावण अत्यधिक क्रोध में आ गया। तब उसने सीता जी से कहा कि तुम्हारे पास दो महीने का समय है। यदि इस काल में राम तुम्हें लेने नहीं आए […]

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संपादकीय

मॉरीशस की “कश्मीर समस्या” और भारत का दृष्टिकोण

अंग्रेजों का यह इतिहास रहा है कि उन्होंने अपनी कुटिलता का प्रयोग करते हुए अपने प्रत्येक उपनिवेश को छोड़ते समय या तो उसका विभाजन किया या उसमें ऐसी कोई स्थानीय समस्या खड़ी की, जो उस देश के लिए आज तक जी का जंजाल बनी हुई है। भारत छोड़ते समय अंग्रेजों ने न केवल भारत का […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 18 , सीता जी और रावण का संवाद

उस अशोक वाटिका में हनुमान जी ने एक ऊंचे उठे हुए गोलाकार भवन को देखा। यह भवन अत्यंत निर्मल था और ऊंचाई में आकाश से बातें करता था। उस भवन को देखते हुए हनुमान जी ने मैले वस्त्रों से युक्त रक्षसियों से घिरी हुई, उपवास करने से अत्यंत दुर्बल ,अत्यंत दु:खी , बार-बार लंबी सांस […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत *क्या कहते हैं कपिशा और बामियान के भग्नावशेष*

भा रतवर्ष के ग्रामों में आज भी हम देखते हैं कि एक ही कुल वंश के लोग सामान्यतया एक ही पट्टी या मोहल्ले में बसते हैं। इसी प्रकार कभी-कभी हम देखते हैं कि एक ही गोत्र के गाँवों की भी पट्टी बन जाती है, जिसमें दस-बीस या सौ- पचास ही नहीं कभी-कभी तो दो सौ […]

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