Categories
Uncategorised

धूला भंगी और हरवीर गुलिया

भारत के शौर्य की गाथा : मुगलकालीन भूले बिसरे हिंदू योद्धा भारत की धर्म – राष्ट्र – परंपरा को बनाए रखने के लिए अपने रक्त और पसीने को बहाने में वाल्मीकि समाज के लोगों का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन लोगों को भारत पर अवैध रूप से शासन करने वाले अलाउद्दीन खिलजी के […]

Categories
भारत के इतिहास के गौरव

भारत के इतिहास के गौरव : छावा संभाजी

डॉ राकेश कुमार आर्य संभाजी के पिता छत्रपति शिवाजी मैथिलीशरण गुप्त जी भारत के स्वर्णिम अतीत को रेखांकित करते हुए लिखते हैं :- उनके चतुर्दिक-कीर्ति-पट को है असम्भव नापना, की दूर देशों में उन्होंने उपनिवेश-स्थापना । पहुँचे जहाँ वे अज्ञता का द्वार जानो रुक गया, वे झुक गये जिस ओर को संसार मानो झुक गया॥” […]

Categories
कविता

इतिहास उसी का होता है ….

इतिहास एक झरोखा है, नव पीढ़ी शक्ति प्राप्त करे। शक्ति के अवगाहन से नव सृष्टि का निर्माण करे।। इतिहास स्वयं को पाने का साधन सबसे उत्तम है। साधना बनती साधन से, ऋषि -कथन ये उत्तम है।। फलवती साधना हो उसकी जिसका साधन सुथरा हो। इतिहास उसी का होता है, जो धर्म हित रण में उतरा […]

Categories
डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से समाज

वृद्ध आश्रमों की कारागार में पड़े ‘उग्रसेन’ और आज के कंस

डॉ राकेश कुमार आर्य पश्चिमी संस्कृति के घातक हमला ने भारत पर परमाणु बम से भी भयंकर प्रभाव डाला है। इस हमला के चलते भारत का सांस्कृतिक गौरव हमारे सामने भंग हो रहा है । मर्यादाएं टूट रही हैं । समाज में अब से पूर्व के प्रत्येक काल की अपेक्षा कहीं अधिक बेचैनी अनुभव की […]

Categories
इतिहास के पन्नों से डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से

जब देवकांत बरूआ ने इन्दिरा से कहा था – आप मुझे प्रधानमंत्री बना दो..

डॉ राकेश कुमार आर्य बात उस समय की है जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अपना निर्णय सुना दिया गया था। यह निर्णय 1971 में श्रीमती गांधी द्वारा रायबरेली से लड़े गए लोकसभा के चुनाव के दौरान उनके द्वारा बरती गई अनियमितताओं को लेकर सुनाया गया था। […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

गुर्जर शासकों के बारे में राणा हसन अली का विवरण

मानव की उत्पत्ति के संबंध में बहुत बड़ा स्रोत संस्कृत साहित्य है। इससे पता चलता है कि आर्यों के पूर्वज देव थे । – वेद में आर्यों के विभाजन या किसी जाति-पाति की बात कहीं नहीं मिलती। वेदों में सभी जगह राजा को राजन् तथा पुरोहित को ऋषि कहा गया है। कहीं-कहीं अध्यापक के लिए […]

Categories
डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से राजनीति

जातिगत जनगणना और भारत की राजनीति

डॉ राकेश कुमार आर्य भारत अपने सनातन मूल्यों के कारण एक जीवंत राष्ट्र है। इसके पास एक जीवंत इतिहास है। इसकी नैतिकताएं इसकी चेतना में वास करती हैं । इसकी मर्यादा संपूर्ण मानव समाज की मर्यादा है। इसका धर्म संपूर्ण मानवता का धर्म है और इसका चिंतन मानवता के कल्याण में सदा रत रहता है। […]

Categories
डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से देश विदेश

भारत की सामरिक शक्ति का लोहा मानता विश्व समाज

डॉ राकेश कुमार आर्य भारत ने हाल ही में जिस प्रकार पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक कर अपनी शक्ति का परिचय दिया है, उससे सारा संसार स्तब्ध रह गया है। संसार की बड़ी-बड़ी शक्तियों की आंखें खुल गई हैं उन्हें पता चल गया है कि वह भारत को जितना समझकर आंक।रहे थे , भारत उससे कई […]

Categories
डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से समाज

परिवारों से मिटता दादी मां का अस्तित्व चिंता का विषय

आज अनाथालयों में वृद्ध महिलाओं के झुंड आंसू बहा रहे हैं। हमारे देश की परंपरा तो “मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव” अर्थात माता-पिता, गुरु और अतिथि का देवता के समान सम्मान करना चाहिए- की रही है। इसके उपरांत भी यदि वृद्ध माताएं दुख के आंसू बहा रही हैं […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मुक्ति के अभिलाशी बन गये ‘दास’

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास ( खण्ड-01) वे थमे नहीं हम थके नहीं (अध्याय 8) डॉ राकेश कुमार आर्य इसीलिए महाभारत (अ. 145) में कहा गया है कि शासक को चाहिए कि भयातुर मनुष्यों की भय से रक्षा करे, दीन-दुखियों पर अनुग्रह करे, कर्तव्य अकर्तव्य को विशेष रूप से समझे तथा राष्ट्र […]

Exit mobile version