डॉ. वन्दना सेन श्रीराम जीवन की मर्यादा हैं। सांस्कृतिक प्रेरणा है। समरसता का पर्याय हैं। भारतीय सांस्कृतिक दर्शन की धारा को प्रवाहित करने वाले भारतीय साहित्य में वसुधैव कुटुम्बकम का भाव सदैव समाहित रहा है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण और संत तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस ने सामाजिक समरसता के भाव का प्रवाहन बहुत ही […]