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विधि-कानून

केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले का पूरा लेखा-जोखा

अभिनय आकाश आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को क्या ताकत दे दी है। अपील, आदेश, असर और आगे क्या होगा, कुल मिलाकर कहें तो दिल्ली में अधिकारों पर सुप्रीम आदेश का पूरा लेखा-जोखा। कचरा ई गेंद हमका दौड़ लेना ही होगा। अब गेम की आखिरी दो गेंद बची है। लेकिन कचरा […]

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महत्वपूर्ण लेख विधि-कानून

ईडी और सीबीआई छापे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले से भ्रष्ट नेता पड़े अलग-थलग : भविष्य में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को और मिलेगा बल

अशोक मधुप हाल ही में मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्यायालय ने दो साल की सजा सुनाई। सजा न्यायालय ने की किंतु सभी दल एक सुर में दोष केंद्र सरकार और भाजपा को दे रहे हैं। कांग्रेस तो इस मामले को लेकर आंदोलन भी शुरू कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट […]

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विधि-कानून

विधि व्यवसाय अथवा वकालत में प्रगति के कुछ पहलू

ऋषिराज नागर (एडवोकेट) हमारे देश में विधि-व्यवसाय या वकालत एक सम्मानजनक व्यवसाय या कार्य है। इसलिए वकील को इस पेशे की मर्यादा का ध्यान रखकर मेहनत – ईमानदारी,लगन के साथ अपना कार्य करना पड़ता है। शुरुआत – “सर्वप्रथम वकील को समय पर अपने आफिस जाना चाहिए, जो भी वादकारी वकील के आफिस पर अपना कार्य […]

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कॉलेजियम सिस्टम और न्यायपालिका

क्या कलीजियम सिस्टम से जुडिशरी को है खतरा? सुधांशु रंजन वर्ष 1993 से पहले तक हमारे देश में जज खुद जजों की नियुक्ति नहीं करते थे। यह काम सरकार करती थी। उस समय सरकार नए जजों की नियुक्ति, उनके ट्रांसफर और उनके प्रमोशन की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को भेजती थी। फिर […]

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विधि-कानून

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि क्यों चाहती है केंद्र सरकार?

गौतम मोरारका देखा जाये तो उच्चतम न्यायालय की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री के बयान के बाद कुछ पूर्व न्यायाधीशों ने भी इस मुद्दे पर बयान दिये जिस पर न्यायालय ने नाखुशी भी जताई थी। केंद्रीय कानून मंत्री ने मुख्य न्यायाधीश को […]

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विधि-कानून

नफरती बयानों पर तुरंत रोक लगे

डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय का सरकार से यह आग्रह बिल्कुल उचित है कि नफरती बयानों पर रोक लगाने के लिए वह तुरंत कानून बनाए। यह कानून कैसा हो और उसे कैसे लागू किया जाए, इन मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संसद, सारे जज और न्यायविद् और देश के सारे बुद्धिजीवी मिलकर […]

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विधि-कानून

न्यायतंत्र बनाम राजतंत्र से लोकतंत्र खतरे में

के. विक्रम राव यदि सर्वोच्च न्यायालय और संसद परस्पर उदार सहयोग करने पर गौर नहीं करते हैं तो भारत के संवैधानिक इतिहास में भयावह विपदा की आशंका सर्जेगी। न्यायपालिका और विधायिका का आमना-सामना तीव्रतर होना लोकतंत्र पर ही प्रश्न लगा देगा। राज्यसभा में NJAC (जजों की नियुक्ति-आयोग) पर कड़वी बहस से ऐसे ही आसार उभरे […]

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विधि-कानून

अदालत का मारा ! कहां पनाह पाये ?

के. विक्रम राव आज एक खबर पढ़ी, इलाहाबाद हाईकोर्ट की बाबत। लुभावनी लगी। हृदयग्राही भी। मगर थी बड़ी पीड़ादायिनी । व्यथित हुआ। हाईकोर्ट का हाईटेक होना तो सुना था पर उसका अर्दली भी हाईटेक हो जाये ? अद्यतन बन जाए ! (हाईटेक का अर्थ हैं ऑक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार : “अत्याधुनिक मशीनों, खासकर इलेक्ट्रॉनिक तथा […]

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अन्य विधि-कानून

गैर आरक्षित वर्ग एकजुट नहीं है, इसलिए राजनीतिक दलों को कोई परवाह नहीं है

योगेंद्र योगी आरक्षण बोतल का ऐसा जिन्न है, जिसे सभी राजनीतिक दल निकाल कर अपनी स्वार्थसिद्धी करना चाहते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसके नुकसान-फायदे के बारे में कभी विचार नहीं किया जाता। विशेषकर देश और समाज को होने वाले नुकसान की किसी को चिंता नहीं है। आर्थिक आधार पर दिए गए आरक्षण के […]

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विधि-कानून

जजों की नियुक्ति ? अपनों ही द्वारा होना बेढंगा है

के. विक्रम राव एक वैधानिक संयोग हुआ। बड़ा विलक्षण भी ! दिल्ली में कल भारतीय संविधान की 73वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर शीर्ष न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में खुला वैचारिक घर्षण दिखा। दो विभिन्न मंचों पर, विषय मगर एक ही था : “जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया।” वर्तमान तथा भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश, दोनों ही अलग […]

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