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बिखरे मोती

जाति नहीं गुणवान का सर्वदा हो सम्मान

बिखरे मोती-भाग 176 गतांक से आगे…. अहंता भगवान में लग जाने पर चित्त स्वत: स्वाभाविक भगवान में लग जाता है-जैसे शिष्य बन जाने पर ‘मैं गुरू का हूं।’ इस प्रकार अहंता गुरू में लग जाने पर गुरू की यादें सर्वदा चित्त में बनी रहती हैं। वैसे देखा जाए तो गुरू के साथ शिष्य स्वयं संबंध […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

इतिहास हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है

इतिहास की विशेषता इतिहास किसी जाति के अतीत को वर्तमान के संदर्भ में प्रस्तुत कर भविष्य की संभावनाओं को खोजने का माध्यम है। इतिहास अतीत की उन गौरवपूर्ण झांकियों की प्रस्तुति का एक माध्यम होता है जो हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है और उन्हें संसार में आत्माभिमानी, आत्म सम्मानी और स्वाभिमानी बनाता […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-49

कामनाएं पूर्ण होवें यज्ञ से नरनार की भोजन के समय की जाने वाली कामना भोजन करते समय हमारी कामनाएं कैसी हों इस पर भी वेद हमारा मार्गदर्शन करता है। वेद के इस मार्गदर्शन का बड़ा ही मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ हमें मिलता है। हमारे अक्सर रोगग्रस्त रहने का कारण यही है कि हम भोजन करते […]

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बिखरे मोती

मत रम मन संसार में, सपनेवत् संसार

बिखरे मोती-भाग 175 गतांक से आगे…. सहज नहीं कूटस्थ व्रत, दुर्लभ पूरा होय। शक्ति शान्ति सुकून तो, फिर पीछे-पीछे होय ।। 1101 ।। व्याख्या :- भगवान कृष्ण ने गीता के छठे अध्याय के आठवें श्लोक में इसकी व्याख्या करते हुए कहा है-‘कूटवत तिष्ठतीति कूटस्थ:‘ अर्थात जो कूट (अहरन) की तरह स्थित रहता है, उसको कूटस्थ […]

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बिखरे मोती

यथा शक्ति संचित करो, जीवन में सत्कर्म

बिखरे मोती भाग-80  मृत पुरुष परलोक में, केवल जाए न आप। उसके संग लिपटे चलें, किए पुण्य और पाप ॥845॥ मृत पुरुष अर्थात- मृतक की जीवात्मा परलोक में केवल अकेली नहीं जाती है, अपितु उसने अपने जीवन में कितने पाप और पुण्य किए इसका लेखा-जोखा भी उसके साथ जाता है। इसलिए हे मनुष्य! जितना हो […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती भाग-79

अहंकार को जीत ले, करना तू प्रणिपात बेशक तन से अपंग हो, पर मन से हो बलवान। ऐसे नर आगे बढ़ें, सब देखकै हों हैरान ॥837॥ भाव यह है कि मनुष्य बेशक तन से विकलांग हो किन्तु मन से विकलांग न हो, उनके मन में कुछ कर गुजरने का एक जुनून हो तो सफलता एक […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 44

कंगन शोभा न हाथ की, हाथ की शोभा दान व्यक्ति को जब ज्ञान, भक्ति और प्रेम की समन्वित पराकाष्ठा प्राप्त होती है तो देवत्व का जागरण होता है, जिससे भगवत्ता प्राप्त होती है। तब यह सात्विक तेज दिव्य आत्माओं के मुखमण्डल पर आभामण्डल (ORA) बनके छा जाता है। इसे ही सौम्यता कहते हैम, दिव्यता कहते […]

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आतंकवाद

डिजिटल आतंकवाद की चुनौती

संजीव पांडेय पिछले कुछ समय से भारत में आइएस यानी इस्लामिक स्टेट की गतिविधियां एकाएक बढ़ी हैं। आइएस से जुड़े कई आतंकी गिरफ्तार किए गए। लखनऊ में आइएस से प्रभावित एक आतंकी को पुलिस ने मार गिराया। आइएस से प्रभावित आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ से कई खुलासे हुए हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की […]

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संपादकीय

सर्वधर्म-समभाव का भ्रम-4

राजनेताओं से जनता निराश आज राजा और उसके चाटुकार सभी घोटालों में फंसे पड़े हैं। जनसेवा जीवन का उद्देश्य नहीं रह गयी है। जब राजा इस प्रकार का आचरण कर रहा हो तो प्रजा तो उसका अनुकरण करेगी ही। फलस्वरूप– चराजा की देखा–देखी जनता अपने राजधर्म से विमुख है, अपने राष्टरधर्म से विमुख है। चदेश […]

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विशेष संपादकीय

लोकतंत्र तेरी जय हो

विशेष सम्पादकीय :  महाभारत में आया है कि ऐसा राजा जो प्रजा की रक्षा करने में असमर्थ है और केवल जनता के धन को लूटना ही जिसका लक्ष्य होता है और जिसके पास कोई नेतृत्व करने वाला मंत्री नहीं होता वह राजा नहीं कलियुग है। समस्त प्रजा को चाहिए कि ऐसे निर्दयी राजा को बांध कर […]

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