डॉ. राधे श्याम द्विवेदी रामनगरी अयोध्या कभी तंग सड़कों और बदहाल रास्तों के लिए जानी जाती थी, लेकिन जब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके कायाकल्प का संकल्प लिया है तब से अयोध्या निरन्तर प्रगति कर रही है। सारे संपर्क के रास्ते चौड़े हो चुके हैं, आवागमन सुगम हो चुका है। यहां विकास की ऐसी […]
श्रेणी: विशेष संपादकीय
किसी भी राष्ट्र में विधि का प्रथम एवं परम उद्देश्य है – समाज में सामाजिक न्याय को स्थापित किया जाना। भारतवर्ष में भारतीय संविधान विधि का मूल स्रोत एवं मानक है अर्थात समस्त विधियां संविधान की अवधारणा को केंद्र में रखते हुए क्रियान्वित करने और वास्तविक स्वरूप देने में लगी हैं। इसमें दोनों प्रकार की […]
स्वतंत्र भारत में इतिहास लेखन की जिम्मेदारी भारत के पहले शिक्षामंत्री मौलाना आजाद ने संभाली। 1948 में मौलाना साहब ने एक शिक्षा आयोग की स्थापना की। इस आयोग में दो अंग्रेज थे तथा अन्य सदस्य अंग्रेजी मानसिकता में रचे बसे हुए दास मानसिकता वाले थे। ये लोग नही जानते थे कि भारत की शिक्षा प्रणाली […]
देश में एक ‘घड़ियाल’ के मरने के बाद घड़ियाली आंसू बहाने वालों की संख्या देखते ही बनती है। कुछ लोग हैं जो अतीक रूपी घड़ियाल के मरने के बाद ऐसे आंसू बहा रहे हैं जैसे उनकी बहुत बड़ी हानि हो गई हो। जबकि ये भली-भांति जानते हैं कि कुछ समय पहले यही अतीक अहमद कितने […]
प्रो. संजय द्विवेदी अमृतकाल का समय सोते हुए सपने देखने का नहीं, बल्कि जागृत होकर संकल्प पूरे करने का है एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में, 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर यह कालखंड एक जीवन-यात्रा जैसा है। हमारे […]
कुछ लोग भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए यह तर्क देते हैं कि भारत में प्राचीन काल से ही सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के प्रति लोगों में सतर्कता बनी रही है । इस बात से किसी सीमा तक हम भी सहमत हैं , परंतु हमारी सहमति वहीं तक है जहां तक […]
समकालीन इतिहास के एक दैदीप्यमान नक्षत्र वेद प्रताप वैदिक जी का अवसान हो गया है। भारत की राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिए उनका अवसान निश्चय ही दु:खद है। उन जैसे राष्ट्रवादी चिंतक पत्रकार का जाना पत्रकारिता जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति है। उन्होंने पत्रकारिता जगत में रहते हुए भारत के इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष, भारत के […]
भारत ने अपनी स्वाधीनता के आंदोलन को उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ा था। भारत जैसे विशाल देश में चल रहे इस आंदोलन का दुनिया के अन्य देशों पर व्यापक प्रभाव पड़ा और इसी का परिणाम था कि द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात ब्रिटेन सहित उन सभी देशों को अपने – अपने सभी उपनिवेशों […]
पंजाब में एक पुलिस थाने पर खालिस्तान समर्थकों का हमला होना इस बात का संकेत और संदेश है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के चलते पंजाब फिर आतंकवाद और अलगाववाद की डगर पर चल पड़ा है। वैसे भी यह एक सर्वमान्य सत्य है कि खालिस्तान समर्थकों का दिमाग ठीक नहीं है और विदेशी शक्तियां […]
1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो उस समय विभाजन की पीड़ा को झेलते हुए 10 लाख लोग मरे या 20 लाख लोग मरे ? यह आंकड़ा कभी स्पष्ट नहीं किया गया। कांग्रेस की इसी गलत सोच का परिणाम था कि मुस्लिम लीग और इस्लाम के मजहबपरस्त उन्मादी लोग अपनी सांप्रदायिकता का नंगा नाच […]