भरत अपने भाई रामचंद्र जी की चरण पादुका लेकर वन से अयोध्या धाम लौट आए। तब उन्होंने फिर एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने निर्णय लिया कि जिस प्रकार उनके भाई रामचंद्र जी इस समय वनों में रह रहे हैं, वे स्वयं भी इसी प्रकार राज भवन से दूर नंदीग्राम में निवास करेंगे। वहां पर उन्होंने […]
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