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संपादकीय

सर्वधर्म-समभाव का भ्रम-4

राजनेताओं से जनता निराश आज राजा और उसके चाटुकार सभी घोटालों में फंसे पड़े हैं। जनसेवा जीवन का उद्देश्य नहीं रह गयी है। जब राजा इस प्रकार का आचरण कर रहा हो तो प्रजा तो उसका अनुकरण करेगी ही। फलस्वरूप– चराजा की देखा–देखी जनता अपने राजधर्म से विमुख है, अपने राष्टरधर्म से विमुख है। चदेश […]

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संपादकीय

सर्वधर्म-समभाव का भ्रम-3

सर्वधर्म–समभाव का भ्रम-3 राकेश कुमार आर्य हमें चाहिए कि हम धर्म के वास्तविक अर्थों को समझें, ग्रहण करें और मानवीय समाज के शत्रु संप्रदायों के दानवी स्वरूप को त्यागें। किसी भी मजहब अथवा संप्रदाय की धर्म पुस्तकों की उन व्यर्थ बातों को भूलने और मिटाने का संकल्प लें जो सृष्टिïक्रम और विज्ञान के सिद्घांतों के […]

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