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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

भारत को जातियों में बांटने वाले मक्कार इतिहासकार

सहारनपुर दंगों के मर्म को समझने के लिए अपने इतिहास के इस सच को भी समझना होगा। भारत में आर्यों को विदेशी बताने वालों ने ही यहां गोरे-काले अथवा आर्य-द्राविड़ का भेद उत्पन्न किया। जिससे यह बात सिद्घ हो सके कि भारत में तो प्राचीन काल से ही गोरे-काले का भेद रहा है और यहां […]

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बिखरे मोती

जाति नहीं गुणवान का सर्वदा हो सम्मान

बिखरे मोती-भाग 176 गतांक से आगे…. अहंता भगवान में लग जाने पर चित्त स्वत: स्वाभाविक भगवान में लग जाता है-जैसे शिष्य बन जाने पर ‘मैं गुरू का हूं।’ इस प्रकार अहंता गुरू में लग जाने पर गुरू की यादें सर्वदा चित्त में बनी रहती हैं। वैसे देखा जाए तो गुरू के साथ शिष्य स्वयं संबंध […]

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संपादकीय

‘‘भारतीय समाज की जटिलता-जाति व्यवस्था’’

पी.डी. ओस्पेंस्की ने ‘‘ए न्यू मॉडल ऑफ  दी यूनीवर्स’’ पृष्ठ 509 पर लिखा है: ‘‘मनुष्यों का चार वर्णों में वर्गीकरण एक आदर्श समाज व्यवस्था है। इसका कारण यह है कि वास्तव में यह एक स्वाभाविक वर्गीकरण है। चाहे लोग इसे चाहें या न चाहें, चाहे वे इसे मानें या न मानें मगर वे चार वर्गों […]

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राजनीति

जाति केन्द्रित हो गया है बिहार का चुनावी दंगल

मदन तिवारी बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। बुधवार को चुनाव आयोग ने बिहार में होनी वाले आगामी मतदान की तारीखों का ऐलान कर दिया है। अक्टूबर माह से लेकर नवम्बर के शुरूआती हफ्ते में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में कुल पांच चरण में मतदान कराने की घोषणा की गयी है। इसके […]

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