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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महान क्रांतिकारी वीरांगना कल्पना दत्त

विक्रम सिंह डाला कल्पना दत्त देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाली महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। इन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए क्रांतिकारी सूर्यसेन के दल से नाता जोड़ लिया था। 1933 ई. में कल्पना दत्त पुलिस से मुठभेड़ होने पर गिरफ़्तार कर ली गई थीं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या आर्य विदेशी थे ?

कार्तिक अय्यर (तमिल नाडु के अभिनेता कमल हासन ने अपनी विघटनकारी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए बयान दिया हैं कि द्रविड़ संस्कृति के तले दक्षिण भारतीयों को एक हो जाना चाहिए। ये लोग सम्पूर्ण भारतवर्ष को एक महान राष्ट्र बताने के स्थान पर केवल तोड़ने की बात करते हैं। आर्यों के विदेशी होने की कल्पना […]

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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

भारत के एकमात्र ऐसे नायक जिन्हें उनके निधन पर लपेटा गया था 3 देशों के झंडों में

भारत के एकमात्र ऐसे व्यक्ति बीजू पटनायक है जिन के निधन पर उनके पार्थिव शरीर को तीन देशों के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था।भारत,रूस और इंडोनेशिया….. बीजू पटनायक पायलट थे और जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ संकट में घिर गया था तब उन्होंने लड़ाकू विमान डकोटा उड़ा कर हिटलर की सेनाओं […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

क्या सावरकर जी ने अंग्रेजी सरकार से मांगी थी माफी ?

एक साल पहले खबर आई थी कि अंडेमान प्रशासन के पास सावरकर जी के माफीनामे का कोई रिकार्ड नहीं है। विस्तार से जानिए सावरकर जी को। सावरकर को लेकर ये बहुत बड़ा भ्रम फैलाया जाता है कि उन्होंने मर्सी पिटीशन फाइल कर माफी मांगी थी. ये कोई मर्सी पिटीशन नहीं थी ये सिर्फ एक पिटीशन […]

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इतिहास के पन्नों से

जब अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था कि दूल्हा तो वीपी सिंह ही हैं

विजय त्रिवेदी बात 1991 के आम चुनावों की है। दूरदर्शन पर चुनावों के नतीजों का लाइव प्रसारण था और मैं पहली बार लखनऊ में था, हजरतगंज की भीड़भरी सड़क पर अपने गेस्ट मुलायम सिंह यादव के साथ। उनके पीछे खड़े पचासों समर्थक कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे। पांच दिनों से कई बार रिहर्सल हुआ था। […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत में एक शताब्दी पूर्व दलितोद्धार

. महर्षि दयानन्द ने जन्मना जाति व्यवस्था का विरोध कर गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित करने का आन्प्दोलन किया जिसे वेदानुसार वर्ण व्यवस्था कहा जाता है । महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन के आचार-विचार-व्यवहार से अपने शिष्यों व भक्तों का मार्गदर्शन किया। नारी जाति व दलित शूद्रों बन्धुओं को उन्होंने वेदाध्ययन का अधिकार दिलाया […]

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इतिहास के पन्नों से

उन्मुक्त विकसित सहृदय था प्राचीन भारत

जो लोग भारत को पिछड़ा हुआ कहता हैं उन्हें प्राचीन भारत का अध्ययन करना चाहिए विशेषतः विदेशी यात्रियों के वृतांत का। ऐसा ही एक यात्री था चीनी यात्री ह्वेन त्सांग । उसने अपनी यात्रा 29 वर्ष की अवस्था में 629 ई. में प्रारम्भ की थी। यात्रा के दौरान ताशकन्द, समरकन्द होता हुआ ह्वेन त्सांग 630 […]

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इतिहास के पन्नों से

चौरी चौरा कांड और इतिहास की चार भूलें

इतिहास केवल वह नही हैं जो हमें पढ़ाया गया वरन असल इतिहास वह हैं जो हमसे छुपाया गया। उन्ही में से एक हैं चौरी चौरा कांड। ये इतिहास की भयंकर भूले ही कही जाएंगी कि 4 फरवरी 1922 में घटित घटना में उन अंग्रेजी हुकूमत के पुलिस कर्मियों के शहीद स्मारक बना दिए गये जिन्होंने […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या महर्षि दयानंद की तत्कालीन वायसराय गवर्नर जनरल लार्ड नॉर्थब्रुक से भेंट हुई थी?

———————– – डॉ. भवानीलाल भारतीय अम्बाला निवासी दीवान अलखधारी नामक एक सज्जन ने मेरठ कॉलेज मेरठ की पत्रिका में 1963 में एक लेख प्रकाशित कराया जिसका शीर्षक था – Dayanand : Political Genius. इसमें उन्होंने महर्षि दयानन्द के 1873 के कलकत्ता प्रवास के समय की एक घटना का उल्लेख किया जिसके अनुसार महर्षि ने भारत […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

हिंदुत्व की चेतना के स्वर

प्राचीन काल में हम जिसे आर्यत्व की उच्चतम साधना के नाम से जानते थे वही आधुनिक सन्दर्भ में हिन्दुत्व है। हिन्दू की जीवन शैली का नाम हिंदुत्व है, और भारत की प्राचीन जीवन शैली का नाम आर्यत्व है। हिंदुत्व को वर्तमान समय में हमारे न्यायालय और अनेकों विद्वानों ने भारत की चेतना के सबसे अधिक […]

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