लेखक :- मृणाल प्रेम वह सावरकर ही थे जिन्होंने पहले मराठी और फिर अंग्रेजी में प्रकाशित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’/The Indian War of Independence के ज़रिए इस लड़ाई के असली रूप को जनचेतना में पुनर्जीवित किया। न ही भाजपा-संघ वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में बात करते थकते हैं और न ही कॉन्ग्रेस […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
अनिरुद्ध जोशी प्राचीन काल में ऐसी कई भाषाएं या उनकी लिपियां लुप्त होकर अब रहस्य का विषय बनी हुई है। भारत की इन लिपियों का रहस्य खुल जाए तो भारत के प्राचीन इतिहास का भी एक नया ही आयाम खुल सकता है। भारत में कई जगह ऐसी लिपियों में कुछ लिखा हुआ है जिन्हें अभी […]
भारत के सेक्युलर प्रजाति के लोग यह कहने से शर्माते हैं कि हम श्रीराम के वंशज हैं, किन्तु क्या आप जानते हैं कि भारत से पाँच हज़ार किमी दूर कोरिया के निवासी बड़े गर्व से कहते हैं कि हम अयोध्या की राजकुमारी श्रीरत्ना अथवा सूरीरत्ना के वंशज हैं? दक्षिण कोरियाई मानते हैं कि उनके वंश […]
राजस्थान की वर्तमान काँग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार के कई निर्णयों को बदल दिया है, जैसे— योग दिवस का निषेध और इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में व्यापक फेर-बदल। कक्षा 10 की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में विनायक दामोदर सावरकर की जीवनीवाले हिस्से में बदलाव इसी का परिणाम है। तीन साल पहले भाजपा सरकार के दौरान […]
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक भगवान् बुद्ध एक विख्यात महापुरुष थे। वे वेद, आर्य अथवा ब्राह्मण आदि के विरोधी नहीं बल्कि उनका अति सम्मान करने वाले थे। वे इनके नाम पर हो रहे पापों से घृणा अवश्य करते थे, परन्तु इनके यथार्थ स्वरूप का कुछ-कुछ भान उनके हृदय में भी था। इस कारण उनके विचार इनके प्रति […]
प्रवीण गुगनानी वैसे तो विधर्मी आक्रांताओं के विरुद्ध भारत भूमि ने हजारों-लाखों लाल जन्मे हैं किंतु औपनिवेशिक आक्रांताओं के विरुद्ध जो आदि विद्रोही हुये या प्रथम लड़ाके हुये उस वीर को तिलका मांझी के नाम से जाना जाता है। तिलका मांझी को जबरा पहाड़िया नाम से भी जाना जाता है। ऐसा निस्संकोच कहा जा […]
#डॉविवेकआर्य राम मंदिर निर्माण निधि के लिए धन संग्रह करते हुए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा श्री राम जी के लिए ‘इमाम-ए-हिन्द’ का प्रयोग किया गया। हिन्दू समाज इस शब्द से प्राय: परिचित ही नहीं है। इतिहास में यह सम्बोधन अल्लामा इक़बाल द्वारा अपनी इस रचना में श्री राम जी के लिए प्रयोग किया गया था। […]
24 फरवरी/बलिदान-दिवस राजस्थान में अनेक वीरों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, जिससे उनकी छवि लोकदेवता जैसी बन गयी। कल्ला जी राठौड़ ऐसे ही एक महामानव थे। उनका जन्म मेड़ता राजपरिवार में आश्विन शुक्ल 8, विक्रम संवत 1601 को हुआ था। इनके पिता मेड़ता के राव जयमल के छोटे भाई आसासिंह थे। […]
बहुत पुराना है भारत में इस्लामिक आतंकवाद हिन्दुओं के बारे में अलाउद्दीन को दी गई थी यह सलाह इलियट एंड डाउसन की पुस्तक हिस्ट्री ऑफ इंडिया से (वेबैक मशीन., Vol. 3, Trubner & Co., London, pages 183-185) हमें पता चलता है कि धार्मिक हिंसा का ये प्रक्ररण न केवल सेना के द्वारा रचा गया, अपितु […]
जिन सावरकर को अंग्रेजों ने अपनी हुकूतम के लिए इतना खतरनाक माना था कि डबल कालापानी की सजा दी थी वो लेफ्ट लिबरल गैंग की नजर में कायर थे और जो लोग औपनिवेशिक काल में फ्रेंडली जेल जाते थे उन्हें इस गैंग ने परमवीर स्वतंत्रता सेनानी घोषित कर दिया. 26 फरवरी को वीर सावरकर की […]