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इतिहास के पन्नों से

नेहरू की इतिहास दृष्टि, भाग – 1

  लेखक:- डॉ. शंकर शरण बहुतेरे विदेशी लोग, और बड़ी संख्या में भारतीय उच्च-शिक्षित लोग भी भारत में ब्रिटिश राज से पहले के शासन को सामान्यतः ‘मुगल शासन’ के रूप में ही जानते हैं। वे समझते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य वस्तुत: मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी था। उन्हें यह मोटा सा तथ्य ध्यान नहीं रहता कि […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी को जब धूल चटाई थी असम के राजा पृथु ने

बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर कामरूप (असम) की धरती पर आया है…अगर तू और तेरा एक भी सिपाही ब्रह्मपुत्र को पार कर सका तो मां चंडी (कामातेश्वरी) की सौगंध मैं जीते-जी अग्नि समाधि ले लूंगा…* *राजा_पृथु” 27 मार्च 1206 को असम की धरती पर एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई जो मानव […]

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इतिहास के पन्नों से

फिर से होगा अखंड भारत

लेखिका:-प्रो. कुसुमलता केडिया सामान्यजन के मन में है कि हो गया, जो होना था, अब तो यह इतना ही भारत रहेगा। यहां तक कि 14 अगस्त 1947 को जो भारत था, जिसके बड़े हिस्से को अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट एवं ट्रूमेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल और एटली तथा भारत के गांधीजी, श्री नेहरू, मुहम्मद अली जिन्ना तथा […]

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भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें : काला पहाड़

बांग्लादेश। यह नाम स्मरण होते ही भारत के पूर्व में एक बड़े भूखंड का नाम स्मरण हो उठता है। जो कभी हमारे देश का ही भाग था। जहाँ कभी बंकिम के ओजस्वी आनंद मठ, कभी टैगोर की हृद्यम्य कवितायेँ, कभी अरविन्द का दर्शन, कभी वीर सुभाष की क्रांति ज्वलित होती थी। आज बंगाल प्रदेश एक […]

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भारतीय वस्त्र उद्योग को तार-तार किया अंग्रेजों ने

विनाशपर्व लेखक:- प्रशांत पोळ हजार – दो हजार वर्ष पहले, जब भारत विश्व व्यापार में सिरमौर था, तब उस व्यापार का एक बड़ा हिस्सा था – कपड़ा उद्योग का. चाहे सूती वस्त्र हो, या रेशम – मलमल का, भारतीयों का डंका सारी दुनिया में बजता था. यूरोप को सूती वस्त्र पहनाएं भारत ने ! उन्हे […]

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इतिहास के पन्नों से

कांग्रेस कभी अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकना चाहती ?

🙏बुरा मानो या भला —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” आजकल बढ़ती हुई महंगाई और ग़रीबी पर बोलने के लिए कांग्रेसी नेताओं औऱ उनके समर्थकों में एक होड़ सी लगी है। आइये आपको बताते हैं कि ग़रीबी क्या है जिसकी चर्चा कांग्रेसी हर चौराहे पर कर रहे हैं। “गरीबी एक मानसिक अवस्था है। खाना, पैसे या भौतिक चीजों […]

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Uncategorised इतिहास के पन्नों से

महाराजा सुहेलदेव ……. जिनकी तलवार के तूफान से अरब और ईरान के घर घर में बुझ गए थे चिराग

बहराइच में तुर्की हमलावर गाजी सालार मसूद की दरगाह पर चादर चढ़ाने के बाद एक बार फिर महाराज सुहेलदेव का नाम सुर्खियों में आ गया है। वो इसलिए क्योंकि महाराजा सुहेदलेव ही थे जिन्होंने 17 बार सोमनाथ मंदिर का विध्वंस करने वाले महमूद गजनवी और उसके भांजे गाजी सालार मसूद से ऐतिहासिक बदला लिया था। […]

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इतिहास के पन्नों से

इस्लाम ‘द्विराष्ट्र’ का सिद्धान्त अपने साथ लाया

राकेश सैन भारतीय इतिहास में मोहम्मद अली जिन्ना को मुख्य रूप से इस अलगाववादी सिद्धांत का पुरोधा माना जाता है। उन्होंने कहा था- हिन्दू मुस्लिम एक नहीं बल्कि दो राष्ट्र हैं। द्विराष्ट्र सिद्धान्त भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों के हिन्दुओं से अलग पहचान का सिद्धान्त है। देश में धर्म के नाम पर बंटवारा चाहे स्वतन्त्रता प्राप्ति […]

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इतिहास के पन्नों से

आखिर है ही क्या हिंदू ?

  स्वामी धर्मबंधु कुछ लोग हिन्दू शब्द को ऋग्वेद में ढूंढ़ने का बौद्धिक विलास जैसा करते हैं, परन्तु वेद और उसके अंग में जैसे ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद,अथर्ववेद, आयुर्वेद, धनुर्वेद, गन्धर्ववेद, अर्थवेद, ऐतरेय ब्राह्मण, शतपथ ब्राह्मण, ताण्ड्य ब्राह्मण, साम ब्राह्मण, विंश ब्राह्मण, गोपथ ब्राह्मण या किसी १०२७ वेद की शाखाओ में हिन्दू शब्द उपलब्ध नही है […]

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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

स्वामी दयानंद सरस्वती जी त्याग का रास्ता अर्थात निवृत्ति मार्ग छोड़कर धार्मिक आंदोलन के क्षेत्र में क्यों उतर पड़े ?

✍🏻 – भाई परमानन्द निवृत्ति-मार्ग का अर्थ अपने लिए मुक्ति या शान्ति प्राप्त करना है। संसार में बहुत-से मनुष्य ऐसे हैं जो प्रवृत्ति-मार्ग की अपेक्षा इसे अच्छा समझते हैं। जिस समय समाज अपनी प्राकृतिक अवस्था में होता है तो इस सिद्धान्त पर न कोई आपत्ति आती है, न कोई विघ्न पड़ता है। निःसंदेह यह ठीक […]

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