29 मई/बलिदान-दिवस 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों ने भारत को स्वतन्त्र कर दिया; पर इसके साथ ही वे यहाँ की सभी रियासतों, राजे-रजवाड़ों को यह स्वतन्त्रता भी दे गये, कि वे अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में जा सकती हैं। देश की सभी रियासतें भारत में मिल गयीं; पर जूनागढ़ और भाग्यनगर (हैदराबाद) टेढ़ी-तिरछी […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
(28 मई को सावरकर जयन्ती पर प्रचारित) डॉ विवेक आर्य जीवन भर जिन्होंने अंग्रेजों की यातनाये सही मृत्यु के बाद उनका ऐसा अपमान करने का प्रयास किया गया। उनका विरोध करने वालों में कुछ दलित वर्ग की राजनीती करने वाले नेता भी थे। जिन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वकांशा को पूरा करने के लिए उनका विरोध किया […]
विष्णु नारायण हमारे देश-दुनिया में कई कहावतें हैं जैसे पीठ में छुरा घोंपना, विभीषण होना, जयचंद होना, मान सिंह होना और मीर जाफर होना। इन सारी कहावतों का जो व्यापकता में अर्थ निकल कर आता है उसमें यह बात साफ़ तौर पर निकल कर बाहर आती है कि इन्हें धोखेबाज और पाजी माना जाता रहा […]
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 वीर सावरकर कौन थे जिन्हें आज सभी हिंदू विरोधी और देशनिरपेक्ष कोस रहे हैं और क्यों? ये २५ बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा। इसको पढ़े बिना आज़ादी का ज्ञान अधूरा है! आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। […]
वेद और ऋषि दयानन्द पं० मदनमोहन विद्यासागर [जब हम ‘वेद’ को भूलकर अपने को भुला चुके थे तब ऋषिवर दयानन्द ने लुप्त ज्ञान भंडार ‘वेद’ पुनः संसार को दिया, इसके लिए मानव-जाति सदा ऋषि की ऋणी रहेगी। इस लेख के लेखक पं० मदनमोहन विद्यासागर जी ने ऋषि दयानन्द जी के मत से वेद की महत्ता […]
========== यह एक व्यक्ति मात्र नहीं, एक संस्था मात्र नहीं अपितु एक अक्षय विचारधारा का नाम है। वह विचारधारा जो गुलामी की स्याह कारा में रहकर भी आजादी का लौ जला सकती है। वह विचारधारा को गुरुगोविन्द सिंह की तरह अपने समस्त परिजनों को बलिवेदी के निमित्त न्यौछावर कर सकती है। वह विचारधारा जो उस […]
—— लोगों को आश्चर्य होता है ,जब गाँधी हत्याकांड मे सम्मिलत होने के षडयन्त्र से जस्टिस आत्मचरन ने सावरकर को ससम्मान बरी करते हुए अपने निर्णय में लिखा, २० जनवरी १९४८ से ३० जनवरी १९४८ के बीच दिल्ली में क्या हुआ, उसकी जानकारी सावरकर को नही थी। इसलिए उनको पूर्ण दोशमुक्त किया जाता है। इसके […]
महात्मा बुद्ध एवं माँसाहार बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रकाशित महात्मा बुद्ध महान समाज सुधारक थे। उस काल में प्रचलित यज्ञ में पशु बलि को देखकर उनका मन विचलित हो गया और उन्होंने उसके विरुद्ध जन आंदोलन कर उस क्रूर प्रथा को रुकवाया। महात्मा बुद्ध जैसे अहिंसा के समर्थक एवं बुद्ध धर्म के विषय में […]
भारत में साम्प्रदायिकता ,अंग्रेज और कॉंग्रेस भारत में प्राचीन काल में शासन की नीति का आधार पंथनिरपेक्ष विचारधारा होती थी । जिसमें शासन का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्रता की स्वतन्त्र अनुभूति कराना होता था। किसी पर भी किसी प्रकार का बन्धन न हो, प्रतिबन्ध न हो और अपने जीवन को सब सुरक्षित […]
महात्मा बुद्ध V/S भीमराव अम्बेडकर (बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रकाशित) जिस प्रकार कोई सैनिक की वर्दी पहनकर सैनिक नहीं बन जाता जब तक कि वो नियमानुसार सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर लेता | ठीक उसी प्रकार यह कह देने मात्र से कोई बौद्ध नहीं हो जाता कि ‘मैं अब हिन्दू नहीं बौद्ध हूँ’ | […]