आर्थिक बदहाली के शिकार पाकिस्तान की हालत पर तरस खाकर हाल में एक राष्ट्रवादी व्यक्ति ने उत्साहित होकर इस पड़ोसी देश को अनाज भेजने का सुझाव दिया। हालांकि, यह तार्किक नहीं। पाकिस्तान की समस्या उसके जन्म के कारण से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। दरअसल पाकिस्तान का निर्माण जिस इस्लामी अवधारणा के आधार पर […]
लेखक: डॉ शंकर शरण
(ले० डॉ० शंकर शरण ) एक प्रवासी हिन्दू भारतीय की बिटिया ने किसी मुस्लिम से विवाह का निश्चय किया तो वह बड़े दुःखी हुए। उन्होंने समझाने का प्रयास किया कि यह उस के लिए, परिवार के लिए और अपने समाज के लिए भी अच्छा न होगा। तब बिटिया ने कहा, ‘मगर पापा, आप ही ने […]
* लगभग आरंभ से ही कम्युनिस्टों को अपनी वैज्ञानिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टि का घोर अहंकार रहा है। लेकिन अनोखी बात यह है कि इतिहास व भविष्य ही नहीं, ठीक वर्तमान यानी आंखों के सामने की घटना-परिघटना पर भी उनके मूल्यांकन, टीका-टिप्पणी, नीति, प्रस्ताव आदि प्राय: मूढ़ता की पराकाष्ठा साबित होते रहे हैं। यह न […]
अभी तसलीमा नसरीन ने कहा कि “जब गैर-मुस्लिम अपने धर्म की आलोचना करते हैं तो उन्हें बुद्धिजीवी कहा जाता है। जब मुस्लिम अपने धर्म की आलोचना करते हैं तो उन्हें इस्लाम का दुश्मन, यहूदी, रॉ का एजेंट सहित जाने क्या-क्या कहा जाता है।” क्या इस पर मुसलमानों को सोचना नहीं चाहिए? बात तो सही है। […]
(भारत में दशकों से आम दृश्य है कि विशेष समूहों, दलों की ओर से जाति, वर्ग, धर्म, आदि संबंधित कितने भी उत्तेजक भाषण क्यों न हों, उस पर तीनों शासन अंग चुप रहते हैं। जैसे, ब्राह्मणों के विरुद्ध अपशब्द कहना आज एक फैशन है जिस में हमारे सभी राजनीतिक दल शामिल हैं। हमारे देवी-देवताओं को […]
मुंबई की एक विदुषी ने लिखा है कि उनके सामने गत तीन महीनों में पाँच मामले आए जिस में मुस्लिम लड़कों ने अबोध हिन्दू लड़कियों पर डोरे डाल कर, शारीरिक उत्तेजना दिला या संबंध बनाकर, ब्लैकमेल कर, निकाह कर, धर्म-परिवर्तन कराकर, फिर जल्द उपेक्षित और मार-पीट कर, कुछ मामले में दोस्तों-संबंधियों द्वारा बलात्कार भी करवा […]
भारत की अधिकांश विकट समस्याएं हिन्दू-मुस्लिम संबंधों से जुड़ी रही हैं। खलीफत आंदोलन से शुरू होकर सांप्रदायिक दंगे, देश-विभाजन, कश्मीर, पाकिस्तान से चार युद्ध, जिहादी आतंकवाद, सेक्यूलर-सांप्रदायिक विवाद, अयोध्या-काशी-मथुरा पर अतिक्रमण, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से लेकर अभी चल रहे ‘नागरिकता संशोधन कानून’ पर विरोध, हर समस्या की मूल फाँस वहीं है, लेकिन इसे यथावत् छोड़कर सारी […]
लगभग आरंभ से ही कम्युनिस्टों को अपनी वैज्ञानिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टि का घोर अहंकार रहा है। लेकिन अनोखी बात यह है कि इतिहास व भविष्य ही नहीं, ठीक वर्तमान यानी आंखों के सामने की घटना-परिघटना पर भी उनके मूल्यांकन, टीका-टिप्पणी, नीति, प्रस्ताव आदि प्राय: मूढ़ता की पराकाष्ठा साबित होते रहे हैं। यह न तो […]
शंकर शरण वर्ष २००८ में भारत में मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ घोषित किया था। यह भारत के शैक्षिक-सांस्कृतिक पतन का ठोस प्रमाण है, कि शिक्षा के ऐसे क्षुद्र राजनीतिकरण पर भी कोई आवाज नहीं उठी। उलटे अधिकांश बौद्धिक हर साल इस दिन को मौलाना आजाद का गुणगान […]
( लेखक : डॉ० शंकर शरण ) ——————————————– हमारे अनेक बुद्धिजीवी एक भ्रांति के शिकार हैं, जो समझते हैं कि गौतम बुद्ध के साथ भारत में कोई नया ‘धर्म’ आरंभ हुआ। तथा यह पूर्ववर्ती हिन्दू धर्म के विरुद्ध ‘विद्रोह’ था। यह पूरी तरह कपोल-कल्पना है कि बुद्ध ने जाति-भेदों को तोड़ डाला, और किसी समता-मूलक […]