बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राजग ने अपना राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय ने हर बार की भांति इस बार भी सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। जिन दर्जनों लोगों के नाम राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में उछाले जा […]
महीना: जून 2017
‘तुम दिन को अगर रात कहो तो हम भी रात कहेंगे’ भारत की सरकारों की सोच पश्चिम के विषय में यही है। पश्चिमी देश जो कहते हैं और करते हैं-उसे भारत सरकार आंख मूंदकर ग्रहण कर लेती है। भारत की पर्यावरण नीति भी ऐसी ही है, जैसी कि पश्चिमी देशों की है। कोई नया आदर्श […]
औरंगजेब छत्रसाल को नियंत्रण में लेकर उसका अंत करने में निरंतर असफल होता जा रहा था। यह स्थिति उसके लिए चिंताजनक और अपमानजनक थी। अब तक के जितने योद्घा और सेनानायक उसने छत्रसाल को नियंत्रण में लेने के लिए भेजे थे, उन सबने छत्रसाल की वीरभूमि बुंदेलखण्ड से लौटकर आकर उसे निराश ही किया। बुंदेलखण्ड […]
स्वार्थभाव मिटे हमारा प्रेमपथ विस्तार हो गतांक से आगे…. प्रेम में सृजन है, और प्रेम में परमार्थभाव भी है। कैसे? अब यह प्रश्न है। इसके लिए महात्मा बुद्घ के जीवन के इन दो प्रसंगों पर तनिक विचार कीजिए। महात्मा बुद्घ एक घर में ठहरे हुए थे। एक व्यक्ति जो उनसे घृणा करता था, उनके पास […]
बिखरे मोती-भाग 188 गतांक से आगे…. हिंसा मन का स्वभाव है जबकि अहिंसा आत्मा का स्वभाव है। लोभवश कोई अपराध करने पर कहता है-”मन बिगड़ गया था” अर्थात आत्मा रूपी सवार को मन रूपी घोड़ा उड़ा ले गया और उसे पतन के गड्ढे में गिरा दिया। इससे स्पष्ट होता है कि लोभ मन का स्वभाव […]
छत्रसाल जैसे हिंदू वीरों के प्रयासों को अतार्किक, अयुक्तियुक्त, असमसामयिक और निरर्थक सिद्घ करने के लिए धर्मनिरपेक्षतावादी इतिहास लेखकों ने एड़ी-चोटी का बल लगाया है। इन लोगों ने शाहजहां को ही नही, अपितु औरंगजेब को भी धर्मनिरपेक्ष शासक सिद्घ करने का प्रयास किया है। जबकि वास्तव में ऐसा नही था। डा. वी.ए. स्मिथ ने कहा […]
वायु-जल सर्वत्र हों शुभ गन्ध को धारण किये गतांक से आगे…. इसके लिए हमको सिमटती हरियाली को पुन: विस्तार देने के लिए भी कार्य करना चाहिए। ‘वृक्ष लगाओ’ अभियान के अंतर्गत ‘पर्यावरण नियंत्रक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ’ की स्थापना राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए। इस सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के माध्यम से हम यज्ञ पर वैज्ञानिक आविष्कार अनुसंधानादि करें। […]
बिखरे मोती-भाग 187 गतांक से आगे…. बाढ़ ही खेती को खा रही है तो हिमायत किससे करें? किस-किस को रोओगे? रोते-रोते पागल हो जाओगे क्योंकि लोगों ने अपनी आत्मा का हनन करना शुरू कर दिया है। यह पैदा होता है कि यदि ऐसे लोग देश के सुसंस्कृत नागरिक हैं तो निकृष्ट किसे कहेंगे? यदि ऐसे […]
21 जून भारतीयता के गुण गौरव के गुणगान का दिवस बन गया है। इस दिन सारा देश ही नहीं, अपितु सारा विश्व ही भारतीय संस्कृति की महानता और उसकी सर्वग्राहयता के समक्ष शीश झुकाता है। मां भारती की आरती में सारा संसार नतमस्तक हो जाता है और कह उठता है :- ”हे भारत की पवित्र […]
मानव को मानव का विशेष यौन धर्म समझाकर उसके जीवन को संतुलित, मर्यादित और साधनामय बनाने की आवश्यकता है, इससे सभ्य समाज का निर्माण होगा। इसी से विश्व का कल्याण होगा और इसी आवश्यकता की पूत्र्ति से समाज की अस्त-व्यस्त अव्यवस्था ठीक होगी। मानव को मानव बना दें, यह सबसे बड़ा उपकार है। मानव स्वयं […]