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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-7

इस प्रकार भारत का निर्धन वर्ग भारतीय परंपरा का निर्वाह करते हुए संतानोत्पादन करता है। वह यह भी जानता है कि जो भी जीव गर्भ में आ गया उसे समय से पहले बलात् बाहर निकालना अर्थात उसका गर्भपात कराना-एक हत्या करना है। जबकि धनिक वर्ग के लोग निरोध आदि से वीर्य नाश तो करते ही […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

आग लगाने में ‘प्रवीण’ तोगडिय़ा

प्राचीन भारत के लगभग सभी राजशास्त्रियों ने राजा की सफलता के लिए षाड्गुण्य मत के साथ-साथ उपायों का भी वर्णन किया है। कामंदक का कथन है कि उपाय से मतवाले हाथियों के मस्तक पर भी चरण रख दिया जाता है। जल अग्नि को बुझाता है,  परंतु उपाय द्वारा इस अग्नि से ही वह जल सुखा […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-6

सभी कुछ भोग में घटित हो गया, सारा आनंद भोग में समझा जाने लगा। तब संतान के बारे में हमारा दृष्टिकोण भी परिवर्तित हो गया। अब दिव्य संतति नहीं अपितु कामी संतति हम उत्पन्न करने लगे। परिणामस्वरूप भारतीय समाज और राष्ट्र दोनों में दिव्यता को घुन लग गया और समाज ने दिव्य और सज्जनों के […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

किसानों के मर्म को सहलाते प्रधानमंत्री

देश के किसानों की दशा इस समय सचमुच दयनीय है। सारी राजनीतिक पार्टियां इस पर राजनीति तो कर रही है पर किसानों की समस्याओं का समाधान क्या हो, और कैसे निकाला जाए इस पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। समस्या को उलझाकर उसे और भी अधिक जटिल करने की कुचालें और षडय़ंत्र तो सबके […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-5

अत: पश्चिम का आज का भौतिकवाद जिस प्रकार की श्रंगारप्रिय सामग्री मानव को परोस रहा है उसमें कामचेष्टा बलवती होनी स्वाभाविक है। तेल, उबटन, स्नान, इत्र, माला, आभूषण, अट्टालिका आदि के मध्य रहकर कोई स्त्री प्रसंग का निषेध करेगा भी तो कुण्ठा और मानसिक तनाव की अन्य व्याधियों से ग्रसित होगा ही। जैसे-खाली मन इंसान […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्रपति पद के लिए एक नाम यह भी

भारत के नये राष्ट्रपति का चुनाव इन दिनों चर्चा में है। नये-नये नाम इस पद के लिए प्रत्याशी के लिए वैसे ही आ-जा रहे हैं, जैसे ऊपर से गिरते पानी में बुलबुले आते हैंं और समाप्त हो जाते हैं। बहुतों के मन में लड्डू फूट रहे हैं कि इस बार हो सकता है वही देश […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-4

पश्चिमी देशों की मान्यता है कि यदि वीर्य के स्वाभाविक वेग को रोकने का प्रयास किया तो मानसिक व्याधियां जन्मेंगी। किंतु ऐसा होगा कब? इसे पश्चिमी देशों ने नही समझा। वस्तुत: ऐसा तभी होता है-जबकि वीर्य को रोक तो लिया जाए किंतु रोककर शरीर में खपाने की प्रक्रिया से मानव अनभिज्ञ रहे। यह अवस्था कुछ […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-3

यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि मानव जब तक इस रोग से ग्रसित रहता है (अर्थात यौवन में रहता है) तब तक वह इसे आनंद का विषय मानकर रोग मानने को तत्पर नहीं होता। हां! जब रोग शांत होता है और इंद्रियां जवाब दे जाती हैं तो उसे ज्ञात होता है कि जिसे तू आनंद […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

चौदहवें रतन को खोजता देश

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट है। हमें भाजपा की ओर से शीघ्र ही नये राष्ट्रपति का नाम मिलने वाला है। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह,  अरूण जेटली, वैंकैया नायडू को नियुक्त कर दिया है। विपक्षी दलों से समन्वय स्थापित कर ये तीनों मंत्री अगले राष्ट्रपति […]

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पर्यावरण राजनीति संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र भाग-2

अन्नोत्पादन से कितने ही जीवों की हत्या हलादि से होती है। वनों का संकुचन होता है। फलत: पर्यावरण का संकट आ खड़ा होता है। इसलिए प्राकृतिक और स्वाभाविक रूप से जो कुछ हमें मिल रहा है वही हमारा स्वाभाविक भोजन है। अत: अन्न  से रोटी बनाना और उसे भोजन में ग्रहण करना तो एक बनावट […]

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