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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-31

गतांक से आगे….. अति प्राचीन भाष्यकार भी वेदों में इतिहास मानते हैं। इस समय वेदों को छोडक़र शेष समस्त साहित्य में ब्राह्मण ग्रंथ और निरूक्त ही प्राचीन हंै। इन दोनों के देखने से विदित होता है कि अति प्राचीन काल में भी वेदों में इतिहास के मानने और न मानने वाले थे। गोपथ ब्राह्मण 2 […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-30

गतांक से आगे…..सृष्टि के यही लाखों पदार्थ अपने अपने गुणों और क्रियाओं से अपनी संज्ञा अर्थात अपना नाम आप ही आप चुनकर पुकारने लगते हैं और आज हम इन्हीं सब पदार्थों के व्यवहारों से उत्पन्न हुए लाखों शब्द बोलते हैं।यह मनुष्य बड़ा गंभीर है। इस वाक्य में बड़ा और गंभीर ये दोनों शब्द कहां से […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-29

गतांक से आगे….. कल्पना करो कि संसार में सबसे प्रथम आज एक विवाह हुआ। किंतु सवाल यह है कि उसी वक्त विवाह शब्द कहां से आ गया, जो इस पहलेपहल आज ही आरंभ होने वाले विवाह के लिए प्रकट किया गया? बात तो असल यह है कि विवाह तब से है जब से विवाह शब्द […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-28

गतांक से आगे…..जिस प्रकार इन थोड़े से शब्दों का नमूना दिखलाया गया, उसी तरह सभी ऐतिहासिक शब्दों पर प्रकाश डाला जा सकता है। किंतु हम वेद भाष्य करने नही बैठे। हमें तो केवल थोड़ा सा नमूना दिखलाकर पाठकों से यह निवेदन करना है कि वे थोड़ी देर के लिए अपने मगज में जमे हुए इस […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-27

गतांक से आगे….. ऋग्वेद 8, 4, 2 में ‘यद्घा रूमे रूशमे’ अर्थात रूम और रूस के नाम भी आये हैं। जिस प्रकार अमुक अमुक उत्कृष्ट कारणों से अमुक-अमुक भूमिखण्ड को व्रज और अर्व आदि कह सकते हन्ैं, उसी तरह अमुक उत्कृष्ट गुणों के कारण कुछ देशों के नाम रूस भी हो सकते हैं। वर्तमान प्रसिद्घ […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-26

गतांक से आगे…..क्योंकि मनु का दावा है कि ‘वेदशब्देभ्य एवादौ पृथक संज्ञाश्च निर्ममे’ अर्थात वेद शब्दों से ही सब पदार्थों के नाम रखे गये हैं। यह नाम वेदों से लिया गया था। इसमें भी नव दरवाजे थे। जिस प्रकार आत्मा की रक्षा इस शरीर से होती और वह सुखपूर्वक इसमें रहकर अपने कल्याण का साधन […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-25

गतांक से आगे….. वेद में नदी के नाम से नदी, किरणें, वाणी और इंद्रियों का वर्णन आता है, परंतु यह स्मरण रखना चाहिाए कि किसी भी मंत्र में नदियों का वर्णन संख्या के साथ नही किया गया। इसका कारण है और वह अत्यंत सत्य नींव पर स्थित है। कल्पना करो कि आपने कहा कि यहां […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-24

गतांक से आगे…..यहां वेद ने ही स्पष्ट कर दिया कि ये नदियां किरणें ही हैं। किरणें सात हैं और दश हैं जो ऊपर बतलाई गयी हैं। यहां सप्तसिंधु से जो लोग सिंध हैदराबाद और पंजाब का इतिहास ढूंढते हैं वे कितनी गलती करते हैं, यह ऊपर के वर्णन से प्रकट हो सकता है। तिलक महोदय […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-23

गतांक से आगे…..नदियों के नामजिन शब्दों से यहां लोक की नदियां पुकारी जाती हैं, वेदों में उन्हीं शब्दों के कई अर्थ होते हैं। उन शब्दों का जो धात्वर्थ है, वह चलने वाला-बहने वाला-वेगवाला आदि होता है। नदियां भी इसी प्रकार का गुण रखती हैं। वे भी चलने वाली, बहने वाली और वेगवाली होती हैं, इसीलिए […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-22

गतांक से आगे…..बस, आकाशस्थ ऋषियों का इतना ही वर्णन करना है। इसके आगे अब यह दिखलाना है कि शरीरस्थ इंद्रियों को भी ऋषि कहा गया है। यजुर्वेद में लिखा है कि-सप्तऋषय: प्रतिहिता: शरीरे सत्प रक्षन्ति सदमप्रमादम।सप्ताप: स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतो अस्वप्नजौ सत्रसदौ च देवौ।अर्थात शरीर में सात ऋषियों का वास है उनके सोने पर भी दो […]

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