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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-23

गतांक से आगे…..नदियों के नामजिन शब्दों से यहां लोक की नदियां पुकारी जाती हैं, वेदों में उन्हीं शब्दों के कई अर्थ होते हैं। उन शब्दों का जो धात्वर्थ है, वह चलने वाला-बहने वाला-वेगवाला आदि होता है। नदियां भी इसी प्रकार का गुण रखती हैं। वे भी चलने वाली, बहने वाली और वेगवाली होती हैं, इसीलिए […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-22

गतांक से आगे…..बस, आकाशस्थ ऋषियों का इतना ही वर्णन करना है। इसके आगे अब यह दिखलाना है कि शरीरस्थ इंद्रियों को भी ऋषि कहा गया है। यजुर्वेद में लिखा है कि-सप्तऋषय: प्रतिहिता: शरीरे सत्प रक्षन्ति सदमप्रमादम।सप्ताप: स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतो अस्वप्नजौ सत्रसदौ च देवौ।अर्थात शरीर में सात ऋषियों का वास है उनके सोने पर भी दो […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-21

गतांक से आगे…..इसको स्वर्ग ऊपर भेजने वाले विश्वामित्र ही थे। इसलिए इस त्रिशंकु के नीचे ही, दक्षिण में विश्वामित्र नामी नक्षत्र होना चाहिए। क्योंकि उत्तर स्थित वशिष्ठ और दक्षिण स्थित विश्वामित्र के दिशाविरोध से ही वशिष्ठ और विश्वामित्र का विरोधालंकार प्रसिद्घ हुआ है। इन कौशिक अर्थात विश्वामित्र का वर्णन वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड सर्ग 80 में […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-20

गतांक से आगे….. राजा अम्बरीष हम ऊपर लिख आए हैं कि अम्बरीष का वर्णन सहदेव के साथ आया है और वहां इसका अर्थ आमड़ा वृक्ष ही होता है। दूसरी जगह अमरकोष में अम्बरीष भड़भूंजे के भाड़ को भी कहते हैं। इससे अम्बरीष राजा सिद्घ नही होता। राजा त्रिशंकु यह राजा भी सूर्यवंश का है। इसके […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-19

गतांक से आगे….. कानपुर में हमारे मित्र पं. बेनीमाधवजी प्रसिद्घ पंडित हैं। आपके चार पुत्र थे, चारों के नाम आपने राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रक्खे थे, जिनमें राम और लक्ष्मण अब तक चिरंजीव हैं। प्रयाग जिले के बघेला ताल्लुकेदार कुंवर भरत सिंह जी यूपी में सैशन जज थे। वे चार भाई थे। चारों के […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा

गतांक से आगे…..सोमक साहदेव्यइसी प्रकार का दूसरा अलंकार ऋग्वेद 4-15 में आए हुए सोमक: साहदेव्य: के विषय का है। जिस पर यहां थोड़ा सा प्रकाश डालने की आवश्यकता है। रायबहादुर चिंतामणि विनायक वैद्य एम.एम. लिखते हैं कि ये सोमक सहदेव महाभारत कालीन व्यक्ति हैं।महाभारत मीमांसा पृष्ठ 107 पर वैद्य जिन सहदेव सोमक का जिक्र करते […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-17

गतांक से आगे…..‘उदय अगस्त पंथजल सोखा’ यह तुलसीदास ने भी लिखा है। संभव है नहुष आकाशस्थ पदार्थों में से बादल ही हो। क्योंकि ऋग्वेद 10/49/8 में वह सप्ताहा-सात किरणों का मारने वाला कहा गया है। जो बादल के सिवा और कुछ नही हो सकता। महाभारत की कथा के अनुसार नहुष ने इंद्र का पद पाया […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-16

गतांक से आगे…..इन किसानों के पशु क्या हैं? सो भी देखिए-एह यन्तु पशवो से परेयुर्वायुर्येषां सहचारं जुजोष।त्वष्टा येषां रूपघेयानि वेदास्मिन तान गोष्ठे सविता नि यच्छतु ।।अर्थात जिन पशुओं का सहचारी वायु है, त्वष्टा जिनके नामरूप जानता है और जो बहुत दूर है, उनको सविता सूर्य गोष्ठ में पहुंचावे।वैदिक जानते हैं कि सूर्यकिरणों को गौ और […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-15

गतांक से आगे…..वेदों के ऐतिहासिक पुरूषों का अर्थात नहुष ययाति के स्वर्ग का वर्णन तो पुराणों मेें किया, पर इस युद्घ का वर्णन क्यों नही किया? बात तो असल यह है कि पुराण तो मिश्रित इतिहास कहते हैं। इसमें तो मिश्रण भी नही है, तो कोरे वैदिक अलंकार हैं, इंद्रवृत्त के वर्णन हैं और तारा […]

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मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-14

गतांक से आगे…..हमारे अब तक के कथन का निष्कर्ष यह है कि प्रथम विभाग वाले चमत्कारी वर्णन वेदों के हैं और दूसरे विभाग के वर्णनों का कुछ भाग वेदों का है और कुछ उस नाम के व्यक्तियों के इतिहासों का है, जिसे आधुनिक कवियों ने एक में मिला दिया है। अत: संभव और असंभव की […]

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