गतांक से आगे… जिस समय वर्तमान प्रस्थानत्रयी का सम्पादन हुआ, उस समय ने तो यह रूप इन उपनिषदों का था और ने गीता का तथा व्याससूत्रों का ही।हमारा विश्वास है कि सनातन से सहिताओं के मंत्रों को ही श्रुति कहा जाता था।क्योंकि सब लोग उन्हीं को आज तक सुनते-सुनते आ रहे हैं।उपनिषद् तो […]
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