ऐतरेय ब्राह्मण की साक्षीइसी तरह की दूसरी नामावलि ऐतरेय ब्राह्मण 7। 34 में लिखी हुई। उसमें लिखा है कि कावेषय: तुर, साहदेव्य: सोमक: साञ्र्जय: सहदेव, दैवावृधो अभ्रू: वैदर्भों भीम गांधारी नग्नचित्त जानकि: ऋुवित पैजवन: सुदस…..सर्वे हैव महाराजा आसुरादित्य इव ह स्म धियां प्रतिष्ठास्तपन्तित सर्वाभ्यो दिग्भ्यो बलिमावहन्ते।इसमें भी सार्वभौम राजों को उनके देश आदि के साथ […]
श्रेणी: वैदिक संपत्ति
गतांक से आगे………सभी जानते हैं कि मनु से सूर्यवंश चला और उन्हीं मनु की इला नामी पौत्री से चंद्रवंश चला। मनु से इक्ष्वाकु हुए और इक्ष्वाकु की पुत्री से चंद्रवंश का मूलपुरूष पुरूरवा हुआ, अर्थात दोनों वंश एक साथ ही आरंभ हुए पर आगे चलकर दोनों की पीढिय़ों में जो घट बढ़ हुई वह बहुत […]
गतांक से आगे………इस नील रंग का व्यापार मिश्र की जिस नदी के द्वारा होता था, उसको भी यहां रहने वाले नील ही कहते थे, जो नाइल के नाम से अब तक प्रसिद्घ है। जायसवाल महोदय कहते हैं कि भारतवासी नील नदी को जानते थे। हम कहते हैं कि यहां वाले नील नदी को जानते ही […]
इस पुस्तक के उपक्रम से यह बात स्पष्ट हो रही है कि योरप के विचारवान लोग वर्तमान भौतिक उन्नति से संतुष्ट नही है, प्रख्यात मनुष्य की स्वाभाविक स्थिति की खोज में है। उन्होंने यह बात निश्चित कर ली है कि मनुष्य अपनी उत्पत्ति के समय स्वाभाविक स्थिति में था और सुखी था। परंतु वह स्वाभाविक […]
गतांक से आगे….इस व्याकुलता को सांड, भैंसा, बकरा आदि तुरंत ही मालूम कर लेते हैं और गर्भ स्थापन कर देते हैं। जिन मादा पशुओं को आवश्यकता नही है, उनके नर उनकी ओर दृष्टिपात भी नही करते। किंतु मनुष्य में यह बात बिलकुल नही पाई जाती। न तो ऋतुमती स्त्री को ही कोई विलक्षण व्याकुलता होती […]
गतांक से आगे….आगामी धर्मसंसार में फेले हुए समस्त मतमतांतरों की आलोचना करता हुआ, एक विद्वान नामी पुस्तक में कहता है कि आगामी धर्म वैदिक धर्म ही होगा। अब संसार ईमान के दुर्ग से निकलकर बुद्घि और तर्क की ओर चल रहा है। जब तक मजहबी सिद्घांत को तत्वज्ञान पुष्ट न करे, तब तक वह स्थिर […]
गतांक से आगे….अहिंसा जहां दूसरों को सताना मारना मना करती है, वहां स्वयं दीर्घ जीवन प्राप्त करने की ओर भी प्रेरणा करती है। दीर्घ जीवन प्राप्त करने का सबसे बड़ा साधन प्राणायाम है। योरप में प्राणायाम का प्रचार बढ़ रहा है। डॉक्टर ‘मे’ कहते हैं कि जिससे हम स्वांस लेते हेँ, उसी वायु पर हमारा […]
गतांक से आगे….नौकरों की हालत इस विज्ञापन से ज्ञात हो जाती है और पता लग जाता है कि नौकरों की कितनी खुशामद करनी पड़ती है। इस वर्णन से स्पष्ट हो रहा है कि अब नौकरों के द्वारा विलास की वृद्घि नही की जा सकती। यह तो नौकरों का हाल हुआ। अब जरा कारखानों के बारे […]
गतांक स आग….अनुभवी लोग कहत हैं कि कृत्रिम साधनों क उपयोग स स्त्रियों को कंसर आदि रोग हो जात हैं। स्त्रियों क कोमल स कोमल मज्जातंतुओं पर इन कृत्रिम साधनों का बहुत खराब असर होता है, जिसस अनकों रोग उत्पन्न होत हैं। बहुत स प्रतिष्ठित डॉक्टरों का कहना है कि इन कृत्रिम साधनों क कारण […]
गतांक से आगे….पाश्चात्य विद्वानों ने इतनी लंबी स्कीम देखकर और वर्तमान भौतिक अंधाधुंध से आरी आकर जो विचार प्रकट किये हैं, उन्हें हम ‘कुदरत की ओर लौटो’ नामी पुस्तक से लेकर बहुत कुछ लिख चुके हैं। अब आगे उन्हीं सिद्घांतों की पुष्टि में भिन्न भिन्न विद्वानों ने जो अन्य पुस्तकें और लेख लिखे हैं, उनके […]