✍🏻 – भाई परमानन्द निवृत्ति-मार्ग का अर्थ अपने लिए मुक्ति या शान्ति प्राप्त करना है। संसार में बहुत-से मनुष्य ऐसे हैं जो प्रवृत्ति-मार्ग की अपेक्षा इसे अच्छा समझते हैं। जिस समय समाज अपनी प्राकृतिक अवस्था में होता है तो इस सिद्धान्त पर न कोई आपत्ति आती है, न कोई विघ्न पड़ता है। निःसंदेह यह ठीक […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
सैकुलर हिंदुओं को समर्पित एक बार मैं मेरे मित्रों के साथ हिमाचल के पालमपुर से होकर ट्रेकिंग पर जा रहे थे, मार्ग में माँ भगवती ज्वालाजी का प्रसिद्ध मंदिर आता है, जो कि कांगड़ा नगर से ३० किलोमीटर दूर एक नदी के तट पर है। हमने सोचा चलो माँ भगवती के दर्शन करते हुए चलते […]
मालाबार और आर्यसमाज 1921 में केरल में मोपला के दंगे हुए। मालाबार में रहने वाले मुसलमान जिन्हें मोपला कहा जाता था मस्जिद के मौलवी के आवाहन पर जन्नत के लालच में हथियार लेकर हिन्दू बस्तियों पर आक्रमण कर देते हैं। पहले इस्लाम ग्रहण करने का प्रलोभन दिया जाता हैं और हिन्दुओं की चोटी-जनेऊ को काट […]
भारतीय स्वाधीनता का अमर नायक राजा दाहिर सेन अध्याय – 1 (भाग – 2) इतिहास के काल निर्धारण में दोष वास्तव में इन नगर सभ्यताओं के बारे में उनकी प्राचीनता की ऐसी कल्पना करना केवल माथापच्ची करना है या कहिए कि अंधेरे में तीर मारने के समान है। जो लोग इन नगर घाटी सभ्यताओं के […]
कृष्ण प्रताप सिंह अवध का पुराना नाम कोशल है। इसीलिए अयोध्या के पुराने राजाओं को ‘कोशलाधीश’ कहा जाता है। स्वाभाविक ही कोशल से अवध तक की इसकी लंबी यात्रा के अनेक पड़ाव हैं। इतने कि कोई सबकी चर्चा करने चले तो समय कम पड़ जाए। अलबत्ता, अवध के रूप में इसे पहला ब्रेक मुगल बादशाह […]
4 जुलाई/स्थापना-दिवस आजाद हिन्द फौज की स्थापना सामान्य धारणा यह है कि आजाद हिन्द फौज और आजाद हिन्द सरकार की स्थापना नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने जापान में की थी; पर इससे पहले प्रथम विश्व युद्ध के बाद अफगानिस्तान में महान क्रान्तिकारी राजा महेन्द्र प्रताप ने आजाद हिन्द सरकार और फौज बनायी थी। इसमें 6,000 सैनिक […]
विवेकानंद की पुण्यतिथि पर संजय पंकज सचमुच का आनंद है,अपना विश्व विवेक! भारत का गौरव हुआ,वह तो एक अनेक!! सदा उतरता ध्यान में, उसके रहा महान! रोम रोम में वह बसा,परिचित सकल जहान!! उसकी प्रज्ञा- साधना,उसका रूप- अनूप! वह आलोकित सूर्य था, वही सुवासित धूप!! × × × × महान राष्ट्रवादी योद्धा संन्यासी विवेकानंद धर्मभूमि […]
पहली ट्रेन पाकिस्तान से (15.8.1947)😢 अमृतसर का लाल इंटो वाला रेलवे स्टेशन अच्छा खासा शरणार्थियों कैम्प बना हुआ था । पंजाब के पाकिस्तानी हिस्से से भागकर आये हुए हज़ारों हिन्दुओ-सिखों को यहाँ से दूसरे ठिकानों पर भेजा जाता था ! वे धर्मशालाओं में टिकट की खिड़की के पास, प्लेट फार्मों पर भीड़ लगाये अपने […]
उनके एक प्रत्यक्षदर्शी शाहपुरा नरेश सर नाहरसिंह वर्मा द्वारा किया गया वर्णन स्वामी जी पुष्ट काया, दृढ़ जत्रु, और बड़े बलिष्ठ थे। उनके शरीर से इस समय के बलवानों की जो तुलना करता हूँ तो बड़ा भारी अन्तर पाता हूँ। उनके अंग-प्रत्यंग ऐसे सुदृढ़ व सुडौल थे कि वैसे आज तक देखने में नहीं आये। […]
‘भरत’ से ‘भारत’ की व्युत्पत्ति कवियों की कल्पना है, भरत से पहले भी भारतवर्ष ही नाम था । “भारत” प्राचीनतम नाम है इस राष्ट्र का । ऋग्वेद में “भारत” की चर्चा है । सभी पुराणों में जम्बूद्वीप के भारतवर्ष की चर्चा है । महाभारत के पहले अध्याय में ही “भारत” की परिभाषा व्याकरण के […]