डॉ. कृष्णचंद्र पांडेय कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यूं तो सृष्टि के प्रत्येक प्राणी का अपना समाज होता है। परन्तु प्रत्येक प्राणी अपने सामाजिक धर्म के बन्धन से बंधा हो, यह आवश्यक नही है। परन्तु मनुष्य के साथ यह शर्त है कि वह धर्म से संचालित हो। आहार निद्रा भय मैथुन […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
देश में संस्कृति की अर्थव्यवस्था पर आज तक ग़ौर नहीं किया गया है और इस तरह के मुद्दे पर देश में शायद सारगर्भित चर्चा भी नहीं की गई हैं। वैसे तो भारत की संस्कृति हज़ारों सालों से सम्पन्न रही है। लेकिन, हाल ही के इतिहास में ऐसा लगता है कि जैसे भारतीय संस्कृति का दायरा […]
ओ३म् ========== संसार में किसी विषय पर सत्य मान्यता एक व परस्पर पूरक हुआ करती हैं जबकि एक ही विषय में असत्य मान्यतायें अनेक होती व हो सकती हैं। संसार में ईश्वर व धर्म विषयक मान्यतायें भी एक समान व परस्पर एक दूसरे की पूर्वक होती हैं। इसी कारण से संसार में ईश्वर एक ही […]
आज गणेश चतुर्थी है। चारों तरफ गणेश चतुर्थी के अवसर पर शुभकामनाएं संदेश आदान प्रदान किए जा रहे हैं। लेकिन मैं हैरान हूं, परेशान हूं, यह कौन से गणेश की बात कर रहे हैं ? क्या वह गणेश जो लंबी सूंड वाला है ? या वह गणेश जिसका मोटा सा पेट है ? या वह […]
वर्तमान संदर्भ में गंभीर चुनौती है वैदिक मूल्यों के लिएभारत सनातन संस्कृति का संवाहक है और आज भी संपूर्ण विश्व को अपनी सनातन संस्कृति से प्रभावित कर रहा है और प्रकाशित भी। यही कारण है कि कोरोना जैसी भयंकर महामारी से जब पूरा विश्व काल के गाल में जा रहा था तो ” मरता क्या […]
ओ३म् =========== परमात्मा ने हमें मनुष्य जीवन दिया है। हमारा सौभाग्य है कि हम भारत में जन्में हैं जो सृष्टि के आरम्भ से वेद, ऋषियों व देवों की भूमि रही है। मानव सभ्यता का आरम्भ इस देवभूमि आर्यावर्त वा भारत से ही हुआ था। मनुष्य जीवन की उन्नति व कल्याण के लिए परमात्मा ने सृष्टि […]
* योगीराज श्री कृष्ण जी महाराज के जन्म दिवस पर विशेष __________________________________________ आज से 1 दिवस पश्चात 11 अगस्त को योगीराज_श्री कृष्ण का 5249 वा जन्मोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा, लेकिन क्या हम सच्चे स्वरूप में गीता के उपदेशक ,महाभारत के नायक के जन्मदिवस को मनाते हैं| महान क्रांतिकारी लाला लाजपत राय […]
डॉo सत्यवान सौरभ राम-राम जी। हरियाणा में किसी राह चलते अनजान को भी ये ‘देसी नमस्ते’ करने का चलन है। यह दिखाता है कि गीता और महाभारत की धरती माने जाने वाले हरियाणा के जनमानस में श्रीकृष्ण से ज्यादा श्रीराम रचे-बसे हैं। हरियाणवियों में रामफल, रामभज, रामप्यारी, रामभतेरी जैसे कितने ही नाम सुनने को मिल […]
____________________________________________ रघुकुल शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र के जीवनी लेखक रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि इस पुनीत कार्य को करने के प्रथम व अंतिम अधिकारी थे| वाल्मीकि रामायण के प्रथम बालकांड में अयोध्या अयोध्या वासियों ,अयोध्या की वास्तुकला, सांस्कृतिक आर्थिक ,संपन्नता का जितना सटीक सारगर्भित सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक वर्णन तथ्य अन्वेषी वर्णन किया गया है […]
डॉ0 राकेश राणा (असिस्टेंट प्रोफेसर : समाजशास्त्र ) राम का अतीत इतना व्यापक और विस्तारित है कि उस पर समझ और संज्ञान की सीमाएं है। उन्हें चिन्हित करना भी बहुत दुरुह कार्य है। भारतीय समाज में राम उस वटवृक्ष की तरह है जिसकी छत्रछाया में भक्त, आलोचक, आम, खास, आरोधक, विरोधक सबके सब साथ-साथ न […]