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भारतीय संस्कृति

प्राचीन भारत और गर्भ संस्कार

डॉ. उमंग जे. पंडया :आयुर्वेद को पांचवां वेद माना गया हैं। वेदों के इस नित्य नूतन एवं चिर सनातन विज्ञान में गर्भ संस्कार का काफी महत्व बताया गया है। आचार्य चरक, आचार्य सुश्रुत आदि ऋषि-मुनियों ने इसका वैज्ञानिक प्रतिपादन भी किया है। सभी आचार्यों ने अपनी संहिताओं के शारीरस्थान में इस विषय का विस्तृत वर्णन […]

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पूर्व-जन्म के संस्कारों से कुछ होता भी है ?

✍🏻अभिजीत सिंह _______________________

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देश के कर्णधार हमारे शिक्षक व शिष्य कैसे हों?

ओ३म् =========== शिक्षा देने व विद्यार्थियों को शिक्षित करने से अध्यापक को शिक्षक तथा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शिष्य कहा जाता है। आजकल हमारे शिक्षक बच्चों को अक्षर व संख्याओं का ज्ञान कराकर उन्हें मुख्यतः भाषा व लिपि से परिचित कराने के साथ गणना करना सिखाते हैं। आयु वृद्धि के साथ साथ बच्चा […]

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हिंदू समाज दुनिया का सबसे अधिक समरस, संगठित और सभ्य समाज

रामेश्वर प्रसाद मिश्र (लेखक गांधी विद्या संस्था, बनारस के निदेशक हैं।) यदि हम विश्व के सभी समाजों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि हिंदू समाज दुनिया का सबसे अधिक समरस, संगठित और सभ्य समाज है। परंतु दुर्भाग्यवश आज इसे सर्वाधिक भेदभावपूर्ण, बिखरा हुआ और संकीर्ण समाज के रूप में चित्रित किया जाता है। ये करने […]

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वेद और वैदिक साहित्य के स्वाध्याय से मनुष्य श्रेष्ठ मनुष्य बनता है

ओ३म् =========== वेद सृष्टि की आदि में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों को दिया गया ईश्वरीय सत्य व निर्दोष ज्ञान है। प्राचीन मान्यता है कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों में सब मनुष्यों को ‘मनुर्भव’ अर्थात् मनुष्य बनने का सन्देश दिया गया है। इसका अर्थ है कि जन्म से […]

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ऋषि दयानंद ने विश्व कल्याण की भावना से प्रेरित होकर वेदों का प्रचार किया

ओ३म् ============ ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना किसी नवीन मत-मतान्तर के प्रचार अथवा प्राचीन वैदिक धर्म के उद्धार के लिये ही नहीं की थी अपितु उन्होंने वेदों का जो पुनरुद्धार व प्रचार किया उसका उद्देश्य विश्व का कल्याण करना था। यह तथ्य उनके सम्पूर्ण जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालने व मूल्याकंन करने पर […]

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आइए जाने – भारतवर्ष में वैदिक विवाह संस्कार का महत्व 

उगता भारत ब्यूरो भारतवर्ष में विवाह मनुष्य को पशु से ऊपर उठाकर मनुष्यत्व से युक्त करने की एक विधा है। विवाह संस्कार की प्रक्रियाओं को अगर हम देखें तो पाएंगे कि वैदिक विवाह संस्कार जैसा वैज्ञानिक और व्यवहारिक विधान विश्व के किसी भी मजहब, समुदाय तथा देश की विवाह प्रथा में नहीं हैं। उदाहरण के […]

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विश्वधर्मगुरू भारत और कुम्भ प्रथा

प्रस्तुति – बाबा नंद किशोर मिश्र कुम्भ शब्द का अर्थ होता है- अमृत का घड़ा यानि ज्ञान का घड़ा और कुम्भ प्रथा का स्पष्ट अभिप्राय है, ज्ञान के घड़े का सदुपयोग। सर्वविदित है कि हमारे राष्ट्र भारत का एक नाम आदिकाल से आर्यावर्त भी है यानि हमारा राष्ट्र आर्य समुदाय बाहुल्य राष्ट्र है, जिसकी संस्कृति […]

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उगता भारत न्यूज़ भारतीय संस्कृति

डब्ल्यूएचओ प्रमुख की चेतावनी और भारत की यज्ञ प्रणाली

कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया की व्यवस्था को हिला कर रख दिया है । इसी के चलते दुनिया इस समय तीसरे विश्वयुद्ध की शंका आशंकाओं के गहरे बादलों से भी घिर चुकी है । इसी दौरान डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने भी नई चेतावनी जारी की है । उन्होंने कहा है कि दुनिया के लिए नई महामारी और […]

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आर्य समाज शुद्ध ज्ञान व कर्मों से युक्त मनुष्य का निर्माण करता है

ओ३म् =========== देश और समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि सभी मनुष्यों की बुद्धि व शरीर के बल का पूर्ण विकास कर उन्हें शुद्ध ज्ञान व शक्ति सम्पन्न मनुष्य बनाया जाये। ऐसे व्यक्ति ही देश व समाज के लिये उत्तम, चरित्रवान, देशभक्त तथा परोपकार की भावना से युक्त होते हैं व देश व समाज […]

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