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भारतीय संस्कृति

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम भारत की आत्मा में बसे हैं

लोकेन्द्र सिंह यदि राम ने सेना बुला कर रावण का अंत किया होता, तब जनमानस में ‘संगठन में शक्ति है’ का भाव कभी नहीं आ पाता, तब शायद समाज में पराक्रम का भाव नहीं जाग पाता, तब शायद सामान्य समाज अपने साहस और कौशल को हथियार नहीं बना पाता। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम भारत की […]

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वैदिक धर्म ज्ञान विज्ञान पर आधारित संसार का प्राचीनतम धर्म है

ओ३म् ============ वैदिक धर्म वेदों का आधारित संसार का ज्ञान व विज्ञान सम्मत प्राचीनतम धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न आदि चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को वेदों का ज्ञान देने के साथ आरम्भ हुआ था। वेद के मर्मज्ञ ऋषियों सहित ऋषि दयानन्द […]

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विष्णु के अवतार नहीं , स्वयं विष्णु हैं भगवान , क्यों ?

विष्णु के अवतार नहीं स्वयं विष्णु हैं राम विष्णु किसको कहते हैं ? विष्णु का स्वरूप किसमें कहा जा सकता है ? क्या विष्णु की सवारी गरुड़ है ? गरुड़ क्या है ? वह विशाल सा पक्षी या कुछ और होता है ? क्षीर सागर क्या तथा कहां है ? उसमें शेषनाग पर कौन लेट […]

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ईश्वर और उनकी वाणी वेद ही अमृत है

हमको रूढ़िवाद , सांप्रदायिकता , जातिवाद और अज्ञान के अंधेरे को नष्ट करना होगा । क्योंकि यह मानव की अज्ञानता के द्योतक हैं और इनका भयंकर परिणाम आता है। जो समाज किसी भी प्रकार से इन्हें अपनाता है वह पतन के गर्त में समा जाता है। प्रगतिशील समाज की निशानी यही है कि वह अपने […]

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जीव क्या लेकर आता है जग में और क्या लेकर जाता है ?

क्या जीव जग में कुछ भी लेकर नहीं आता ? और क्या जग से कुछ भी लेकर नहीं जाता ? क्या जीव बहुत कुछ लाता है जग में बहुत कुछ ले जाता है जग से ? उक्त शंका, भ्रांति अथवा प्रश्नों को समझने के लिए सर्वप्रथम ईश्वर , जीव और प्रकृति को जान लें। ईश्वर […]

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वेद सम्मत गृहस्थ आश्रम का सम्यक निर्वाह ही गृहस्थी जीवन की सफलता है

ओ३म् ============= युवक व युवतियों के वैदिक विधि से विवाह होने से पति व पत्नी गृहस्थी कहलाते हैं। विवाह के बाद का जीवन गृहस्थ जीवन तथा इसे ही गृहाश्रम भी कहते हैं। गृहस्थाश्रम पर लोगों के तरह तरह के विचार हैं। कोई गृहाश्रम को अच्छा मानता है और ऐसे भी लोग हैं जो इस आश्रम […]

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सूर्यपुत्र न होकर कर्ण था एक महान ऋषि की संतान

अब मैं आपको एक अन्य विचित्र घटना से अवगत कराने जा रहा हूं। जो कुंती और कर्ण और श्वेत मुनि के संबंध में ही है। श्रंग ऋषि द्वारा दिनांक 15 मार्च 1986 को बरनावा लाक्षागृह में 51 वें पुष्प के रूप में हमको अर्पित की गई है। वह निम्न प्रकार है :- “इसी प्रकार’ अप्रतम […]

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भारतीय संस्कृति

गंगा , गंगापुत्र भीष्म , मच्छोदरी के बारे में व्याप्त भ्रान्ति

विद्वत जनों! समाज में बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई हैं। हम इन भ्रांतियों को निवारण करते – करते अपना जीवन समाप्त कर लेंगे परंतु भ्रांतियां समाप्त नहीं होंगी। ऐसी भ्रांतियां समाज में बहुत गहरी जड़ जमा चुकी हैं ।हमारे द्वारा जो लिखा जा रहा है, कितने लोग इसको पढ़ते होंगे, और फिर कितने लोग उस […]

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ईश्वर जन्म लेता है या नहीं ?

समाज में ईश्वर के अवतार रूप में जन्म लेने के लिए भ्रान्ति व्याप्त है । अब इसी पर विचार करते हैं कि क्या ईश्वर अवतार लेता है या नहीं ? इसी के साथ-साथ यह भी विचारणीय है कि क्या रामचंद्र जी महाराज व महाराज कृष्ण विष्णु के अवतार थे ? क्या ईश्वर को संसार में […]

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क्या है समुद्र मंथन का सच ?

भ्रांति है कि विष्णु ने समुद्र का मंथन किया । देव और दैत्यों ने शेषनाग की नेति बनाई , एक महान गिरी की मछली बनाई और समुद्र का मंथन किया । जिसमें से 14 रत्न निकले। यदि इस विषय पर और चिंतन करें तो श्रृंग ऋषि महाराज की आत्मा ब्रह्म ऋषि कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी के […]

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