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भारतीय संस्कृति

गायादि की रक्षा के लिए सहचर्यवाद को मौलिक अधिकार बनाया जाए

गाय हमारे जंगलों में उत्पन्न होने वाली कितने ही प्रकार की वनस्पतियों व घासों को चरती है। इसके अतिरिक्त किसान अपने खेत में जो चारा गेंहूं का भूसा, धान का पुआल, मक्का की पुआल, ज्वार, जई, बाजरा आदि उत्पन्न करता है, उन्हें खाती है। प्रभु की अद्भुत कृपा है कि उसने प्रकृति में एक ऐसा […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-9

गतांक से आगे….इस व्याकुलता को सांड, भैंसा, बकरा आदि तुरंत ही मालूम कर लेते हैं और गर्भ स्थापन कर देते हैं। जिन मादा पशुओं को आवश्यकता नही है, उनके नर उनकी ओर दृष्टिपात भी नही करते। किंतु मनुष्य में यह बात बिलकुल नही पाई जाती। न तो ऋतुमती स्त्री को ही कोई विलक्षण व्याकुलता होती […]

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आओ कुछ जाने

भारत में फसलों की भौगोलिक परिस्थितियां व उत्पादन क्षेत्र

गेंहूं-उपजाऊ मिट्टी 50 सेमी तक वर्षा, पहले 10 से 15 डिग्री सेल्सियस तापमान बाद में 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान-उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार परंतु राजस्थान, गुजरात में कम।चावल-चिकनी उपजाऊ मिट्टी, गर्म जलवायु, 75 सेमी से 200 सेमी तक वर्षा, बोते समय 20 डिग्री से. और पकते समय 27 से. तापमान चाहिए, […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

इक्कीसवीं शताब्दी शाकाहार की-4

गतांक से आगे….दुनिया ने अब तक दो महायुद्घ देखे हैं। तीसरा महायुद्घ कब होगा, यह तो फिलहाल कहना कठिन है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि तीसरा महायुद्घ पानी के लिए होगा। चीन के चार सौ नगरों में पानी का अभाव है। चीन अपने पानी की कमी को पूरा करने के लिए हिमालय के ग्लेशियरों […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-11/02/2014

हर कोई नहीं पा सकता अग्निधर्मा लोगों का साथ – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   एक-दूसरे के साथ रहना और निभाना वैचारिक और व्यवहारिक धरातल पर निर्भर है। जिन लोगों में वैचारिक समानता होती है, जिनका व्यवहार, चरित्र और कर्म समान है उनमें प्रतिस्पर्धा भी होती है, प्रतिद्वन्दि्वता भी, और सजातीय  आकर्षण- विकर्षण भी। कई लोग ऎसे हैं जो […]

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महत्वपूर्ण लेख

सावरकर अनूठे व्यक्तित्व के धनी थे

भानुप्रताप शुक्लकांग्रेस ही नही, कम्युनिस्ट सहित सभी अल्पसंख्यक परस्त सेकुलरिस्ट पार्टियां देशभक्ति की दौड़ भी सांप्रदायिकता की पटरी पर ही दौड़ाती है। उनके लिए महान वही है जो बहुसंख्यकों की बात बिल्कुल नही, केवल अल्पसंख्यकों की बात करे। जो स्वहित एवं दलहित को राष्ट्रहित से ऊपर रखे और अल्पसंख्यकवाद का नाद करे। कांग्रेस और वामपंथी […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 38

जन्म से पहले अन्न को, भेज देय भगवानगतांक से आगे….नीम को सींचे ईख से,तो भी मिठास न पाय।कितना ही समझा दुष्ट को,सज्जनता नही आय ।। 522 ।।भाव यह है कि किसी के मूल स्वभाव को बदलना अत्यंत कठिन है।ऊपर से कोमल रहे,अंदर से हो क्रूर।ऐसे बगुला भगत से,रहो दूर ही दूर ।। 523 ।। दुर्जन […]

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संपादकीय

मेरठ, महर्षि दयानंद और मोदी

मेरठ का भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह क्षेत्र कुरूवंशी राजधानी हस्तिनापुर से ध्वंसावशेषों के पास ही बसा है। महाभारत की साक्षी है कि जब अर्जुन और कृष्णजी ने खाण्डव वन का दहन किया तो उन्होंने मय नामक शिल्पकार से मित्रता कर युधिष्ठिर के राजभवनों का इंद्रप्रस्थ में निर्माण कराया। जिनके अवशेष […]

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आज का चिंतन

आज का चिंतन-10/02/2014

चाहे जहाँ न रोएँ घर-गृहस्थी का रोना – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हर बात के लिए अपना एक विशिष्ट अंदाज और मंच होता है। सम सामयिकता और स्थान की उपयुक्तता हमारे कई सारे कामों को आसान कर देती है, कल्पनाओं को सहज ही आकार दे डालने में समर्थ होती है। हर व्यक्ति को इस बात का […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

लेखनी को बेचने वालों ने बेच दिया देश का सम्मान

मौहम्मद गौरी के हाथों पृथ्वीराज चौहान की पराजय का उल्लेख करते हुए डा. शाहिद अहमद ने अपनी पुस्तक ‘भारत में तुर्क एवं गुलाम वंश का इतिहास’ नामक पुस्तक में कई इतिहास लेखकों के उद्घरण प्रस्तुत किये हैं। इन इतिहास लेखकों के उक्त उद्घरणों को हम यहां यथावत दे रहे हैं।जो ये सिद्घ करते हैं कि […]

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