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संपादकीय

कभी ‘कठोर’ कभी ‘मुलायम’

राजनीति कैसे-कैसे खेल कराती है और कैसे आदमी अपने ही बनाये-बुने मकडज़ाल में फंसकर रह जाता है-इसका जीता जागता उदाहरण मुलायम सिंह यादव हैं। एक समय था जब नेताजी भारत की राजनीति को प्रभावित करते थे और दिल्ली दरबार उनके आदेश की प्रतीक्षा किया करता था, आज वही व्यक्ति निढाल, बेहाल, थका मादा सा और […]

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संपादकीय

नववर्ष मनायें या नवसंवत्सरोत्सव

सृष्टि की उत्पत्ति का प्रकरण हर मनुष्य के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का विषय सृष्टि के प्रारंभ से ही रहा है। इसके लिए कोई भी ऐसा प्रामाणिक साक्ष्य वेदों के अतिरिक्त संसार में प्राप्त होना असंभव है, जिससे इस जिज्ञासा की पूर्ण तृप्ति हो सके। वेद तो है ही सब सत्य विद्याओं की पुस्तक। अत: […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हम शास्त्रार्थ से सत्यार्थ, यथार्थ और तथ्यार्थ के उपासक बनें

इस्लाम का दुष्प्रभाव इस्लाम ने भारत में पदार्पण किया तो उसने भारत की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर और ऐतिहासिक संपदा को विनष्ट करने में किसी प्रकार की कमी नही छोड़ी। उसने भारत पर अपने आतंक और अत्याचारों की काली छाया डालकर  ‘मां भारती’ के वैभव को पूर्णत: मिटाने का प्रयास किया। इस प्रकार भारत पर इस्लाम […]

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संपादकीय

राजनीतिक असहिष्णुता

आजकल देश में ‘असहिष्णुता’ कुछ अधिक ही चर्चा में है। ‘असहिष्णुता’ को लेकर यदि बात राजनीति की की जाए, तो यहां भी ‘असहिष्णुता’ का अपना ही इतिहास है। 1980 के बाद राजनीतिक ‘असहिष्णुता’ अधिक बढ़ी। कभी-कभी तो यह राजनीतिक अस्पृश्यता के रूप में भी देखी गयी। 1980 इंदिरा गांधी जब दोबारा प्रधानमंत्री बनीं तो विपक्ष […]

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संपादकीय

‘जयप्रकाश के लिए धधकता गंगाजल है’

अभी हमने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती के अवसर पर याद किया है। उन्हें आपातकाल का लोकनायक माना गया है, उनके नाम के स्मरण मात्र से आपातकाल की स्मृतियां और आपातकाल के प्रति जिज्ञासाएं अनायास ही उभर आती हैं। आपातकाल की घोषणा के विषय में यह प्रश्न भी स्वाभाविक रूप से आता है कि […]

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संपादकीय

भारत में अल्पसंख्यक कोई नहीं (भाग-2)

हमें यह विचार करना चाहिए कि जैसे मानव शरीर जड़ और चेतन का अद्भुत संगम है, उसमें प्रकृति के पंचतत्व से बना नश्वर शरीर तथा अजर अमर-अविनाशी, आत्मा साथ-साथ रहते हैं उसी प्रकार कत्र्तव्य और अधिकारों का सम्बन्ध् है। कत्र्तव्य हमारी चेतना शक्ति शरीर में आत्मतत्व से जुड़े हैं जबकि अधिकार हमारे शरीर की इच्छाओं […]

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संपादकीय

भारत में अल्पसंख्यक कोई नहीं

अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करना और उनके विकास के सभी अवसर उपलब्ध् कराना संसार के प्रत्येक देश की सरकार की अनिर्वायत: बाध्यता है। क्योंकि नागरिकों को विकास के सभी अवसर उपलब्ध् कराना और मानवीय गरिमा को मुखरित और विकसित करने के लिए ही राज्य की उत्पत्ति हुई थी। विश्व का इतिहास ऐसे दो […]

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संपादकीय

आरक्षण नही:आर्थिक विकास

देश के शिक्षण संस्थानों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के सरकारी प्रस्ताव के विरोध में अपना आंदोलन तेज करते हुए मेडिकल व इंजीनियरिंग छात्रों ने कुछ दिनों पूर्व सारे राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया था। आज फिर आरक्षण का विरोध हो रहा है। वैसे आरक्षण का विरोध देश में पहली बार नही हो […]

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संपादकीय

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और विधायकों की वेतन वृद्घि

अरविंद केजरीवाल ने जब से दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, तब से ही वह किसी न किसी प्रकार के विवादों में रहे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से उन्होंने ‘जंग’ छेड़ी जो अब भी जारी है। इसी प्रकार उन्होंने दिल्ली पुलिस से भी दो-दो हाथ करने चाहे। वह जो कुछ भी करते […]

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संपादकीय

तिब्बत से लेकर नेपाल तक

1947 से पूर्व भारत जब अपना स्वतंत्रता संग्राम लड़ रहा था, तब चीन की जनता का नैतिक समर्थन भारत के साथ था। उसे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ सहानुभूति थी। 1949 में जब चीन में कम्युनिस्ट क्रांति हुई तो भारत ने भी उस क्रांति का स्वागत किया था। सोवियत रूस और उसके सहयोगी देशों […]

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