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विशेष संपादकीय

‘बिंदास बोल’ के सत्यार्थ पर असहिष्णुता

सुदर्शन न्यूज चैनल के मालिक एवं मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके राष्ट्रवाद की एक मुखर आवाज होकर उभरे हैं। उन्होंने भारत में हिन्दू विरोध की होती राजनीति को सही दिशा देनेका सराहनीय और साहसिक कार्य किया है। धर्मनिरपेक्षपता के पक्षाघात से पीडि़त मीडिया को उन्होंने सही राह दिखाने का कार्य किया है। यह उस समय […]

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संपादकीय

राजनीतिक असहिष्णुता

आजकल देश में ‘असहिष्णुता’ कुछ अधिक ही चर्चा में है। ‘असहिष्णुता’ को लेकर यदि बात राजनीति की की जाए, तो यहां भी ‘असहिष्णुता’ का अपना ही इतिहास है। 1980 के बाद राजनीतिक ‘असहिष्णुता’ अधिक बढ़ी। कभी-कभी तो यह राजनीतिक अस्पृश्यता के रूप में भी देखी गयी। 1980 इंदिरा गांधी जब दोबारा प्रधानमंत्री बनीं तो विपक्ष […]

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विशेष संपादकीय

लेखकों की असहिष्णुता

बिसाहड़ा की घटना को लेकर कुछ लेखकों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला आरंभ किया है, उसके पीछे इन लेखकों का तर्क है कि बिसाहड़ा में जो कुछ हुआ है वह लोगों के भीतर की सहनशीलता की कमी को दर्शाता है, आजादी के 68 वर्ष पश्चात भी ऐसी असहिष्णुता का प्रदर्शन करना उचित नही […]

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