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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत की पहली आजाद हिंद फौज के निर्माता थे धन सिंह कोतवाल और राव कदम सिंह गुर्जर

    राव कदमसिंह गुर्जर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारी आंदोलन के एक देदीप्यमान नक्षत्र हैं। जिन्होंने समय आने पर ‘राष्ट्र प्रथम’ के उद्घोष को स्वीकार करते हुए अपना सर्वस्व माँ भारती की गोद में समर्पित कर दिया था । राम कदम सिंह 18 57 की क्रांति से पूर्व इसके पूर्व के क्षेत्र के क्रांतिकारियों […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल और उनके क्रांतिकारी साथी

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह कोतवाल चपराना निवासी ग्राम पाचली मेरठ थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

नहीं दिया था राणा संग्राम सिंह ने बाबर को भारत आने का निमंत्रण

  संजीव सिंह हम सभी ने इतिहास पढ़ा है कि मुगल सल्तनत की स्थापना 1526 में ज़हीर-उद-दीन मुहम्मद बाबर ने की थी। अगले दो शताब्दियों तक भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों पर मुगलों का शासन रहा। आम धारणा यह है कि बाबर को भारत आने का निमंत्रण भेजा गया था और यह कार्य मेवाड़ के […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

हिंदू राष्ट्र ध्वजवाहक रहे हैं कश्मीर के गौरवशाली शासक

    कश्मीर के गौरवशाली हिंदू इतिहास के विषय में हमने पिछले लेखों में सूक्ष्म सा प्रकाश डाला था। अब पुन: कश्मीर की उस केसर को इतिहास के गौरव पृष्ठों पर खोजने का प्रयास करते हैं, जिसकी सुगंध ने इस स्वर्गसम पवित्र पंडितों की पावन भूमि को भारतीय इतिहास के लिए श्लाघनीय कार्य करने के लिए […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

अरब का वैदिक अतीत और भारत का पराक्रम

  अब अनेकों शोध पत्रों से यह बात पूर्णत: सिद्ध हो चुकी है कि अरब का मूल स्वरूप वैदिक रहा है । मोहम्मद साहब ने अपने जीवन काल में जब इस्लाम की स्थापना की तो उन्होंने अरब के पुराने हिन्दू स्वरूप को मिटाने का आदेश दिया। जिससे वे प्रतीक समाप्त करने की प्रक्रिया आरम्भ हुई […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत स्वर्णिम इतिहास

यूरोप की केल्टिक सभ्यता थी कभी वैदिक सभ्यता

रोमन शासक कांस्टेंटाईन के ३१२ ईस्वी में ईसाई धर्म अपनाने और यूरोप में उसके द्वारा ईसायत के प्रसार से पूर्व यूरोप में वैदिक संस्कृति होने के प्रमाण मिलते हैं. इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि यूरोप के ड्रुइडस भारतीय ब्राह्मण थे और उनके मार्गदर्शन में विकसित केल्टिक या सेल्टिक संस्कृति स्थानीय परिवर्तनों के […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत स्वर्णिम इतिहास

भारत के महान हिंदू सम्राटों के विजय अभियान 4,5,6

रामायण और महाभारत तथा पुराणों से यह स्पष्ट है कि यवन भी भारतीय क्षत्रिय ही हैं ।सम्राट अशोक का शासन यवन प्रांत तक था और यवनराज तुषार अशोक का एक सामंत था। पुष्यमित्र के पुत्र वसुमित्र ने सिंधु तीर पर यवनों को परास्त किया ,,इसका उल्लेख भी पुराणों में और महान वैयाकरण पतंजलि के महाभाष्य […]

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आओ कुछ जाने स्वर्णिम इतिहास

कश्मीर के शासकों की सूची

कश्मीर के शासकों की सूची (3238 ई.पू.-1154 ई.) (जी गुरु जी इसका हेडिंग बदलने की कृपा करें।) कश्मीर के इतिहास में कश्मीरी कवि कल्हण की राजतरंगिणी ही मुख्य है। कल्हण के पहले सुव्रत, क्षेमेन्द्र, हेलाराज, नीलमुनि, पद्ममिहिर और छविल्लभट्ट आदि ग्रंथकार हुए हैं, किन्तु इनमें से कई के ग्रन्थ अप्राप्य हैं। कल्हण ने लिखा है […]

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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले धन सिंह गुर्जर कोतवाल

हमारे जितने भी महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी हुए वे सबके सब भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति के ध्वजवाहक और रक्षक थे। इन महान क्रांतिकारियों में धन सिंह कोतवाल गुर्जर का नाम अग्रगण्य है। यदि यह प्रश्न किया जाए कि धन सिंह कोतवाल गुर्जर को स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय संस्कृति का रक्षक क्यों कहा जाए ? तो […]

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स्वर्णिम इतिहास

जब सारा विश्व 10,000 जानता था तब भारत ने अनंत को खोज लिया था

संस्कृत का एकं हिन्दी में एक हुआ,अरबी व ग्रीक में बदल कर ‘वन‘ हुआ। शून्य अरबी में सिफर हुआ,ग्रीक में जीफर और अंग्रेजी में जीरो हो गया। इस प्रकार भारतीय अंक दुनिया में छाये। अंक गणित- अंकों का क्रम से विवेचन यजुर्वेद में मिलता है – “सविता प्रथमेऽहन्नग्नि र्द्वितीये वायुस्तृतीयऽआदिचतुर्थे चन्द्रमा: पञ्चमऽऋतु:षष्ठे मरूत: सप्तमे बृहस्पतिरष्टमे। […]

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