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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम अध्याय 23 , हनुमान लंका जलाकर लौट आए राम के पास

हनुमान जी ने रावण की लंका को जलाया । इसका अभिप्राय यह नहीं है कि उन्होंने सारे लंका देश को ही जलाकर समाप्त कर दिया था। भारतीय धर्म और परंपरा भी ऐसा नहीं कहती कि निरपराध लोगों को आप अपने बल के वशीभूत होकर समाप्त कर दें। हमारे यहां पर संध्या में भी ‘यशोबलम’ की […]

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मेरे मानस के राम अध्याय 22 , हनुमान जी का अशोक वाटिका में उत्पात

हनुमान जी कूटनीति में बहुत निपुण थे। सीता जी से वार्तालाप करने के पश्चात वह अब राम जी के पास लौटने का मनोरथ बना चुके थे, पर तभी उनके मस्तिष्क में एक नया विचार आया। उन्होंने सोचा कि किसी प्रकार रावण से भी भेंट होनी चाहिए । जिससे कि उसके बल की भी जानकारी मिल […]

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ओ३म् “ईश्वराधीन कर्म-फल व्यवस्था व उससे मिलने वाले सुख व दुःखों पर विचार”

=========== संसार में मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त जड़-चेतन जगत क्रियाशील हैं। सृष्टि पंचभौतिक पदार्थों से बनी है जिसकी ईकाई सूक्ष्म परमाणु है। यह परमाणु सत्व, रज व तम गुणों का संघात है। इन्हीं परमाणुओं से अणु और अणुओं से मिलकर त्रिगुणात्मक प्रकृति व सृष्टि का अस्तित्व विद्यमान है। परमाणु में इलेक्ट्रान कण भी निरन्तर […]

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मेरे मानस के राम अध्याय 21 , हनुमान – सीता संवाद

सीता जी के साथ संवाद करते हुए हनुमान जी ने उन्हें पूर्ण विश्वास दिला दिया कि वह कोई मायावी मनुष्य नहीं हैं अपितु श्री राम जी के दूत के रूप में उनके समक्ष उपस्थित हैं। सीता जी को जब यह विश्वास हो गया कि हनुमान जी रामचंद्र जी के द्वारा ही भेजे गए हैं तो […]

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मेरे मानस के राम अध्याय __ 20 , हनुमान जी का सीता जी से वार्तालाप

हनुमान जी पेड़ पर बैठे हुए सीता जी और रावण के संवाद को सुन चुके थे। उसके पश्चात की घटना और वार्तालाप को भी उन्होंने बड़े ध्यान से सुना। अब उनके सामने समस्या एक थी कि यदि वे सीधे सीता जी के समक्ष उपस्थित हो गए तो वे उन्हें एक अपरिचित व्यक्ति समझकर उनसे डर […]

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मेरे मानस के राम : अध्याय 19 , रावण ने दिया सीता जी को दो माह का समय

जब सीता जी ने रावण को लताड़ते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि चाह जो हो जाए, पर वह कभी उसकी भार्या नहीं बन सकतीं तो रावण अत्यधिक क्रोध में आ गया। तब उसने सीता जी से कहा कि तुम्हारे पास दो महीने का समय है। यदि इस काल में राम तुम्हें लेने नहीं आए […]

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मेरे मानस के राम : अध्याय 18 , सीता जी और रावण का संवाद

उस अशोक वाटिका में हनुमान जी ने एक ऊंचे उठे हुए गोलाकार भवन को देखा। यह भवन अत्यंत निर्मल था और ऊंचाई में आकाश से बातें करता था। उस भवन को देखते हुए हनुमान जी ने मैले वस्त्रों से युक्त रक्षसियों से घिरी हुई, उपवास करने से अत्यंत दुर्बल ,अत्यंत दु:खी , बार-बार लंबी सांस […]

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मेरे मानस के राम : अध्याय 17 रावण के महल और अशोक वाटिका का चित्रण

जब हनुमान जी रावण की राजधानी लंका में पहुंच गए तो वहां उन्होंने बने हुए उत्तम राजप्रासाद के मध्य एक स्वच्छ और निर्मल विशाल भवन को देखा। अब उनकी एक ही इच्छा थी कि यहां पर सीता जी कहां हो सकती हैं ? उस भवन में इधर-उधर देखने पर हनुमान जी ने अनेक महिलाओं को […]

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मेरे मानस के राम ,__ अध्याय 16, हनुमान का लंका में प्रवेश

अब जटायु के भाई संपाति के द्वारा पूर्ण विवरण मिलने के पश्चात यह पूर्णतया स्पष्ट हो गया था कि सीता जी का अपहरण करके ले जाने वाला रावण श्रीलंका में निवास करता है । यदि सीता जी को सकुशल प्राप्त करना है तो इसके लिए समुद्र को लांघकर समुद्र के उस पार जाना अनिवार्य है। […]

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मेरे मानस के राम अध्याय 15 : सीता जी की खोज का दूसरा अभियान

लक्ष्मण ने आकर जब सुग्रीव को झकझोरा तो वह अपने कर्तव्य के प्रति सावधान और सजग होकर पूर्ण मनोयोग से सीता जी की खोज में लग गया। वानरराज ने तुरंत अपने सैनिकों को समुचित निर्देश दिए और चारों दिशाओं में उन्हें सीता जी की खोज के लिए भेज दिया। सुग्रीव राज लक्ष्मण जी के साथ […]

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