Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

कोणार्क सूर्य मंदिर – 2 , जिहादी इस्लाम पर विजय का स्मारक

  … अपने जन्म के कुछ ही वर्षों के भीतर फारस सहित भारत पर ज़िहादी आक्रमण करने वाला इस्लाम 500 वर्षों से भी अधिक पुराना हो चला है किन्तु उसमें सहिष्णुता के चिह्न लेश भर नहीं हैं। भारत को दारुल इस्लाम बनाने के लिये एक ओर असि अत्याचार है तो दूसरी ओर आक्रान्ता ग़ोरी के […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

भारत के किलों की कहानी, भाग – 1, अजेय रहा है कुंभलगढ़ का किला

अजेय रहा है कुंभलगढ़ का किला कुम्भलगढ़ का दुर्ग भारत के गौरवशाली इतिहास को अपने अंक में समाहित करने वाले महान किलों में से एक है । इसका गौरवशाली इतिहास भारत के स्वर्णिम इतिहास एक उज्ज्वल पृष्ठ है। विदेशी तुर्क आक्रमणकारियों से भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने की कहानी की साक्षी देता यह […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

विश्व गुरु रहे भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण तिथियां

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 जो राष्ट्र पूरे विश्व का गुरु है, उसका इतिहास जानिए:-‘भारतीय ऐतिहासिक कालानुक्रम'(क्रोनोलॉज़ी) मेरे सर्वाधिक प्रिय विषयों में से है और विगत डेढ़ दशक से मैं इस विषय पर अन्वेषण और लेखन-कार्य कर रहा हूँ।इस सन्दर्भ में सन् २००९ में मेरी पुस्तक ‘भगवान् बुद्ध और उनकी इतिहाससम्मत तिथि’ इलाहाबाद से प्रकाशित हुई थी जिसका विद्वज्जगत् […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न बनाम अकबर के नवरत्न

अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है । जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ धूर्तों ने इतिहास में लिख दिया कि अकबर के भी नौ रत्न थे । राजा विक्रमादित्य के […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

वैदिक काल में तोप और बंदूक के अस्तित्व के प्रमाण

वैदिक काल में तोप व बन्दूक लेखक- वैदिक गवेषक आचार्य शिवपूजनसिंहजी कुशवाहा ‘पथिक’, विद्यावाचस्पति, साहित्यालंकार, सिद्धान्तवाचस्पति प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ वैदिक काल में आर्यों की सभ्यता अत्यन्त उन्नति के शिखर पर थी। वेदों में सम्पूर्ण विज्ञानों का मूल प्राप्त होता है। वैदिक काल में ‘तोप’ व ‘बन्दूक’ का प्रचार था कि नहीं? देखिये इस विषय में […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

कुम्भलगढ़ दुर्ग : महाराणा प्रताप की जन्म स्थली

रतन सिंह शेखावत कुम्भलगढ़ राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है उदयपुर से ७० कम दूर समुद्र तल से 1087 मीटर ऊँचा और 30 km व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यश्वी महाराणा कुम्भा की सुझबुझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है | इस दुर्ग का निर्माण सम्राट अशोक […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

आर्य जाति के महान रक्षक : आदि शंकराचार्य और महर्षि दयानंद

आदि शंकराचार्य एवं स्वामी दयानन्द (17 मई, 2021को आदि शंकराचार्य जयंती के उपलक्ष में प्रकाशित) #डॉविवेकआर्य आदि शंकराचार्य एवं स्वामी दयानन्द हमारे देश के इतिहास की दो सबसे महान विभूति है। दोनों ने अपने जीवन को धर्म रक्षा के लिए समर्पित किया था। दोनों का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और दोनों ने […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

महाराणा प्रताप के पूर्वजों की शौर्य गाथा

  -प्रियांशु सेठ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी राजाओं की सन्तान ही राजपूत लोग हैं। मेवाड़ के शासनकर्त्ता सूर्यवंशी राजपूत हैं। ये लोग सिसोंदिया कहलाते हैं; जो श्रीरामचन्द्र जी के पुत्र लव की सन्तान हैं। वाल्मीकि रामायण में आया है कि श्रीराम जी ने अपने अन्तिम समय लव को दक्षिण कौशल और कुश को उत्तरीय कौशल का […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति का प्रमुख नारा था – मारो फिरंगियों को

1857 की क्रांति हमारे आक्रोश और विदेशी सत्ता के प्रति पनप रहे विद्रोह के भाव का प्रतीक थी। जिसमें दलन, दमन और अत्याचार के विरुद्ध खुली बगावत के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे थे । चारों ओर लोग ‘मारो फिरंगियों को’ का नारा देकर देश को अंग्रेजों से मुक्त कर देना चाहते थे। अब वह […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

धन सिंह कोतवाल गुर्जर के नेतृत्व में जब 10 मई 1857 को क्रांति भूमि मेरठ से धधक उठी थीं क्रांति की ज्वालाएं

10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह कोतवाल चपराना निवासी ग्राम पाचली मेरठ थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा था – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी […]

Exit mobile version