(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष) संसार की किसी भी धर्म पुस्तक में नारी की महिमा का इतना सुंदर गुण गान नहीं मिलता जितना वेदों में मिलता हैं.कुछ उद्हारण देकर हम अपने कथन को सिद्ध करेगे. १. उषा के समान प्रकाशवती- ऋग्वेद ४/१४/३ हे राष्ट्र की पूजा योग्य नारी! तुम परिवार और राष्ट्र में सत्यम, शिवम्, […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
सुशोभित सक्तावत सन् सैंतालीस में भारत आज़ाद हुआ. “नेहरू बहादुर” प्रधानमंत्री बने. सत्रह साल उन्होंने एकछत्र राज किया. हिंदुस्तान की तमाम अकादमियों में इन सत्रह सालों में “नेहरू बहादुर” ने चुन-चुनकर ऐसे लोगों को बैठा दिया, जिन्हें भारतीय परंपरा से संबद्ध हर ज्ञान से चिढ़ हो. चाहे वो लोक का ज्ञान हो या शास्त्र का […]
बाबर व अकबर के शासन काल में हिन्दू दमन भारत के लाखों करोड़ों वर्ष के इतिहास को गहरे गड्ढे में दबाकर भारतद्वेषी इतिहासकारों ने केवल और केवल मुगल काल को प्रमुखता देते हुए उसे कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि जैसे आज का भारत मुगलों के स्वर्णिम शासन काल की ही देन है । […]
ओ३म् पंडित लेखराम जी स्वामी दयानन्द जी के प्रारम्भ के प्रमुख शिष्यों में से एक रहे जो वैदिक धर्म की रक्षा और प्रचार के अपने कार्यों के कारण इतिहास में अमर हैं। उन्होंने 17 मई, सन् 1881 को अजमेर में ऋषि दयानन्द से भेंट की थी और उनसे अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया था। […]
वैदिक धर्म की मान्यताओं में अविश्वास एवं मत-मतान्तर, भिन्न भिन्न सम्प्रदाय, पंथ, गुरु आदि के नाम से वेद विरुद्ध मत आदि में विश्वास रखना। इस विभाजन से हिन्दू समाज की एकता छिन्न-भिन्न हो गई एवं वह विदेशी हमलावरों का आसानी से शिकार बन गया। वेदों में वर्णित एक ईश्वर को छोड़कर उनके स्थान पर अपने […]
प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ ) भारत में वैदिकधर्म के पुनर्जागरण के इतिहास में भगवत्पाद जगद्गुरु आद्यशंकराचार्य का नाम सर्वोपरि है। आद्य शंकराचार्य के महान् व्यक्तित्व में धर्म-सुधारक, समाज-सुधारक, दार्शनिक, कवि, साहित्यकार, योगी, भक्त, गुरु, कर्मनिष्ठ, विभिन्न सम्प्रदायों एवं मतों के समन्वयकर्त्ता-जैसे रूप समाहित थे। उनका महान् व्यक्तित्व सत्य के लिए सर्वस्व […]
भारतीय राजनीति अपने स्वार्थ में कितनी नीचे गिर सकती है, उसका ज्वलंत उदाहरण इतिहास को ही देखने से मिल जाता है। इसे देश का दुर्भाग्य कहा जाए फिर इतिहासकारों की अज्ञानता अथवा शिक्षित होते हुए भी अशिक्षित। जिन्होंने चंद चांदी के सिक्कों की खातिर देश के गौरवमयी इतिहास को दरकिनार कर आतताई मुगलों का महिमामंडन […]
वाल्मीकि रामायण के आधार पर इसका उत्तर देखते हैं। प्रथम “वानर” शब्द पर विचार करते है। सामान्य रूप से हम “वानर” शब्द से यह अभिप्रेत कर लेते है कि वानर का अर्थ होता है “बन्दर” | परन्तु अगर इस शब्द का विश्लेषण करे तो वानर शब्द का अर्थ होता है वन में रहने और वन […]
सिकन्दर बुतशिकन कश्मीर वैसे तो हमारी भारतीय सांस्कृतिक विरासत का बेजोड़ उदाहरण है, पर पिछले कुछ समय से कश्मीरियत का अभिप्राय कश्मीर की उस गंगा -जमुनी तहजीब से लगाया जा रहा है जिसमें वहाँ के हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ने के लिए बाध्य किया गया है। जब से कश्मीर में इस्लाम का प्रवेश हुआ तभी से […]
भारत के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू को लेकर अकसर यह कहा जाता रहा है कि वह आलीशान जीवन जीना पसंद करते थे। अब मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सांरग ने राजभवन के दस्तावेजों का हवाला देते हुए यह किस्सा सुनाया है कि प. जवाहरलाल नेहरू के लिए सिर्फ एक सिगरेट का पैकेट लेने को भोपाल […]