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इतिहास के पन्नों से

भारत के स्पार्टाकस तिलक मांझी

  प्रवीण गुगनानी वैसे तो विधर्मी आक्रांताओं के विरुद्ध भारत भूमि ने हजारों-लाखों लाल जन्मे हैं किंतु औपनिवेशिक आक्रांताओं के विरुद्ध जो आदि विद्रोही हुये  या प्रथम लड़ाके हुये उस वीर को  तिलका मांझी के नाम से जाना जाता है। तिलका मांझी को जबरा पहाड़िया नाम से भी जाना जाता है। ऐसा निस्संकोच कहा जा […]

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इतिहास के पन्नों से

इमाम ए हिंद और इकबाल

#डॉविवेकआर्य राम मंदिर निर्माण निधि के लिए धन संग्रह करते हुए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा श्री राम जी के लिए ‘इमाम-ए-हिन्द’ का प्रयोग किया गया। हिन्दू समाज इस शब्द से प्राय: परिचित ही नहीं है। इतिहास में यह सम्बोधन अल्लामा इक़बाल द्वारा अपनी इस रचना में श्री राम जी के लिए प्रयोग किया गया था। […]

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इतिहास के पन्नों से

लोक देवता कल्ला जी राठौर

24 फरवरी/बलिदान-दिवस राजस्थान में अनेक वीरों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, जिससे उनकी छवि लोकदेवता जैसी बन गयी। कल्ला जी राठौड़ ऐसे ही एक महामानव थे। उनका जन्म मेड़ता राजपरिवार में आश्विन शुक्ल 8, विक्रम संवत 1601 को हुआ था। इनके पिता मेड़ता के राव जयमल के छोटे भाई आसासिंह थे। […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना , अध्याय 5 (ख)

बहुत पुराना है भारत में इस्लामिक आतंकवाद हिन्दुओं के बारे में अलाउद्दीन को दी गई थी यह सलाह इलियट एंड डाउसन की पुस्तक हिस्ट्री ऑफ इंडिया से (वेबैक मशीन., Vol. 3, Trubner & Co., London, pages 183-185) हमें पता चलता है कि धार्मिक हिंसा का ये प्रक्ररण न केवल सेना के द्वारा रचा गया, अपितु […]

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इतिहास के पन्नों से

वीर सावरकर जी के बारे में क्या कहते थे गांधीजी?

जिन सावरकर को अंग्रेजों ने अपनी हुकूतम के लिए इतना खतरनाक माना था कि डबल कालापानी की सजा दी थी वो लेफ्ट लिबरल गैंग की नजर में कायर थे और जो लोग औपनिवेशिक काल में फ्रेंडली जेल जाते थे उन्हें इस गैंग ने परमवीर स्वतंत्रता सेनानी घोषित कर दिया. 26 फरवरी को वीर सावरकर की […]

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इतिहास के पन्नों से

छत्रपति शिवाजी भारत के ऐसे पहले शासक थे जिन्होंने स्वराज में सुराज्य की स्थापना की

शिवाजी भारत के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने स्वराज्य में सुराज की स्थापना की थी। प्रत्येक क्षेत्र में मौलिक क्रांति की। शिवाजी मानवता के सशक्त संरक्षक थे। वे सभी धर्मों का आदर और सम्मान करते थे। लेकिन हिंदुत्व पर आक्रमण कभी सहन नहीं किया। महाराष्ट्र के ही नहीं अपितु पूरे भारत के महानायक थे वीर […]

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इतिहास के पन्नों से

शिवाजी महाराज का जय सिंह को पत्र, भाग – 2

ऐ सरदारों के सरदार,राजाओ के राजा तथा भारत रूप उद्यान की क्यारियों के व्यवस्थापक! ऐ रामचन्द्र के चैतन्य हृदयांश,तुझसे राजपूतों की ग्रीवा उन्नत है। लेकिन बाबर के वंशजों की राज्यलक्ष्मी अधिक प्रबल हो रही है,तथा उसे तुझसे सहायता मिलती है। हे प्रबलभाग्य तथा वृद्ध बुधि वाले जयशाह!शिव का प्रणाम और आशीष स्वीकार कर। जगत का […]

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इतिहास के पन्नों से

गांधीजी के जीवन में कस्तूरबा का योगदान

21 फरवरी/पुण्य-तिथि मोहनदास करमचन्द गांधी को सारा भारत ही क्या, सारा विश्व जानता है; पर उन्हें गोधी जी के रूप में आगे बढ़ाने के लिए जिस महिला ने अन्तिम समय तक सहारा और उत्साह प्रदान किया, वह थीं उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी, जो ‘बा’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं। यह बात गांधी जी ने कई […]

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इतिहास के पन्नों से

राजा जयसिंह के नाम शिवाजी का पत्र

वीर छत्रपति शिवाजी की जयंती पर विशेष रूप से प्रकाशित (IIT मुंबई में एक प्रोफेसर है -डॉ राम पुनियानी। आप साम्यवादी विचारों को प्रचारित करने में सदा लगे रहते है। आपका एक वीडियो देखने में आया जिसमें आप शिवाजी की सेना में कुछ मुस्लिम सैनिकों और अफ़ज़ल खान/औरंगज़ेब की सेना के कुछ हिन्दू सैनिकों के […]

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आर्थिकी/व्यापार इतिहास के पन्नों से

हम क्या थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी

इतिहास की अगर हम बात करें तो जब भारत में औद्योगिकरण शुरू हुआ तो लगभग 1860-70 में सबसे पहले मारवाड़ के सिंघानिया परिवार इसी ओर अग्रसर हुए। सन् 1921 से लेकर 1937 तक उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों का लोकार्पण किया। इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों मे मारवाडियों द्वारा सभी बड़े-बड़े उद्योग स्थापित […]

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