डॉ. वेदप्रताप वैदिक सरकार को तकनीकी विशेषज्ञों को सक्रिय करके ऐसी विस्तृत नियमावली तैयार करनी चाहिए कि उसका उल्लंघन होने पर एक भी मर्यादाहीन शब्द इन संचार साधनों पर न जा सके। और यदि चला जाए तो दोषी व्यक्ति के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों […]
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आज हम अपने देश के महान इतिहासनायक, युगपुरुष योगिराज श्री कृष्ण जी की 5250 वी जयंती मना रहे हैं। इस राष्ट्र नायक के राष्ट्रवादी स्वरूप को स्थापित न करके उसे छलिया, चूड़ी बेचने वाला श्याम आदि बनाकर जिस प्रकार पाखंड चलाया गया है उससे हमारे देश का बहुत अहित हुआ है। आज अपने इस योगीराज […]
अनूप भटनागर समाज के कमजोर और न्याय तक पहुंच से वंचित तबकों के हितों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा अस्सी के दशक में शुरू की गयी जनहित याचिका, जो पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के नाम से ज्यादा चर्चित है, प्रणाली आज जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा और इनके प्रति उदासीन कार्यपालिका और भ्रष्ट […]
अनूप भटनागर बताते हैं कि अदालतों में मुकदमे दायर करने के मामले में केंद्र और राज्य सरकारें सबसे आगे हैं। यही नहीं, केन्द्र और राज्य सरकारों के संबंधित विभागों के अधिकारी उच्चतम न्यायालय में अपील या विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिये निर्धारित समय सीमा की अवहेलना करने के मामले में भी सबसे […]
बीजेपी सत्ता में आई उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है …गुजरात को मीडिया के लोग हिंदुत्व की प्रयोगशाला कहते थे …गुजरात पहला राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में आई और जिस जमाने में बीजेपी के सिर्फ दो संसद सदस्य थे उसमें से एक मेहसाना से थे। आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि गुजरात में […]
बुद्ध मत स्वीकार करने वाला 99.9 %दलित वर्ग बुद्ध मत को एक फैशन के रूप में स्वीकार करता हैं। उसे महात्मा बुद्ध कि शिक्षाओं और मान्यताओं से कुछ भी लेना देना नहीं होता। उलटे उसका आचरण उससे विपरीत ही रहता हैं। उदहारण के लिए- 1. मान्यता- महात्मा बुद्ध प्राणी हिंसा के विरुद्ध थे एवं मांसाहार […]
RSS ने 52 वर्षों तक भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा क्यों नही फहराया ? जी हां ये सच है कि 1950 से 2002 तक RSS ने तिरंगा नहीं फहराया, तो इस राष्ट्रीय ध्वज के न फहराने का सच क्या है ? आइये जानते हैं ! ऐसा क्या हुआ कि 1950 के बाद RSS ने […]
#डॉविवेकआर्य लाहौर में एक चौबारा था। उसका नाम था ‘छज्जू का चौबारा’। पंजाबी जीवन शैली में लोकोक्ति चर्चित है-‘जो सुख छज्जू दे चौबारे, न बलख न बुखारे’ अर्थात छज्जू के चौबारे का सुख के आगे बल्क व बुखारे का सुख भी फीका पड़ जाता है। छज्जू भगत का असली नाम छज्जू भाटिया था। वे […]
(श्रावण मास में हमें कैसी वेद कथाओं का आयोजन करना चाहिए ? इस विषय पर हमने पिछले दिनों अपनी ओर से कुछ प्रकाश डाला था। अब इसी विषय पर ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के चेयरमैन श्री देवेंद्र सिंह आर्य जी का यह लेख ग्रंथियों और भ्रांतियों का समाधान करने में बहुत अधिक सक्षम है। […]
डा. अंबेडकर- पुरूष सूक्त ब्राह्मणों ने अपनी स्वार्थ सिध्दि के लिये प्रक्षिप्त किया है।कोल बुक का कथन है कि पुरूष सूक्त छंद और शैली में शेष ऋग्वेद से सर्वथा भिन्न है।अन्य भी अनेक विद्वानों का मत है कि पुरूष सूक्त बाद का बना हुआ है। पं. शिवपूजन सिंह- आपने जो पुरूष सूक्त पर आक्षेप किया […]