गोपाल कृष्ण गोखले गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 ई। को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 1884 ई। में बी।ए। की परीक्षा पास करने के बाद वे 18 वर्ष की आयु में अध्यापक बने। आगे चलकर गोपाल कृष्ण गोखले फरग्यूसन कॉलेज पुणे के अध्यापक एवं प्राचार्य भी […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
वीर सावरकर – मुझे शासन ने कोई उपाधि प्रदान नहीं की, मेरा जब्त किया हुआ मकान वापस नही किया इसलिए कुछ व्यक्ति दुखी हैं किन्तु मुझे कभी किसी उपाधि की अभिलाषा नहीं रही, तीन चतुर्थांश भारत स्वतंत्र हुआ देखकर ही हमने सबकुछ पा लिया। क्रांति की उपासना जिस समय पागलपन समझी जाती थी उस समय […]
आज हमारे बिरसा मुंडा भगवान की जयंती है। अपने जनजातीय समाज को साथ लेकर उलगुलान किया था उन्होने। उलगुलान अर्थात हल्ला बोल, क्रांति का ही एक देशज नाम। वे एक महान संस्कृतिनिष्ठ समाज सुधारक भी थे, वे संगीतज्ञ भी थे जिन्होंने सूखे कद्दू से एक वाद्ययंत्र का अविष्कार भी किया था जो अब भी बड़ा […]
लेखक :- श्री स्वामी ओमानन्द सरस्वती प्रस्तुति :- अमित सिवाहा महर्षि दयानन्द के जीवनकाल में ही उनके भक्तों तथा विरोधियों की पर्याप्त बड़ी संख्या हो गयी थी । सच्चे वैदिक धर्म के पारखी और जिज्ञासु तो उनके उपदेश से सहज में उनके श्रद्धालु भक्त व शिष्य बन जाते थे । जैसे एक रिवाड़ी के राव […]
========== ऋषि दयानन्द जी का बलिदान 140 वर्ष पूर्व हुआ था। इस अवधि में उनके अनुयायियों एवं आर्यसमाज ने जो कार्य किये हैं उसमें अनेक सफलतायें हैं। ऋषि दयानन्द को हम इसलिये भी स्मरण करते हैं कि उन्होंने हमें असत्य का परिचय कराकर सत्य ज्ञान, सत्य सिद्धान्त व मान्यताओं सहित जीवन को श्रेष्ठ व सफल […]
एक नया और खंडित राष्ट्र अगस्त 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो उसके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ थीं। बँटवारे की वजह से 80 लाख शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आ गए थे। इन लोगों के लिए रहने का इंतजाम करना और उन्हें रोजगार देना जरूरी था। इसके बाद रियासतों की समस्या थी। तकरीबन 500 रियासतें […]
सर्वप्रथम वेदों का प्रादुर्भाव भारतवर्ष की धर्म धरा पर हुआ । ईश्वरीय वाणी वेद का यह निर्मल ज्ञान संसार में सर्वत्र फैलाने का काम हमारे ऋषियों ने किया। वैसे तो वेद एक ही है पर संख्या की दृष्टि से इसे चार भागों में बांटकर देखा जाता है। प्रत्येक वेद का एक उपवेद है। इस प्रकार […]
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की अद्भुत धारणा शक्ति… महर्षि दयानन्द जी की धारणा शक्ति अपूर्व थी, उन्होंने एक बार पं० भगवान वल्लभ से सुश्रुत संहिता जो हजारों पृष्ठ का ग्रन्थ था, मंगवाकर देखा, और एक दो दिन में ही उस पर इतना अधिकार कर लिया कि प्रश्न उठने पर प्रत्येक, प्रसंग का वाक्य उद्धत करने […]
लेखक – अमरस्वामी सरस्वती स्त्रोत – स्वामी भीष्म अभिनन्दन ग्रंथ प्रस्तुति – अमित सिवाहा श्री स्वामी भीष्म जी को अरनियां जिला बुलन्द शहर (उत्तर प्रदेश) में आर्य समाज के एक वार्षिकोत्सव पर थी कुंवर सुखलाल जी आर्य मुसाफिर ने बुलवाया था। पहले पहिल तभी मैंने इनको देखा और इनके भजनोपदेशों को सुना था। तब श्री […]
-ललित गर्ग – अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं कर्मठता से नवजात भारत गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान कर विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर एक अमिट आलेख लिखने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद भी, सरदार पटेल का योगदान […]