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आज का चिंतन

यजुर्वेद में यज्ञ शब्द पर हैं अनेक अर्थ

यजुर्वेद में यज्ञ की अनेकों स्थानों पर बड़ी अच्छी व्याख्या की गई है।यजु० अ० १८ मन्त्र ६२ में ‘यज्ञम्’- ‘अध्ययनाध्यापनाख्यम्’ – अध्ययनाध्यापन कर्म का नाम यज्ञ है। यजु० अ० २२ मन्त्र ३३ में ‘यज्ञ’ शब्द बहुत बार आया है। यदि इस मंत्र को यजुर्वेद का सार तत्व कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । […]

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यजुर्वेद में यज्ञ की महिमा

            श्री सायण, उव्वट, महीधर ने जिस प्रकार वेदों के अश्लील परक अर्थ किए। उससे ईश्वरीय वाणी के रूप में स्थापित रहे वेदों की महिमा का बहुत अधिक हनन हुआ। इन अश्लील परक अर्थों को पकड़कर दूसरे मत, पंथ व संप्रदायों के लोगों ने हमारे पवित्र धर्म ग्रंथों का उपहास […]

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वसुधैव कुटुंबकम की पवित्र भावना को संयुक्त राष्ट्र बनाए अपना सूत्र वाक्य : हरीश चंद्र भाटी

यजुर्वेद पारायण यज्ञ के अंतिम और सातवें सत्र में अपना संबोधन देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र भाटी ने कहा कि पश्चिमी देशों के तथाकथित विद्वानों के साथ-साथ कम्युनिस्ट और कांग्रेसी मानसिकता के लोगों ने वेदों के अर्थ का अनर्थ किया है। देश के पौराणिक समाज ने भी वेद के मन्त्रार्थ […]

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यजुर्वेद और यज्ञों का महत्व

मनमोहन कुमार आर्य चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद, ईश्वरीय ज्ञान है जिसे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा को दिया था। ईश्वर प्रदत्त यह ज्ञान सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद सभी मनुष्यों के लिए यज्ञ करने का विधान करते […]

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यजुर्वेद का साधारण परिचय

यजुर्वेद में विशेष क्या है ? यजुर्वेद में विभिन्न प्रकार के यज्ञों की चर्चाएं हैं। कर्मकांड है। यजुर्वेद का तात्पर्य ऋग्वेद से प्राप्त ज्ञान को, विचारों को कार्य में परिणत करके अभीष्ट की सिद्धि कैसे प्राप्त हो ? इसका विवरण है। कर्म का सोपान चढ़ने के लिए जो प्रेरित करता है ,जो कर्म वेद है, […]

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देश की तरक्की के लिए तनाव का माहौल उचित नहीं

 ललित गर्ग कैसी विसंगतिपूर्ण साम्प्रदायिक सोच है कि जब हमारी ऊर्जा विज्ञान व पर्यावरण, शिक्षा एवं चिकित्सा के जटिल मुद्दों को सुलझाने में खर्च होनी चाहिए थी, वो ऊर्जा सांप्रदायिक ताकत को बढ़ाने के लिए खर्च हो रही है। ऐसा क्यों है? समस्याएं अनेक हैं। बात कहां से शुरू की जाए। खो भी बहुत चुके […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

पराधीन भारत में शिक्षा की लौ जलाने वाले तपस्वी शिक्षाविद महात्मा हंसराज

डॉ. विवेक आर्य भारत के शैक्षिक जगत में डी.ए.वी. विद्यालयों का बहुत बड़ा योगदान है। विद्यालयों की इस शृंखला के संस्थापक हंसराज जी का जन्म महान संगीतकार बैजू बावरा के जन्म से धन्य हुए ग्राम बैजवाड़ा (जिला होशियारपुर, पंजाब) में 19 अप्रैल, 1864 को हुआ था। बचपन से ही शिक्षा के प्रति इनके मन में […]

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देव पूजा, संगतिकरण और दान

यज्ञ में देव पूजा संगतिकरण और दान का विधान है। देव पूजा जहां ब्राह्मण वर्ण से संबंधित है, वहीं संगतिकरण क्षत्रिय वर्ण से और दान वैश्य वर्ण के लोगों से संबंधित है। देव पूजा ज्ञान प्रधान होने से ब्राह्मण वर्ण पर यह कार्य आरोपित करती है कि उन्हें समाज से अज्ञान नाम के शत्रु को […]

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*शिक्षा शिक्षार्थी शिक्षक और यजुर्वेद*

वैदिक गुरुकुलीय आर्ष शिक्षा पद्धति संसार की सबसे प्राचीन वैज्ञानिक तार्किक बहुआयामी विकसित शिक्षा पद्धति है। जिसे भारतीय शिक्षा पद्धति के नाम से भी पहचाना संबोधित किया जाता है ।अंग्रेजों के भारत आगमन से पूर्व भारतीय शिक्षा पद्धति भारत के लाखों ग्रामों में स्थापित एकछत्र व्यापकता से प्रचलित थी। भारतीय अर्थात गुरुकुलीय वैदिक शिक्षा पद्धति […]

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यजुर्वेद का निचोड़ है इस मंत्र में

वैसे तो यजुर्वेद का प्रत्येक मंत्र ही अपने आप में विशिष्टता लिए हुए है। परंतु मेरा मानना है कि यजुर्वेद के 22 वें अध्याय का 33 वां मंत्र पूरे यजुर्वेद का निचोड़ है । यदि जीवन में इस मंत्र की भावना को अंगीकार कर लिया जाए तो निश्चित ही आशातीत सफलता प्राप्त होती है । […]

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