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आज का चिंतन

*पीडक ही, पीड़ित हो गया*

___________________ पशु पक्षी जीव जंतुओं से हमारा संबंध अनेक आयामों में है पशु पक्षी जीव जंतु पालनीय हैं ,हम इनके पालक हैं| यह रक्षा करने योग्य रक्षनीय हैं, हम इनके रक्षक हैं | सृष्टि के आदि से लेकर मनुष्य ने इस कर्तव्य को भलीभांति निभाया… सभी जीवो से यथा योग्य कार्य लिया… बगैर पीड़ा पहुंचाए […]

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जाने चले जाते हैं कहां दुनिया से जाने वाले’

ओ३म् ======== मनुष्य संसार में जन्म लेता है, शिशु से किशोर, युवा, प्रौढ़ व वृद्ध होकर किसी रोग व अचानक दुर्घटना आदि से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। वैदिक ग्रन्थों में मृत्यु का कारण जन्म को बताया गया है। यदि हमारा जन्म ही न हो तो हमारी मृत्यु नहीं हो सकती। यदि जन्म हुआ […]

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ईश्वर उपासना क्यों और कैसे ?* …………………

………………… ईश्वर उपासना का अधिकारी बनने के लिए आवश्यक है कि सब प्रकार के छल कपट, द्वेष, अन्याय, पाखंड, अन्धविश्वास, पशुबलि, पाषाण पूजा, ऊंच-नीच, जात-पात आदि से मुक्त हुआ जाए । जात-पात व ऊंच नीच पर परशुराम और श्रवण कुमार का संवाद प्रेरणादायक है- श्रवणकुमार, ऋषि परशुराम को अपना परिचय देते हुए उन्हें बताते हैं […]

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वेदों के पांच ऋषि

डॉ. विवेक आर्य ऋग्वेद 10/150/ 1-5 मन्त्रों में अग्नि रूप परमेश्वर को सुखप्राप्ति के लिए आवहान करने का विधान बताया गया है। ईश्वर से प्रार्थना करने और यज्ञ में पधारकर मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की गई है। धन, संसाधन, बुद्धि, सत्कर्म इच्छित पदार्थों, दिव्या गुणों आदि की प्राप्ति के लिए व्रतों का पालन करने वाले […]

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बोलचाल में बुद्धिमत्ता और सभ्यता का प्रयोग अवश्य करें : परिव्राजक

*”व्यक्ति सुबह जब से जागता है, तभी से वह बोलना आरंभ कर देता है। और रात्रि को सोने तक पूरे दिन वह बोलता ही रहता है। जो भी व्यक्ति उसे मिलता है, उसी के साथ वह कुछ न कुछ बातें करता ही रहता है।”* प्रायः लोगों में एक प्रवृत्ति और देखी जाती है, कि *”वे […]

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सत्यार्थ प्रकाश ने विधर्मी ईसाई होने से बचाया था

डॉ. विवेक आर्य सठियाला गांव, जिला अमृतसर के रहने वाले डॉ विश्वनाथ जी बोताला में प्रतिदिन पढ़ने जाया करते थे। वहां एक ईसाई मिशनरी रहता था, जो ईसाई मत का खूब प्रचार करता था। स्कूल के विद्यार्थियों को वह सदा रिझाने की फिराक़ में रहता था। वह विद्यार्थियों में बाइबिल की कहानियां सुनाने , छोटे […]

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संसार में कहीं भी कोई भी व्यक्ति पूरा सुखी नहीं है

महर्षि कपिल जी ने अपने सांख्य दर्शन में बतलाया है, कि “संसार में कहीं भी कोई भी व्यक्ति पूरा सुखी नहीं है।” उसी सांख्य दर्शन में एक और स्थान पर भी उन्होंने ऐसी बात कही है, कि “संसार उसी का नाम है जहां दिन रात, राग और द्वेष चलता रहता है।” अब आप इन बातों […]

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भारत में बांग्लादेशी मुसलमान व रोहिंग्या की बढ़ती आबादी कहीं नया पाकिस्तान की तैयारी में तो नही ?

डॉ. विवेक आर्य चुनावी माहौल आते ही राजनीतिक दल दुकानों पर लगने वाली सेल के समान रेवड़ियां बाँटने लगते है। मगर देश में बस रहे बंगला देशी और रोहिंग्या मुसलमान की समस्या को लेकर गंभीर कोई भी नहीं दिखता। जो दिखनी चाहिए। केवल आसाम में इस समस्या को लेकर कुछ प्रयास हुए है। पर उसका […]

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गांधी के एकपक्षीय चिंतन के कारण हुई हिंदी की दुर्दशा

डॉ. विवेक आर्य महात्मा गाँधी के जीवन को मैं जितना पढ़ता जाता हूँ। उतना मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि वर्तमान में देश की जितनी भी समस्याएं है। उन सभी की जड़ में उनका एकपक्षीय चिंतन है। अति-अहिंसावाद और मुस्लिम तुष्टिकरण की उनकी विचारधारा में देश के विभाजन होने एवं लाखों हिन्दुओं की हत्या […]

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“ईश्वर जीवों के कर्मों का साक्षी और उन सबका फल प्रदाता है”

ओ३म् ========== क्या आप ईश्वर व उसके बनाये हुए इस संसार को जानते हैं? इसका उत्तर वह बन्धु जिन्होंने वेद व ऋषियों के शास्त्र पढ़े, जाने व कुछ समझे हैं, हां में देते हैं। कोई भी रचना तभी अस्तित्व में आती है कि जब कोई ज्ञानी मनुष्य उसकी रचना करता है। क्या कोई पेण्टिंग बिना […]

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