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*यजुर्वेद का रूद्र अध्याय*

यजुर्वेद के 16 अध्याय को रुद्र अध्याय के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय के समस्त मंत्रों का विषय अर्थात देवता रूद्र है। 16 वे अध्याय के प्रथम मंत्र में ‘नमस्ते रुद्र’ कहा गया है ।रूद्र परमेश्वर प्राणआदि वायु जीव अग्नि आदि का नाम है। सत्यार्थ प्रकाश मे महर्षि दयानंद रुद्र शब्द की व्याख्या […]

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*यजुर्वेद में प्राणी शास्त्र*

यजुर्वेद का 24 वां अध्याय प्राणी शास्त्र के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय में 337 प्रकार के पशु पक्षियों का वर्णन मिलता है। जगत में आने वाले प्राकृतिक उत्पातो आपदाओं का ज्ञान पशु पक्षियों को स्वाभाविक रूप से शीघ्र हो जाया करता है। इसके अतिरिक्त यह भी विचारणा एवं जानना आवश्यक है कि […]

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पृथ्वी सूक्त – पृथ्वी की स्तुति में अथर्ववेद  की ऋचाएं

सत्यं बृहदृतमुग्रं दीक्षा तपो ब्रह्म यज्ञः पृथिवीं धारयन्ति । सा नो भूतस्य भव्यस्य पत्न्युरुं लोकं पृथिवी नः कृणोतु ॥१॥   मातृ पृथ्वी के लिए नमस्कार!  सत्य (सत्यम), ब्रह्मांडीय दैवीय नियमों ( ऋतम), सर्वशक्तिमान   परब्रहम में विद्यमान आध्यात्मिक शक्ति, ऋषियों मुनियों द्वारा समर्पण भाव से किये गये यज्ञ और तप,–इन सब ने धरती माता को युगों –युगों से संरक्षित और संधारित किया है।  वह (पृथ्वी) जो हमारे लिए भूत और भविष्य की सह्चरी है, […]

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“आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है”

ओ३म् ========= हम अपने पूर्वजन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। दो मनुष्यों व इनकी आत्माओं के कर्म समान नहीं होते। अतः सभी मनुष्यों के परिवेश व इनकी सामाजिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न देखने को मिलती हैं। वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य योनि (कर्म करने व फल भोगने […]

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यजुर्वेद में यज्ञ शब्द पर हैं अनेक अर्थ

यजुर्वेद में यज्ञ की अनेकों स्थानों पर बड़ी अच्छी व्याख्या की गई है।यजु० अ० १८ मन्त्र ६२ में ‘यज्ञम्’- ‘अध्ययनाध्यापनाख्यम्’ – अध्ययनाध्यापन कर्म का नाम यज्ञ है। यजु० अ० २२ मन्त्र ३३ में ‘यज्ञ’ शब्द बहुत बार आया है। यदि इस मंत्र को यजुर्वेद का सार तत्व कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । […]

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यजुर्वेद में यज्ञ की महिमा

            श्री सायण, उव्वट, महीधर ने जिस प्रकार वेदों के अश्लील परक अर्थ किए। उससे ईश्वरीय वाणी के रूप में स्थापित रहे वेदों की महिमा का बहुत अधिक हनन हुआ। इन अश्लील परक अर्थों को पकड़कर दूसरे मत, पंथ व संप्रदायों के लोगों ने हमारे पवित्र धर्म ग्रंथों का उपहास […]

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वसुधैव कुटुंबकम की पवित्र भावना को संयुक्त राष्ट्र बनाए अपना सूत्र वाक्य : हरीश चंद्र भाटी

यजुर्वेद पारायण यज्ञ के अंतिम और सातवें सत्र में अपना संबोधन देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र भाटी ने कहा कि पश्चिमी देशों के तथाकथित विद्वानों के साथ-साथ कम्युनिस्ट और कांग्रेसी मानसिकता के लोगों ने वेदों के अर्थ का अनर्थ किया है। देश के पौराणिक समाज ने भी वेद के मन्त्रार्थ […]

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यजुर्वेद और यज्ञों का महत्व

मनमोहन कुमार आर्य चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद, ईश्वरीय ज्ञान है जिसे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा को दिया था। ईश्वर प्रदत्त यह ज्ञान सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद सभी मनुष्यों के लिए यज्ञ करने का विधान करते […]

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यजुर्वेद का साधारण परिचय

यजुर्वेद में विशेष क्या है ? यजुर्वेद में विभिन्न प्रकार के यज्ञों की चर्चाएं हैं। कर्मकांड है। यजुर्वेद का तात्पर्य ऋग्वेद से प्राप्त ज्ञान को, विचारों को कार्य में परिणत करके अभीष्ट की सिद्धि कैसे प्राप्त हो ? इसका विवरण है। कर्म का सोपान चढ़ने के लिए जो प्रेरित करता है ,जो कर्म वेद है, […]

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देश की तरक्की के लिए तनाव का माहौल उचित नहीं

 ललित गर्ग कैसी विसंगतिपूर्ण साम्प्रदायिक सोच है कि जब हमारी ऊर्जा विज्ञान व पर्यावरण, शिक्षा एवं चिकित्सा के जटिल मुद्दों को सुलझाने में खर्च होनी चाहिए थी, वो ऊर्जा सांप्रदायिक ताकत को बढ़ाने के लिए खर्च हो रही है। ऐसा क्यों है? समस्याएं अनेक हैं। बात कहां से शुरू की जाए। खो भी बहुत चुके […]

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