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बिखरे मोती

संसार में जीना है तो अनासक्त भाव से जीओ

संसार में जीना है तो अनासक्त भाव से जीओ :- अनासक्त होकर जीओ, मत मोह – माया पाल। हंस उड़ेगा एक दिन, सूना होगा ताल ॥2472॥ आनंद का स्रोत कौन है – आकर्षण संसार में, किन्तु नही आनंद। आनन्द का स्रोत तो, केवल सच्चिदानन्द॥2471॥ आत्मा कब धन्य होती है – अन्तर्दृष्टि से निरख, निजमनु आकाहाल। […]

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आज का चिंतन

मनुष्य अकेला नहीं जी सकता

*”मनुष्य अकेला नहीं जी सकता, क्योंकि वह अल्पज्ञ और अल्पशक्तिमान है। ठीक प्रकार से या सुख पूर्वक जीवन जीने के लिए उसे अनेक लोगों का सहयोग लेना पड़ता है।” “दूसरे लोगों का सहयोग मिलने पर व्यक्ति का जीवन सरल हो जाता है। इससे उसकी अनेक समस्याएं सुलझ जाती हैं, और अनेक प्रकार से उसे सुख […]

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स्वास्थ्य

स्वास्थ्य का शत्रु , ‘सरसों का साग*’

* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ आर्ष वैदिक कालीन आयुर्वेद परंपरा के मूलतः दो ग्रंथ सौभाग्य से उपलब्ध है ‘चरक संहिता’ व ‘सुश्रुत संहिता’। आचार्य वागभट्ट का ‘अष्टांग हृदयम’ भी इसी परंपरा को समृद्ध संकलित करता है ,भले ही यह वैदिक कालीन ग्रंथ ना हो। उपरोक्त उलेखित उपलब्ध ग्रन्थों में ‘अन्नपानविधि’ नामक शीर्षक से स्वतंत्र […]

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कहानी

महाभारत की शिक्षाप्रद कहानियां अध्याय- १३ ख ज्ञानी पुत्र का पिता को उपदेश

बालक ने कहा कि नदियों का प्रभाव सदा आगे की ओर ही बढ़ता है। वह कभी पीछे की ओर नहीं लौटता । उसकी निरंतर साधना का राज आगे बढ़ने में छिपा है। इसी प्रकार रात और दिन भी मनुष्य की आयु का अपहरण करके मानो उसे खाते जा रहे हैं। यह बार-बार आ रहे हैं […]

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भारतीय संस्कृति

ऋषिकेश के प्रमुख आकर्षण

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी ऋषिकेश उत्तरखण्ड के देहरादून ज़िले में देहरादून के निकट एक नगर है। यह गंगा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और हिन्दुओं का एक तीर्थस्थल है, जहाँ प्राचीन सन्त उच्च ज्ञानान्वेषण में यहाँ ध्यान करते थे।नदी के किनारे कई मन्दिर और आश्रम बने हुए हैं। इसे “गढ़वाल हिमालय का […]

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आज का चिंतन

संसार में तन मन धन से सुखी कौन नहीं रहना चाहता?

संसार में तन मन धन से सुखी कौन नहीं रहना चाहता? सभी चाहते हैं। परंतु यह बात भी प्रसिद्ध है, कि “कर्म किए बिना फल नहीं मिलता।” “इसलिए जो लोग सुखी रहना चाहते हैं, उन्हें कुछ न कुछ कर्म तो करना ही पड़ेगा, तभी उनकी इच्छा पूरी हो पाएगी।” “तो यदि आप तन से सुखी […]

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आतंकवाद

हिन्दू_संस्कृति_की_अजेयता_और_वर्तमान_खतरा

# बहुत आक्रमणों को झेला हमने, एक के बाद एक। करते रहे संघर्ष पर हार कभी नहीं मानी। मिश्र, फारस, यूनान, रोम, स्केंडनेविया… सभी की संस्कृति का विनाश हुआ पर हिंदू अड़े रहे, लड़ते पिटते, हारते, जीतते… पर अड़े रहे। कैसे? कहाँ से आई इतनी #जिजीविषा? क्या केवल #योद्धाओंकासंघर्ष? अगर संघर्ष केवल योद्धाओं का था […]

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भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारत की वैश्विक संस्कृति, भाग 2

3 – सीमन्तोन्नयन संस्कार इस संस्कार के माध्यम से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास करने का विधान किया गया है । सीमन्त का अर्थ ही मस्तिष्क है और उन्नयन का अर्थ उसका विकास करना है । कहने का तात्पर्य है कि जिस संस्कार के माध्यम से बच्चे का मानसिक विकास किया जाए उसे सीमंतोन्नयन […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

24 नवंबर 1675 की तारीख गवाह बनी थी, हिन्दू के हिन्दू बने रहने की !

! दोपहर का समय और जगह चाँदनी चौक , दिल्ली लाल किले के सामने जब मुगलिया हुकूमत की क्रूरता देखने के लिए लोग इकट्ठे हुए पर बिल्कुल शांत बैठे थे -नौवें गुरू तेग बहादुर साहिब। लोगो का जमघट !! और सबकी सांसे अटकी हुई थी ! शर्त के मुताबिक अगर गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

चौधरी_छोटूराम एवं #शुद्धि_आन्दोलन*

#जयंती_दिवस 24 नवम्बर पर विशेष:- दीनबंधु चौधरी छोटूराम जैसा किसान हितैषी आज तक नहीं हुआ। चौधरी साहब ने अपना जीवन किसानों के हित के लिए जिया। किसान चाहे किसी भी मजहब या जाति का रहा हो, उनके लिए वह अपना था। उन्होंने अपने प्रेरणास्रोत ऋषि दयानंद के वाक्य ‘किसान राजाओं का राजा होता है।’ को […]

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