उगता भारत ब्यूरो इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
अनुराग भारद्वाज मैं: ‘अच्छा बताओ. हम क्या बोलते हैं? अशोक महान था या अशोक महान थे?’ वह: ‘एक ही बात है.’ मैं: फिर भी…अक्सर क्या बोला जाता है?’ वह: ‘अशोक महान था.’ मैं: ‘अकबर महान था? या अकबर महान थे?’ वह: ‘फिर वही बात? अकबर भी महान ही था, भाई! हर एक के लिए ऐसे […]
उगता भारत ब्यूरो 4 जुलाई 1944 को बर्मा में भारतीयों के सामने दिया गया नेताजी का ये प्रेरक भाषण शब्दशः प्रस्तुत है दोस्तो ! बारह महीने पहले “ पूर्ण संग्रहण ”(total mobilization) या “परम बलिदान ”(maximum sacrifice) का एक नया कार्यक्रम पूर्वी एशिया में मौजूद भारतीयों के समक्ष रखा गया था ! आज मैं आपको […]
प्रसिद्ध लेखक शिव खेड़ा से पूछा गया कि क्या आप गाँधीवादी हैं? उनका जवाब पढ़िए: दर्शकों में से एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा, क्या आप गाँधीवादी हैं? मैंने अपने जीवन में एक चीज़ सीखी है, किसी प्रश्न का जवाब देने से पहले, आप सवाल को स्पष्ट करो, और दूसरी बात, कभी-कभी एक सवाल का सबसे […]
#विश्वहिन्दीदिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित आजादी के पूर्व 1937 में गांधीजी के आदेश पर देश मे धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने के लिए ‘वर्धा शिक्षा समिति’का पाठयक्रम तैयार किया। इस पाठ्यक्रम में अरबी,फारसी ,उर्दू और हिंदी को जोड़ कर एक नई भाषा तैयार की गई। जिसे “हिंदूस्तानी भाषा” का नाम दिया गया। इस भाषा मे […]
डॉ संजय पंकज आत्मविश्वास और देवत्व से देदीप्यमान आनन, पवित्रता और पुरुषार्थ से चमकती आंखें, गौरव और दर्प से उन्नत सिर, चौड़ी छाती, कसी मांसपेशियां, दिशाओं को भुजाओं में समेट लेने की शक्ति से भरी हुई बाहें और दृढ़ता से धरती पर जमे पैर! यह है नर- नाहर योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानंद का दमकता हुआ […]
उगता भारत ब्यूरो माला में क्यों होते हैं 108 दाने- 12 राशियांत्रिक क्यों होती है। क्या आपने कभी ग़ौर किया है कि जाप की सभी मालाओं में 108 दाने ही क्यों होते हैं? संख्या 108 ही क्यों है, 107 या 109 क्यों नहीं? आख़िर हिंदू धर्म में 108 का इतना ज़्यादा महत्व क्यों है? तो […]
शालिनी तिवारी अद्वितीय यानी जिसके जैसा दूसरा न हो। इसे ही अंग्रेजी में यूनिक ( Unique ) भी कहा जाता है। खैर यह बिल्कुल सच भी है कि दुनियाँ का प्रत्येक प्राणी अद्वितीय है।यकीन मानिए आप जैसा न कोई इस दुनियाँ में हुआ है और आने वाले वक्त में न होगा ही। जरा गौर कीजिए, […]
तारकेश कुमार ओझा आधुनिकता के उच्चतम शिखर पर जहां आज भी मानव जीवन के चिह्न नदारद हो वहां सदियों पहले मानवीय दिनचर्या की उपस्थिति किसी को भी देवत्व प्रदान करने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि अत्यंत दुर्गम क्षेत्र में सामान्य जीवन यापन व सात्विक क्रियाकलाप कोई सहज कार्य नहीं। हम बात कर रहे हैं पश्चिम […]
#डॉविवेकआर्य सारे देश की आशा है, हिंदी आपकी भाषा है। 10 जनवरी आर्य भाषा ‘हिंदी दिवस’ पर हार्दिक शुभकामनायें स्वामी दयानंद ने 1857 के स्वाधीनता संग्राम को असफल होते देखा था और उसके असफल होने का मुख्य कारण भारतीय समाज में एकता की कमी होना था। स्वामी दयानंद ने इस कमी को समाप्त करना आवश्यक […]