लेखक- डॉ० भवानीलाल भारतीय प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ, डॉ० विवेक आर्य सहयोगी- डॉ० ब्रजेश गौतमजी स्वामी दयानन्द संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार को स्वदेश की उन्नति के लिए अत्यावश्यक समझते थे। उनका यह सत्य विश्वास था कि भारत की प्राचीन परम्परा और संस्कृति संस्कृत साहित्य में सुरक्षित है। आर्यों के प्राचीन धर्म, दर्शन, अध्यात्म तथा जीवन […]
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