के वी रमेश चोलों ने 8वीं-9वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक दक्षिण में, मुख्य रूप से तमिल क्षेत्र पर शासन किया ।उन्हें पल्लवों, चेरों और उत्तर के काकतीयों के साथ निरंतर चुनौतियां मिलती रहीं। ऐसे ही पश्चिम के राष्ट्रकूट, गंगा और चालुक्य के साथ उनका संघर्ष लगता रहा I हालांकि, इन संघर्षों में जीत-हार का […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
आरएस चौहान ब्रिटेन की महारानी एजिलाबेथ द्वितीय के निधन के बाद कोहिनूर हीरा भारत को वापस करने की मांग उठने लगी। भारत और दूसरे देशों को पूरा हक भी है कि वो लूटी गई अपनी अकूत संपदा को लौटाने की मांग जोर-शोर से उठाएं। इसी वर्ष मार्च महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के […]
अनुराग मिश्रा देश को आजाद कराने के लिए श्यामजी ने लंदन में इंडिया हाउस, ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ और ‘द इंडियन होम रूल सोसाइटी’ की स्थापना की थी। संस्कृत और शास्त्रों के प्रकांड विद्वान श्यामजी का 1930 में निधन हो गया था। उन्हें उम्मीद थी कि देश की आजादी के बाद उनकी अस्थियां स्वदेश पहुंचेंगी। 1947 […]
जे. पी. शुक्ला छत्तीसगढ़ के पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री गोधन न्याय योजना के तहत राज्य सरकार पशुपालन करने वाले किसानों से गाय का गोबर खरीदेगी। हमारे देश में ज़रूरतमंद लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए भारत सरकार उनकी मदद के लिए तरह-तरह […]
आचार्य श्री विष्णुगुप्त दुनिया का सबसे प्राचीन सनातन धर्म आज विनाश के कगार पर क्यों पहुंच गया है? अपने ही देश में भगाये, लतियाये और मारे क्यों जा रहे हैं हिन्दू?, अपने ही देश में सिर तन से जुआ क्यों कर दिये जा रहे हैं हिन्दू? इन प्रश्नों को समझने के लिए अभी-अभी मौत को […]
जयंती विशेषः नैतिकता की मिसाल थे लाल बहादुर शास्त्री श्वेता गोयल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1940 के दशक में लाला लाजपत राय की संस्था ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी’ द्वारा गरीब पृष्ठभूमि वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को जीवनयापन हेतु आर्थिक मदद दी जाया करती थी। उसी समय की बात है, जब लाल बहादुर शास्त्री जेल […]
#डॉ_विवेक_आर्य भारत जैसे बड़े देश में करोड़ों लोग वन क्षेत्र में सदियों से निवास करते है। कुछ लोग उन्हें आदिवासी कहते है क्योंकि उनका मानना है कि आदिकाल में सबसे प्रथम जनजाति इन्हीं के समान थी। कालांतर में लोग विकसित होकर शहरों में बसते गए जबकि आदिवासी वैसे के वैसे ही रहे। हम इसे भ्रान्ति […]
*राष्ट्र-चिंतन* *बिंदेश्वरी पाठक द्वारा पहले राहुल, सोनिया, मनमोहन अब मोदी की चरणवंदना की पैंतरेबाजी* *विचारहीन लोगों के कार्यक्रमों मे मंत्रियों, राज्यपालों और अधिकारियों के जाने पर लक्ष्मण रेखा खींची जानी चाहिए* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* ================= मेरे हाथ में एक निमंत्रण कार्ड आया। निमंत्रण कार्ड देख कर मैं बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया और सोचने […]
डॉ राकेश कुमार राणा देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए गांधी के सपनों के भारत की दिशा में हम कितना बढ़े हैं इसका भी मूल्यांकन करना उतना ही समीचीन है जितना संघषों से प्राप्त की गई अपनी इस आजादी का। गांधी की भारत की कल्पना क्या थी? वह […]
नेहरू ने नेताजी का स्मारक बनवाने का प्रस्ताव क्यों ठुकराया था? अखिलेश झा बात साल 1960 की है। दूसरी लोकसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा था। 2 दिसंबर 1960 को निचले सदन में एक प्रस्ताव रखा गया कि जापान के रेंकोजी मंदिर से नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की अस्थियों को भारत लाया जाए। नेताजी की अस्थियों […]