Categories
राजनीति

बिखरते अस्तित्व को समेटने की चुनौती

आर्थिक क्षेत्र में भी राहुल गांधी के पास फटे-पुराने समाजवादी एजेंडे के अलावा कुछ नया नहीं है। राहुल निश्चित रूप से चुनावी राजनीति के राजनीतिक चरण में दोबारा प्रविष्ट हो रहे हैं और वह कड़े प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी रणनीति चुनावी जुमलों तक सीमित है। उनकी न तो कोई नीति है, न कोई […]

Categories
मुद्दा राजनीति संपादकीय

सरकार के ‘स्वच्छता अभियान’ में खामियां

हमारे देश को प्रयोगशाला बनाकर नये-नये प्रयोग करते जाने की राजनीतिज्ञों की पुरानी परम्परा है। जब किसी प्रयोग पर करोडों-अरबों रूपया व्यय हो जाता है तो फिर उसे भुला दिया जाता है या जब उस प्रयोग के गलत परिणाम राजनीतिज्ञों को मिलने लगते हैं तो उन्हें जनता को न बताकर चुपचाप उस योजना को ही […]

Categories
राजनीति

मोदी जलवे की परीक्षा

हालिया सर्वेक्षण का निष्कर्ष यह है कि यदि आज चुनाव हो जाएं, तो भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में तो उभरेगी, लेकिन वह निर्धारित 360 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाएगी। वह 320 सीटों के आसपास सिमट जाएगी। सर्वेक्षण के निष्कर्ष एक चेतावनी मात्र हैं जिसका अर्थ है कि नारों के साथ-साथ काम के […]

Categories
राजनीति संपादकीय

पीएम मोदी अरूण जेटली को सिखायें ‘राजधर्म’

भारत का लोकतन्त्र एक दीवार है-उन लोगों के लिए जो प्रतिभावान और ईमानदार देशभक्त तो हैं, पर उनके पास लोकतन्त्र को नचाने के लिए अपने साधनों की कमी है। वे धनाढ्य नहीं हैं और ना ही उनके पास पार्टी तन्त्र है। लोकतन्त्र को पार्टीतन्त्र खा रहा है और पार्टी तन्त्र द्वारा निगले जा रहे लोकतन्त्र […]

Categories
आओ कुछ जाने महत्वपूर्ण लेख राजनीति

हमारे अभी तक के राष्ट्रपतियों का संक्षिप्त परिचय

रायसीना हिल्स पर बना राष्ट्रपति भवन गणतांत्रिक भारत के हर ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना है। आजादी से पूर्व इसे ‘वायसरीगल हाउस’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.15 बजे जब डा. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेकर गणतांत्रिक भारत के राजपथ पर […]

Categories
राजनीति संपादकीय

रोहिग्यां मुसलमान और भारत धर्म

अपने देश की संस्कृति और धर्म को बचाकर रखने का अधिकार हर देश के निवासियों को है। हर देश मानवतावाद में विश्वास रखता है और उसे विश्व के लिए उपयोगी भी मानता है, पर जब उसे कोई संप्रदाय इस प्रकार की चुनौती देता है कि उसके अपने देश की संस्कृति और धर्म को ही अस्तित्व […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता भारत जोड़ो आंदोलन

अभी-अभी भारत ने 1942 में छेड़े गये-‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाई है। वैसे हमारा मानना है कि यदि 1857 की क्रांति के इतिहास का और उस समय घटे घटनाचक्र का सूक्ष्मता से अवलोकन किया जाए तो पता चलता है कि भारतवासियों ने 1942 से 85 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के विरूद्घ ‘भारत छोड़ो […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

दोहन का उपाय ‘शोधन’ है

मोदी सरकार ने एन.जी.ओ. के विरूद्ध कठोरता का संदेश देकर उचित किया है, या अनुचित, इस पर देश में बहस चल रही है। इसके लिए एक गैर सरकारी संगठन के विषय में यह जानना आवश्यक है कि वास्तव में यह होता क्या है? इसके लिए विद्वानों का मानना है कि समाज का चेहरा बदल देने […]

Categories
राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

हामिद अंसारी के अंतिम बोल

हामिद अंसारी के अंतिम बोलदेश के लगातार दो बार उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी दस अगस्त को विदा हो गये। श्री अंसारी ने जाते-जाते भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर सवाल उठाये हैं। उन्हें दस वर्ष देश का उपराष्ट्रपति रहते हुए नहीं लगा कि देश में अल्पसंख्यकों के लिए कोई संकट है, पर अब जब उन्हें यह […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-3

राष्ट्र भाषा हिन्दी की दुर्गति, भाग-3 भारत में संविधान के अंदर एक दर्जन से भी अधिक भारतीय भाषाओं को मान्यता प्रदान कर दी गयी है। यदि राजभाषा हिंदी अपने सही ढंग से उन्नति करती और उसकी उन्नति पर हमारी सरकारें (केन्द्रीय और प्रांतीय दोनों) ध्यान देतीं तो आज जो क्षेत्रीय भाषाई लोग अपनी-अपनी भाषाओं को […]

Exit mobile version